Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

फेसबुक और रियलिटी लैब्स में एक बिलियन डॉलर की ब्रेन साइंस स्टार्टअप डील

विश्व की सबसे ताकतवर सोशल मीडिया कंपनियों में से एक फेसबुक ने ब्रेन साइंस स्टार्टअप के लिए सीटीआरएल लैब्स से की लगभग एक बिलियन डॉलर की डील।

फेसबुक और रियलिटी लैब्स में एक बिलियन डॉलर की ब्रेन साइंस स्टार्टअप डील

Friday September 27, 2019 , 3 min Read

विश्व की सबसे ताकतवर सोशल मीडिया कंपनियों में से एक फेसबुक ने ब्रेन साइंस स्टार्टअप के लिए सीटीआरएल लैब्स से लगभग एक बिलियन डॉलर की डील की है। यह स्टार्टअप दिमाग से मशीनों को नियंत्रित करने की टेक्नोलॉजी पर काम करेगा। फेसबुक कंपनी यह टेक्नोलॉजी कंज्यूमर प्रोडक्ट के रूप में विकसित करना चाहती है। 

k

फोटो साभार: CTRL-Labs


फेसबुक और न्यूयॉर्क स्थित सीटीआरएल लैब्स के बीच ब्रेन साइंस स्टार्टअप के लिए एक बड़ी डील हुई है। फेसबुक ने इस डील की रकम को अभी सार्वजनिक नहीं किया है किंतु सूत्रों के मुताबिक, फेसबुक ने इस डील में पांच सौ मिलियन डॉलर से एक बिलियन डॉलर के बीच भुगतान किया है। अब सीटीआरएल लैब्स फेसबुक रियलिटी लैब्स का हिस्सा हो गया है। अब दिमाग से मशीनों को नियंत्रित करने की टेक्नोलॉजी पर फेसबुक रिएलिटी लैब्स के साथ काम करेगी।


इस टेक्नोलॉजी से मांसपेशियों को भेजे जाने वाले संदेशों को इलेक्ट्रिक स्वरूप में पढ़ा जाएगा। कंप्यूटर अथवा मशीनों को दिमाग से नियंत्रित करने की दिशा में कार्यरत इस स्टार्टअप का लक्ष्य इस टेक्नोलॉजी को और बेहतर बनाना और कंज्यूमर प्रोडक्ट के रूप में विकसित करना है। 


जानकारों का कहना है कि अगर इस प्रौद्योगिकी को प्लान के हिसाब से विकसित किया गया तो जल्द ही लोगों को अपने कंप्यूटर और अन्य मशीनों को चलाने के लिए क्लिक, स्वाइप अथवा की-बोर्ड दबाने की जरूरत नहीं होगी। यूजर जैसा सोचेंगे, उसी तरह मशीनें काम करने लगेंगी। इस स्टार्टअप के लिए सीटीआरएल लैब्स का निर्माणाधीन उपकरण व्यक्ति के हाव-भाव और इच्छाओं को समझने में सक्षम होगा। फेसबुक का मकसद इस टेक्नॉलोजी से कन्ज्यूमर प्रोडक्ट लेकर आना है। 





कंपनी के ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी विभाग के वाइस प्रेसिडेंट एंड्रू बोसवर्थ ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि हमें पता है कि डिवाइसेज से बात करने के लिए और भी नेचुरल तरीके हैं यानी इस समय दुनिया में डिवाइसेज और टेक्नोलॉजी से इंटरैक्ट करने के कई नेचुरल और आसान तरीके मौजूद हैं। हमारा स्टार्टअप इन तरीकों को विकसित करना चाहता है। इसे पूरा करने का विजन यह है कि एक ऐसा रिस्ट बैंड हो, जिसकी मदद से मशीनों का संचालन किया जाए। यह स्टार्टअप सबसे पहले प्लान एक रिस्टबैंड पर काम करेगा। यह लोगों को मूवमेंट के आधार पर डिवाइस कंट्रोल करने की आजादी देगा।


साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि रिस्टबैंड इलेक्ट्रिकल इम्पल्स को डिकोड करेगा, जैसे कि कंप्यूटर चला रहे व्यक्ति के हाथ की मसल्स किस तरीके से मूवमेंट करना चाह रही हैं।


फिलहाल, यह स्टार्टअप लोगों के लिए मस्तिष्क के संकेतों का उपयोग करते हुए कंप्यूटर के साथ संवाद करने के तरीके तलाश रहा है। इस स्टार्टअप का एक रिस्टबैंड अपने दिमाग से डिजिटल उपकरणों को नियंत्रित करने देता है, जो मन-पढ़ने की एक तकनीक है। रिस्टबैंड रीढ़ की हड्डी से विद्युत संकेतों का पता लगाते हैं, जो हाथ की मांसपेशियों को स्थानांतरित करने का तरीका बताते हैं। 





सीटीआरएल लैब्स उन सिग्नल को डिकोड करने और उन्हें डिजिटल सिग्नल में तब्दील करने का काम करता है, जिसे एक डिवाइस, जैसेकि फ़ोन या कंप्यूटर समझ सकता है। वह कंप्यूटर संचालक के इरादे को पकड़ लेता है। फेसबुक कंपनी इसे उपभोक्ता उत्पादों में लाना चाहती है।


यह स्टार्टअप फेसबुक रियलिटी लैब्स का हिस्सा होगा, जो फेसबुक कंपनी के अंदर एक अलग प्रभाग के रूप में काम करेगा। इसका ध्यान मुख्यतः आभासी परियोजनाओं पर केंद्रित होगा। फेसबुक के साथ इस डील से पहले गूगल के नेतृत्व में इसी साल फरवरी में सीटीआरएल लैब्स ने 28 मिलियन डॉलर जुटाए थे। इसके अलावा उसको अमेजन एलेक्सा फंड, स्पार्क कैपिटल, मैट्रिक्स पार्टनर्स और लक्स कैपिटल जैसे निवेशकों से कुल 67 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली थी।