1569 फीट लम्बी पगड़ी बढ़ाएगी बीकानेर रेलवे स्टेशन की शोभा
"राजस्थान की आन बान शान का प्रतीक और वेशभूषा का अभिन्न अंग पगड़ी अब बीकानेर के रेलवे स्टेशन की शोभा बढ़ाएगी। हाल ही में बीकानेर के कलाकार पवन व्यास द्वारा बनाई गई 1569 फीट लम्बी पगड़ी रविवार को बीकानेर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर रखी गई।"
जयपुर, राजस्थान की आन बान शान का प्रतीक और वेशभूषा का अभिन्न अंग पगड़ी अब बीकानेर के रेलवे स्टेशन की शोभा बढ़ाएगी। हाल ही में बीकानेर के कलाकार पवन व्यास द्वारा बनाई गई 1569 फीट लम्बी पगड़ी रविवार को बीकानेर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर रखी गई। बीकानेर रेलवे मजिस्ट्रेट राजेन्द्र साहू एवं समाज सेवी महावीर रांका द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।
रोट्रेक्ट मरुधरा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अलग-अलग आकार की पगड़ियों को भी जनता के अवलोकन के लिए रखा गया है। क्लब के अध्यक्ष आशीष किराडू ने बताया कि क्लब द्वारा बीकानेर की संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर इस तरह के कार्य किए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि यहां सबसे छोटी व सबसे बड़ी पगड़ी एक साथ रखी गई है और इससे आने जाने वाले यात्रियों को राजस्थानी संस्कृति से रूबरू होने का मौका भी मिलेगा वहीं राजस्थान पर्यटन को भी फायदा होगा और राजस्थानी कला को प्रोत्साहन मिलेगा।
गौरतलब है, कि 1569 फीट लम्बी ये पगड़ी बीकानेर के कलाकार पवन व्यास द्वारा बनाई गई है। जिसे पवन ने अपने ट्विटर पर भी साझा किया है। पवन ने 1569 फीट लंबी पगड़ी बांधकर पुराने से सारे रिकॉप्ड तोड़ दिए हैं। गिनीज़ बुक में रजिस्टर्ड रिकार्ड में सबसे बड़ी पगड़ी का आकार चार सौ मीटर है जो मेजर सिंह के नाम से हैं। यह सिख स्टाइल में बांधी गई थी, जबकि पवन ने राजस्थानी स्टाइल की पगड़ी बांधी है।
आपको बता दें, कि आमतौर पर पगड़ी 18 गज लंबी और 9 इंच चौड़ी होती है। लेकिन पवन ने जो पगड़ी बांधी है वो 478.50 मीटर मीटर यानी करीब 1570 फीट लंबी है। हमेशा से ही पवन को पगड़ी बांधने का शौक रहा है। पवन अंगुलियों पर भी अनेक तरह की पगड़ी बांधने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। वे आमतौर पर विवाह समारोहों में भी दूल्हे और उसके परिजनों को पगड़ी बांधने का काम करते हैं। बीकानेरी पगड़ी के अलावा भी पवन अनेक तरह की दूसरी पगड़ियां भी बांध लेते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, पगड़ी राजस्थान के पहनावे का महत्वपूर्ण हिस्सा है। शहरों की बात करें तो वहां पगड़ी पहने हुए कम लोग ही दिखते हैं, लेकिन गांवों में आज भी लोग पगड़ी के बिना बाहर निकलना असभ्यता मानते हैं।
(इनपुट्स साभार : PTI)