अब मिनटों में शिकायतें दर्ज करा पाएंगे उपभोक्ता, जानिए व्हाट्सऐप के माध्यम से कैसे दर्ज होगी शिकायतें
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की कि अब वह व्हाट्सऐप के माध्यम से नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर शिकायतें स्वीकार करेंगे. यह कदम कस्टमर्स को आसानी से शिकायतें दर्ज कराने में मददगार साबित होगा. इससे कस्टमर्स को डॉक्यूमेंट्स भेजने में भी आसानी होगी.
सामानों या सेवाओं की गुणवत्ता की शिकायतों के लिए अब आपको ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. देश में कंज्यूमर्स अब अपने व्हाट्सऐप के माध्यम से ही ऐसी शिकायतें दर्ज करा पाएंगे.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की कि अब वह व्हाट्सऐप के माध्यम से नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर शिकायतें स्वीकार करेंगे.
यह कदम कस्टमर्स को आसानी से शिकायतें दर्ज कराने में मददगार साबित होगा. इससे कस्टमर्स को डॉक्यूमेंट्स भेजने में भी आसानी होगी.
शिकायत दर्ज कराने को आसान बनाने के लिए मंत्रालय कस्टमर्स को व्हाट्सऐप के माध्यम से ही शिकायतों को ट्रैक करने की भी सुविधा देगा. इसका मतलब है कि कस्टमर्स को उनकी शिकायतों की प्रोग्रेस रिपोर्ट लगातार मिलती रहेगी. इसके लिए उन्हें कॉल करने और कंज्यूमर फोरम की वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
फिलहाल, शिकायतें 1800-11-4000 या 1915 (राष्ट्रीय अवकाश को छोड़कर सभी दिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक) पर कॉल करके या 8800001915 पर एसएमएस भेजकर दर्ज की जाती हैं. यह उनकी वेबसाइट https://consumerhelpline.gov.in/user/signup.php या एनसीएच ऐप या उमंग ऐप के जरिए के माध्यम से भी किया जा सकता है.
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को प्रत्येक वर्ष सात लाख (700,000) से अधिक शिकायतें प्राप्त होती हैं, जिनमें से आधे से अधिक फ़ोन हेल्पलाइन के माध्यम से आती हैं. उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए मंत्रालय ने 10 विभिन्न भाषाओं में 50 से अधिक हेल्पलाइनें खोली हैं.
जो शिकायतें प्राप्त होती हैं, उनमें से 90 प्रतिशत का समाधान हेल्पलाइन के माध्यम से सफलतापूर्वक किया जाता है. शेष शिकायतों को आगे की कार्रवाई के लिए उपभोक्ता अदालत में भेजा जाता है.
व्हाट्सएप फीचर को शामिल करने के साथ, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को उम्मीद है कि उपभोक्ताओं के लिए खराब उत्पादों और सेवाओं की रिपोर्ट करना और उन्हें आवश्यक सहायता प्राप्त करना और भी आसान हो जाएगा.
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीपीए), 1986, उपभोक्ता आयोगों को उनके समक्ष पंजीकृत उपभोक्ता शिकायतों के शीघ्र निपटान के लिए तीन महीने की समय-सीमा प्रदान करता है। हालांकि, हकीकत में इनका निस्तारण करने से औसतन तीन से पांच साल लगते हैं.
इन मामलों के लंबे समय तक अटकने के कारणों में आकस्मिक रूप से किए गए स्टे से लेकर मैनपावर की कमी और आयोगों में पदों पर रिक्तियां शामिल हैं. हर स्टे कभी-कभी मामलों को तय करने के लिए प्रदान की गई तीन महीने की पूरी समय सीमा से अधिक होता है.
Edited by Vishal Jaiswal