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एक ने पाकिस्तान से आकर जीता चुनाव, तो दूसरी ने 97 साल की उम्र में संभाली सरपंच की गद्दी

एक ने पाकिस्तान से आकर जीता चुनाव, तो दूसरी ने 97 साल की उम्र में संभाली सरपंच की गद्दी

Sunday January 19, 2020 , 2 min Read

राजस्थान के पंचायत चुनाव इस बार कई मायनों में खास रहे हैं। इस बार के चुनाव में एक ओर जहां 97 साल की विद्या देवी ने सफलता हासिल की, तो वहीं दूसरी ओर 18 साल पहले पाकिस्तान से भारत आईं नीता कंवर ने भी चुनाव जीतकर सरपंच की गद्दी पर कब्जा जमाया है।

नीता कंवर (बाएँ) और विद्या देवी (दायें)

नीता कंवर (बाएँ) और विद्या देवी (दायें)



राजस्थान में पंचायत चुनाव के नतीजे आने के साथ ही दो विजयी प्रत्याशी ख़ासी चर्चा में हैं। एक प्रत्याशी अपनी उम्र और दूसरी प्रत्याशी अपनी नागरिकता के चलते चर्चा में हैं।

उम्र महज एक संख्या है

इस बार के पंचायत चुनाव में 97 साल की विद्या देवी ने चुनाव जीतते हुए सबसे उम्रदराज सरपंच बनने का तमगा हासिल किया है, वहीं 18 साल पहले पाकिस्तान से भारत आईं नीता कंवर ने भी सरपंच के चुनाव में अपना परचम लहराया है।


सीकर जिले की पुरानाबास ग्राम पंचायत से चुनाव लड़ते हुए विद्या देवी ने 207 वोटों से विजय प्राप्त की है, जबकि उन्हे कुल 843 वोट मिले थे। गौरतलब है कि विद्या देवी अपने परिवार से सरपंच बनने वाली पहली सदस्य नहीं हैं, विद्या देवी से पहले उनके ससुर, उनके पति और उनका बेटा भी सरपंच बन चुना है। विद्या देवी के ससुर 20 सालों तक सरपंच की गद्दी पर विराजमान रहे हैं, जबकि उनके पति एक बार सरपंच रहे हैं और उनके बेटे को भी दो बार सरपंच चुना जा चुका है, इसके साथ विद्या देवी का पोता फिलहाल पार्षद है।


विद्या देवी ने चुनाव जीतने के साथ ही अपने वादों को पूरा करने की मंशा जताई है। विद्या देवी अपने स्वास्थ्य को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और अब वे विधवाओं को पेंशन दिलाने के साथ ही क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं को लेकर काम करना चाहती हैं।

पाकिस्तान से आकर जीता चुनाव

अपने नामांकन के दौरान ही चर्चा में आईं नीता कंवर साल 2001 में पाकिस्तान से भारत अपने चाचा के पास जोधपुर आ गयी थीं, हालांकि इस दौरान पढ़ाई और शादी होने के बावजूद उन्हे भारत की नागरिकता मिलने में खासा समय लग गया।


नीता को करीब 5 महीने पहले सितंबर 2019 में देश की नागरिकता मिली थी। नीता ने टोंक जिले की नटवाड़ा ग्राम पंचायत से चुनाव जीत कर सरपंच की गद्दी संभाली है।


नीता के अनुसार भारत में 7 साल बिताने के बाद उन्होने नागरिकता के लिए आवेदन किया था, लेकिन 2-3 बार उनके अववेदन को नकार दिया गया, इसके चलते उन्हे देर से भारत की नागरिकता मिल सकी।