ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर भी अब RBI के रेगुलेशंस के दायरे में, MPC की बैठक में फैसला
ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स मार्च 2020 से ही RBI रेगुलेशंस के दायरे में हैं.
‘ऑफलाइन’ भुगतान सेवा प्रदाता (ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर) भी अब रिजर्व बैंक (RBI) के नियामकीय दायरे में आएंगे. ये भुगतान सेवा प्रदाता दुकानों पर फेस-टू-फेस लेनदेन में मदद करते हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को यह घोषणा की. भुगतान ‘एग्रीगेटर’ से आशय उन सेवा प्रदाता से है, जो ‘ऑनलाइन’ पेमेंट के सभी विकल्पों को एक साथ एकीकृत करते हैं और उन्हें व्यापारियों के लिये एक मंच पर लाते हैं.
ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स मार्च 2020 से ही RBI रेगुलेशंस के दायरे में हैं. दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) के नतीजों की घोषणा के दौरान कहा, ‘ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर (पीए) की गतिविधियों की प्रकृति एक सी है. ऐसे में मौजूदा नियमन ऑफलाइन पीए पर भी लागू करने का प्रस्ताव किया जाता है.’ दास ने कहा कि इस कदम के बाद डेटा संग्रह और भंडारण के मानकों का एकीकरण होगा. ऐसे में इस तरह की कंपनियां ग्राहक के क्रेडिट और डेबिट कार्ड के ब्योरे को स्टोर नहीं कर सकेंगी.
पेमेंट इकोसिस्टम में PA की महत्वपूर्ण भूमिका
गवर्नर ने कहा कि पेमेंट इकोसिस्टम में पीए की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसी वजह से इन्हें मार्च, 2020 में नियमन के तहत लाया गया था और भुगतान प्रणाली परिचालक (पीएसओ) का दर्जा दिया गया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा नियमन सिर्फ उन पीए पर लागू होते हैं तो ऑनलाइन या ई-कॉमर्स लेनदेन में मदद करते हैं. ऑफलाइन पीए अभी तक इसके तहत नहीं आते थे.
दास ने यह भी कहा कि RBI, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के लिए इंटरनेट बैंकिंग सुविधा देने को लेकर पात्रता मानदंडों को युक्तिसंगत बना रहा है. वर्तमान में RRBs को रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन (Prior Approval) के साथ अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग सुविधा प्रदान करने की अनुमति है, लेकिन यह अनुमति कुछ वित्तीय और गैर-वित्तीय मानदंडों को पूरा करने के अधीन है. ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग के प्रसार को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आरआरबी के, इंटरनेट बैंकिंग प्रदान करने के लिए पात्र होने के मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया जा रहा है. इस बारे में संशोधित दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे.
रेपो रेट 0.50% बढ़ाया
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (RBI Monetary Policy Review Meeting) में नीतिगत दर रेपो रेट 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दी. यह इसका तीन साल का उच्च स्तर है. खुदरा महंगाई को काबू में लाने और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि से उत्पन्न दबाव से निपटने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है. रेपो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है. इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त बढ़ेगी. यह चौथी बार है जब नीतिगत दर में वृद्धि की गयी है. इससे पहले, मई में 0.40 प्रतिशत वृद्धि के बाद जून और अगस्त में 0.50-0.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी. कुल मिलाकर मई से अब तक आरबीआई रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है.
Air India ने टिकट पर छूट को लेकर बदला नियम, इन यात्रियों के लिए अब आधा रह गया डिस्काउंट
Edited by Ritika Singh