1 लाख से 24 करोड़ तक: कैसे 4 NIT इंजीनियरों ने शैक्षिक प्रयोगशालाओं को बेहतर बनाकर कमाया मुनाफा
जैसे-जैसे भारतीय कक्षाओं में स्मार्ट डिवाइसेस की पकड़ मजबूत होती जा रही हैं वैसे-वैसे पाठ्यपुस्तकें और पारंपरिक शिक्षण के तरीके अतीत की बात होते जा रहे हैं। डिजिटल लर्निंग का क्रेज बढ़ता जा रहा है। इसमें वर्चुअल रियलिटी, IoT- सक्षम गैजेट, इंटरैक्टिव प्रोजेक्टर जैसे विभिन्न तकनीकी उपकरण शामिल हैं।
अब, जब भारतीय क्लासरूम दिन पर दिन स्मार्ट और अधिक कुशल हो रहे हैं तो क्यों न इसी अपग्रेडेशन को शैक्षणिक संस्थानों की प्रयोगशालाओं और अनुसंधान इकाइयों में समान रूप से लागू किया जाए? आखिरकार, जब आप पर्याप्त सुविधाएं और भौतिक आधारभूत संरचना प्रदान नहीं कर सकते, तो परीक्षण करने के लिए सिद्धांतों को रखने का क्या मतलब है?
एनआईटी दुर्गापुर, राउरकेला और जमशेदपुर के चार इंजीनियर्स ने बाजार में इसी अंतर को देखा, और देश में उचित प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए अपने व्यापार मॉडल को तैयार किया।
अनिकेत ठाकुर के पास उनकी पिछली नौकरी में इस तरह का ये बिल्कुल नया अनुभव था और आज उनका स्टार्टअप, लैबकैफे (Labkafe) भारत में शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों में प्रयोगशाला आपूर्ति की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। लैबकैफे मूल रूप से उद्योगों को औद्योगिक प्रयोगशाला उत्पाद बेचता है।
लैबकैफे के सीईओ और सह-संस्थापक अनिकेत ठाकुर कहते हैं,
“हम अपने मंच के माध्यम से स्कूलों, कॉलेजों, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान संस्थानों में प्रयोगशाला की आपूर्ति (उपकरण और फर्नीचर) की खरीद में आने वाली बाधाओं को हल करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हम प्रयोगशालाओं के लिए एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करते हैं।”
साथ काम करने से लेकर स्टार्टअप शुरू करने तक
ओडिशा के जाजपुर में जिंदल स्टेनलेस स्टील में इस्पात संयंत्र के गुणवत्ता विभाग में काम करते समय, अनिकेत ने लैबकैफे के आइडिया के बारे में सोचा था। उस समय उनका काम भुवनेश्वर और अहमदाबाद के बीच लगातार ट्रैवल करना और मटेरियल सैंपल लाने का था। ये एक ऐसा रुटीन था जो अनिकेत को पसंद नहीं था और इसी ने अंततः देश में प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे की उदास स्थिति दूर करने के लिए लैबकैफे के विचार जो जन्म देने का काम किया।
अनिकेत कहते हैं,
“क्वालिटी लैब में काम करते समय, हमें टेस्टिंग के लिए सटीक और जरूरी लैब इक्विपमेंट की खरीद में भी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसने हमें लैब उत्पादों की खरीद में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए एक पोर्टल बनाने के लिए प्रेरित किया।”
उन्होंने उसी वर्ष मई में साथी सहयोगी और एनआईटी के पूर्व छात्र हितेश कुमार के साथ लैबकैफे शुरू करने के लिए 2015 में नौकरी छोड़ दी। इस स्टार्टअप की संस्थापक टीम में दो अन्य सदस्य शामिल हैं - सुनील पांडा, जो एनआईटी राउरकेला के पूर्व छात्र हैं और सेल्स और मार्केटिंग का काम करते हैं; व अमृत राज, मुख्य रणनीति अधिकारी और एनआईटी जमशेदपुर से स्नातक हैं। यह स्टार्टअप कोलकाता में स्थित है और अंबाला व रांची में इसकी दो ब्रांचेस हैं।
अनिकेत कहते हैं,
“हमने कोलकाता को मुख्य रूप से चुना क्योंकि हम ओडिशा में एक इस्पात संयंत्र में काम कर रहे थे और यह हमारे लिए सबसे पास का मेट्रो शहर था। दूसरा, बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप होने के नाते हम हर पैसा संभालकर खर्च करना चाहते थे और कोलकाता में हमें वो सब मिला। कम किराया, निश्चित लागत, कम खर्चे और अच्छे एंप्लाई।"
सिर्फ 1 लाख रूपए के साथ एक लाभदायक व्यवसाय का निर्माण
सिर्फ 1 लाख रुपये के साथ बूटस्ट्रैप, लैबकैफे आज एक लाभदायक व्यवसाय है। इसके पास एक बड़ा स्टॉक है जिसमें 12,000 से अधिक लैब उपकरण आइटम और 200 से अधिक लैब फर्नीचर डिजाइन शामिल हैं।
संस्थापक बताते हैं,
"डिजाइन लेआउट और विषय वस्तु के आधार पर, मटेरियल ग्राहकों को सप्लाई किया जाता है। अधिकांश उत्पाद हमारे ब्रांड नाम 'लैबकैफे' के तहत निर्मित होते हैं।"
औद्योगिक वस्तुओं और आपूर्ति क्षेत्र को प्रभावित करने की दृष्टि के साथ बनाया गए, लैबकैफे ने कुछ प्रारंभिक उतार-चढ़ाव के बाद सफलता का स्वाद चखा। अनिकेत याद करते हैं, "हमने जब इंडस्ट्री को प्रोडक्ट बेचने की शुरुआत की तो हमें इश बात का अहसास था कि यहां उच्च प्रतिस्पर्धा, कम मार्जिन और जटिल खरीद मार्गों से गुजरना होगा।" चूंकि अनिकेत और उनकी टीम ने पहले ही बाजार में दबदबा बना लिया था, इसलिए वेबसाइट और अन्य-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से लगातार ऑर्डर मिलने शुरू हो गए।
स्थापना के आठ महीने के भीतर, संस्थापक टीम का कहना है कि उन्हें औद्योगिक लैब उपकरण और सुरक्षा उपकरण के लिए 10 लाख रुपये के ऑर्डर मिले। लेकिन इन उपकरणों पर मार्जिन बहुत कम था और बाजार में पैठ बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण था।
एक समय, उन्होंने महसूस किया कि शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के लिए खरीद और निर्णय लेने की प्रक्रिया भी बहुत सरल थी और मार्जिन भी बेहतर था। यह एहसास, इस तथ्य के साथ जुड़ा था कि वे अभी भी एक सीमित संसाधनों वाले स्टार्टअप थे, इसलिए उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को टारगेट करना शुरू कर दिया।
अनिकेत कहते हैं, शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के लिए, औसत ऑर्डर बास्केट 1-1.5 लाख रुपये के बीच होती है। स्टार्टअप आज लाभदायक होने का दावा करता है और संस्थापक कहते हैं कि वे वित्त वर्ष 19 में 8 करोड़ रुपये का कारोबार करने करीब हैं। अब बड़े लक्ष्यों पर नजर गड़ाए हुए हैं। साल-दर-साल आधार पर 3 गुना बढ़ रहा है, लैबकैफे वर्टिकली और होरिजेंटली दोनों तरह से विस्तार कर रहा है, और वित्त वर्ष 2020 तक 24 करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है।
रास्ते में सबसे बड़ी बाधा
अनिकेत कहते हैं,
"कैश फ्लो को मैनेज करना किसी भी बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप द्वारा फेस की जाने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।" यह बताते हुए कि उनकी टीम ने इस बाधा को कैसे पार किया। वे कहते हैं, "ग्राहक ब्रांड नाम, विक्रेता भुगतान की शर्तें, स्थान, लाभप्रदता, आवश्यक सेवाओं जैसे विभिन्न कारकों को ऑप्टिमाइज करके हम ग्राहकों के साथ भुगतान की शर्तों को तय करते हैं।"
जहां लैबकैफे ज्यादातर संस्थानों को उत्पाद बेचकर राजस्व अर्जित करता है, समय के साथ, इसने सीबीएसई / आईसीएसई / राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 10 और 12 के लिए विशिष्ट प्रयोगशाला पैकेज भी तैयार किए हैं। यह पैकेज स्कूलों में काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा, टीम ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता भी प्रदान कराती है।
अनिकेत बताते हैं,
"इससे हमें प्रतिस्पर्धा को कम करने, अधिक लाभ कमाने, हाई एंट्री बैरियर को मेंटेन करने, ज्यादा से ज्यादा ऑर्डर हासिल करने और ब्रांड वैल्यू में सुधार करने में मदद मिलती है।"
डीआरडीओ, वायु सेना ग्वालियर, भारतीय सेना, स्टेट फोरेंसिक साइंस लैब, बैद्यनाथ फार्मा, एनआईटी, आईबीएसडी, सेंट जेवियर ग्रुप, साउथ पॉइंट हाई स्कूल, टेक्नो इंडिया, जीडी गोयनका ग्रुप, डीपीएस ग्रुप और केंद्रीय विद्यालय सहित 500 से अधिक संस्थानों में लैबकैफे ने अब तक अपनी सेवाएं दी हैं। और इसके लक्ष्य बड़े होते जा रहे हैं।
अनिकेत कहते हैं,
''हम लैबकैफे इनोवेशन सेंटर (एलआईसी) की एक वैश्विक श्रृंखला विकसित करने की योजना बना रहे हैं, जो छात्रों, स्कूलों और संस्थानों के लिए व्यावहारिक और गतिविधियों पर आधारित एक एकीकृत मंच प्रदान करेगी। इससे अरबों लोगों को आवश्यक कौशल, वैज्ञानिक कौशल और संज्ञानात्मक बुद्धि विकसित करने में मदद मिलेगी।"