अब सेहत के लिए नहीं करना होगा स्वाद से समझौता! यह स्टार्टअप रख रहा आपका ख्याल
यह कहानी बताती है कि किस तरह वॉट्सऐप ग्रुप से शुरू हुआ एक बिज़ेनस अब एक सफल कंपनी की शक़्ल अख़्तियार कर चुका है, जो अपने ग्राहकों को ज़ायके के साथ-साथ पोषण भी परोस रही है। हैदराबाद की रहने वाली प्रीति सिन्हा ने अपने बिज़नेस की शुरुआत एक वॉट्सऐप ग्रुप के ज़रिए की थी, जो अब ग्रीन्स ऐंड मोर स्टार्टअप का रूप ले चुका है और ग्राहकों की सेहत और ज़ायके दोनों का ही ख़्याल रख रहा है।
कंपनी की फ़ाउंडर प्रीति सिन्हा जब 2014 में भारत लौटीं, तब उनका वज़न बढ़ा हुआ था और दो बार की प्रेग्नेंसी के बाद उनका शरीर का वज़न सामान्य नहीं हो पा रहा था। इसके बाद ही, उन्होंने अपनी सेहत को और भी गंभीरता से लेना शुरू किया।
प्रीति बताती हैं, "सेहत 80 प्रतिशत तक आपके पोषण पर और 20 प्रतिशत एक्सरसाइज़ या वर्कआउट पर निर्भर करती है। इस तथ्य को समझने के बाद मैंने हरी सब्ज़ियां और फल इत्यादि खाना शुरू किया। हरी सब्ज़ियों को मैं सिर्फ़ उतना ही पकाती थी, जितने में उनके अंदर के पोषक तत्व बने रहें। इसकी बदौलत कुछ महीनों में ही मैं 15 किलो तक अपना वज़न घटा लिया और मुझे अपने शरीर में एक नई ऊर्जा महसूस होने लगी। इसके बाद ही मुजे सही पोषण का महत्व समझ में आया और मैंने शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए इस संबंध में और जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया।"
उन्हें समझ में आया कि मोटापा, कैंसर, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों आदि में से 95 प्रतिशत बीमारियां आपके भोजन, खाने-पीने की सामग्री में मिले नुकसानदायक तत्व, पोषण संबंधी कमियों और ख़राब जीवनशैली के चलते ही पनपती हैं। भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी की वजह से ख़ुद से अपना खाना पकाने वाली आबादी लगातार घटती जा रही है।
प्रीति कहती हैं कि ग्राहकों को स्वास्थ्यप्रद विकल्पों की तलाश रहती है और रीटेल स्टोर्स पर कई तरह के उत्पाद भी मौजूद रहते हैं, लेकिन उनमें ताज़ा सामग्री की कमी होती है। प्रीति कहती हैं, "मैंने इस कमी को समझा और यह पाया कि मार्केट में सही उत्पादों की कमी को पूरा किया जा सकता है।"
हैदराबाद की रहने वाली प्रीति ने अपने आइडिया को अमल में लाते हुए एक दिन ख़ुद ही सलाद तैयार किया और फ़िटनेस को संजीदगी से लेने वाले कुछ लोगों से संपर्क किया। उन्होंने सभी लोगों से सलाद चखने और प्रतिक्रिया देने की अपील की। इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रीति बताती हैं कि शुरुआत में वह ख़ुद ही सलाद बनाती थीं और उसकी डिलिवरी करने जाती थीं। ऑर्डर्स के लिए उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था। इसके ज़रिए ही वह ग्राहकों से जुड़ रही थीं और विभिन्न प्रकार के सलाद के ऑर्डर्स पूरे कर रही थीं। उनका कहना है कि इस तरीक़े से उन्हें सीधेतौर पर ग्राहकों की प्रतिक्रिया मिल रही थी।
एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उन्होंने 8 महीनों तक ऐसे ही काम किया और जब प्रीति को लगा कि उनके पास पर्याप्त मांग आ रही है, तब उन्होंने अपनी कंपनी को रजिस्टर करा लिया। कंपनी रजिस्टर कराने के बाद प्रीति ने अपनी टीम में न्यूट्रीशियनिस्ट्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स को शामिल किया, जो उनके उत्पाद को और भी बेहतर बना सकें।
वह बताती हैं, "हमने किसानों से संपर्क किया और उनसे पूरी तरह से प्राकृतिक तरीक़ों का इस्तेमाल करते हुए उत्पादन करने के लिए किया और इसके बाद कुछ शेफ़्स को हायर किया, जो रेसपीज़ को और भी ज़ायकेदार बना सकें। इसके बाद समय पर डिलिवरी देने के लिए कंपनी ने आउटसोर्सिंग का सहारा लिया। बेहद कम समय में ही पूरी टीम तैयार हो गई और काम तेज़ी के साथ बढ़ने लगा।"
प्रीति इस काम में पूरी तरह से नई थीं और इसलिए उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, फ़ूड इंडस्ट्री के ऑपरेशन्स को समझना। इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक और बैंकिंग टेक्नॉलजी मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रैजुएशन करने के बाद वह 2006 में यूएस चली गई थीं। यूएस में वह ओरेकल और सोनी इंक के साथ जुड़ी रही थीं।
ग्रीन्स ऐंड मोर की शुरुआत बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग के माध्यम से हुई थी और यह कंपनी शुरुआत से ही एक साथ रेवेन्यू मॉडल्स के तहत काम कर रही है। कंपनी की फ्रैंचाइजी सब्सक्रिप्शन, वॉक-इन क्लाइंट्स, थर्ड पार्टी ऐग्रीगेटर्स जैसे कि स्विगी, ज़ोमेटो और ऊबर ईट्स के ज़रिए रेवेन्यू जुटा सकती है।
प्रीति बताती हैं कि कंपनी पहले ही दिन से मुनाफ़े में है। उनका कहना है कि जब उनका प्रोडक्ट पूरी तरह से मार्केट के हिसाब से तैयार नहीं था, तब भी उनके पास पर्याप्त ऑर्डर्स आया करते थे। उन्होंने जानकारी दी कि कंपनी की ग्रोथ को तेज़ी के साथ बढ़ाने के लिए उनकी योजना है कि ज़ोमेटो के Food@workऔर हंगर बॉक्स के साथ जुड़ा जाए। उनका मानना है कि चूंकि, ज़ोमेटो रेवेन्यू शेयरिंग के तहत काम करता है, इसलिए शुरुआत में बहुत ज़्यादा निवेश की आवश्यकता भी नहीं होगी।
ग्रीन्स ऐंड मोर के ऑपरेशन्स शुरू करने के बाद उनके परिवार फिर से यूएस में जाकर बसने का मौक़ा मिला, लेकिन प्रीति ने अपने स्टार्टअप को जारी रखने और देश में ही रहने का फ़ैसला लिया। प्रीति का परिवार यूएस वापस चला गया, लेकिन उनके परिवार ने स्टार्टअप को आगे बढ़ाने की मुहिम में उनका पूरा साथ दिया।
प्रीति का कहना है कि उनकी कंपनी का लक्ष्य है कि लगातार नए उत्पादों और पहले से मार्केट में मौजूद उत्पादों को बेहतर बनाने की कोशिश जारी रखी जाए। वह चाहती हैं कि ग्राहकों के लिए लगातार फ़्रेश, रेडी टू ईट और हेल्दी प्रोडक्ट्स की नई रेंज परोसी जाए, जिनमें स्टार्टर्स से लेकर डेज़र्ट्स तक सभी कुछ मौजूद हो। प्रीति चाहती हैं कि उनके क्लाइंट्स उनके मेन्यू से कभी न बोर न हों और इसलिए उनका स्टार्टअप हर नौ महीने में मेन्यू को नया बनाने की कोशिश करता रहता है। प्रीति ने बताया कि कंपनी की योजना है कि बाहरी निवेश की मदद से हैदराबाद, बेंगलुरु, मुंबई और गुरुग्राम फ़ेज़ 1 में भी स्टार्टअप के ऑपरेशन्स को बढ़ाया जाए।
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