फरारी बेचकर हिमालय जाने से ही कोई संत नहीं बनता; यह सात चीजें करके शायद आप बन जाएं
जैसे एक सिक्के के हमेशा दो पहलू होते हैं, हम हमारी ज़िन्दगी में भी हमेशा दोराहे पर खड़े होते हैं. हम क्या बनते हैं यह इस पर निर्भर करता है कि हम उन दो राहों में से कौनसी एक राह चुनते हैं. The Monk Who Sold his Ferrari का प्रमुख पात्र जूलियन मैंटल हार्ट अटैक से रिकवर करने के बाद अपने आप को इसी दोराहे पर पाता है. या तो वह एक वकील के रूप में अपने सफल करियर को छोड़ दे या फिर अपनी ज़िन्दगी को? ऐसे में क्या चुना जुलियन ने?
रोबिन शर्मा की किताब The Monk Who Sold his Ferrari उनके ही जीवन पर आधारित एक काल्पनिक कहानी है जो जूलियन मैंटल की ज़िन्दगी बदलने वाली चॉइस को बयान करती है. 1996 में आई यह किताब अमेज़न पर ‘सेल्फ-हेल्प’ की कैटगरी में बेस्ट-सेलर है, जिसकी अब तक 04 मिलियन प्रतियाँ बिक चुकी हैं और इसका 51 भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है. इस बुक की सफलता ने रोबिन शर्मा को ‘सेल्फ-हेल्प गुरु’ के नाम से प्रसिद्धि दिलाई और वह अब तक Nike से लेकर NASA तक लीडरशिप, सेल्फ-इम्प्रूवमेंट, सेल्फ-डिसिप्लिन, टाइम मैनेजमेंट आदि विषयों पर टॉक्स और वर्कशॉप्स ले चुके हैं.
जूलियन ने अपने द्वारा बनाई हुई अपनी सीमा की जगह अपनी ज़िन्दगी चुनी. वह अपना आलीशान घर, प्राइवेट जेट और अपनी लाल रंग की चमकती फरारी बेचकर अमेरिका से हिमालय की गोद में आ गया. भारत में 6 महीने घूमने के बाद वह ‘सेजेज ऑफ सेवाना’ से मिला जिसके प्रमुख योगी रमन ने उसे अपने साथ रखा और अध्यात्म [Spirituality] के कई ज़रूरी सबक़ सिखाये. लेकिन इस शर्त पर कि जूलियन ने उनसे जो सीखा है उसे दूसरों से भी साझा करेगा.
और इस कहानी में ठीक यहीं पर है हमारा पहला सबक़- दूसरों की सेवा करने से हम खुद भी बेहतर होते जाते हैं. किताब में एक खूबसूरत चाइनिज मुहावरे का ज़िक्र है जिसका सार यही है,
“गुलाब देने वालों के हाथों में उसकी थोड़ी खुशबू बची रह जाती है.”
उनके साथ रहते हुए जूलियन ने मेडिटेशन करने, पढने, चीज़ों को सूक्ष्मता से देखने, अपने ख़यालों पर काबू रखने जैसी तमाम बौद्ध प्रैक्टिसेज को अपनी ज़िन्दगी में शामिल करने की कोशिश की. योगी रमन को किये हुए वायदे के अनुसार किताब में रोबिन शर्मा ने उनसे मिली सीख को सात भागों में लिखा है जो मेटाफर्स के माध्यम से जीवन जीने के बहुमूल्य तरीके हैं.
- वह सात गुणअपने मन के मालिक बनो [Master your mind]
- अपने लक्ष्य का पीछा करो [Follow your purpose]
- खुद को सुधारो [Self Improvement]
- आत्म अनुशासन [Self-discipline]
- अपने समय की क़ीमत जानो [Respect your time]
- दूसरों की सहायता करो [Help Others]
- अपने वर्तमान जीवन को स्वीकार करो [Embrace your present life]
इस किताब का उद्देश्य ज़िन्दगी को सही तरीके से जीने के बारे में दिशा निर्देश या नैतिक सीख देना है. लेकिन लेखक द्वारा पूरब के फ़लसफ़े के गहरे उपदेशों जैसे,
“आपके प्रतिदिन के व्यवहार से आपकी गहरे मान्यताओं का पता चलता है”
को साफ़ और सरल भाषा में एक कहानी की तरह कहना ही इस किताब के इतने लोकप्रिय होने और ‘कल्ट’ जैसी प्रसिद्धि पाने का कारण बना. इस शैली की वजह से इसके पाठकों को इसके उपदेशों को याद करने की जरुरत नहीं पड़ती बल्कि किताब उन्हें सोचने को मजबूर करती है कि वह ऐसा क्यूँ नहीं कर रहे थे या अब वह इन चीज़ों को अपनी ज़िन्दगी में कैसे शामिल करेंगे.
इस किताब के बाद रोबिन शर्मा ने और कई किताबें लिखीं जैसे द 5AM क्लब, द एवरी डे हीरो मैनिफेस्टो, हु विल क्राय व्हेन यू डाय, द लीडर हु हैड नो टाइटल, द फॅमिली विजडम इत्यादि लेकिन किसी को वैसी प्रसिद्धि मिली, किसी के साथ पाठकों के इतने विशाल समूह का रिश्ता नहीं बना. ऐसा क्यूँ हुआ इसके बारे में कभी और बात करेंगे.
बुक रिव्यु की हमारी इस श्रृंखला में हम बिज़नस, फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट पर ‘सेल्फ-हेल्प’ श्रेणी की किताबों का रिव्यु आप तक पहुंचाएंगे.