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दिलकश है कला का कोरियाई कॉकटेल

कला, संस्कृति और सिनेमा का एक पर्फेक्ट कॉम्बो है ऑस्कर विनिंग फिल्म 'पैरासाइट'

दिलकश है कला का कोरियाई कॉकटेल

Friday March 20, 2020 , 5 min Read

फरवरी के महीने में 92वें एकेडमी अवॉर्ड्स (ऑस्कर) की घोषणा की गई। ऑस्कर अवॉर्ड्स के 92 सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी नॉन-इंग्लिश फिल्म ने बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड जीता हो। पिछले साल की बेस्ट फिल्म के खिताब से दक्षिण कोरिया की फिल्म 'पैरासाइट' को नवाजा गया।


ग़ौरतलब है कि कुछ साल पहले 2016 में दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग की किताब 'द वेजिटेरियन' को बूकर प्राइज मिला था। दक्षिण कोरिया कला, सिनेमा और संस्कृति का एक पर्फेक्ट कॉम्बो है। पढ़िए मशहूर लेखक और फ़िल्मकार पंकज दुबे की एक समीक्षा जो पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस लंदन में पत्रकार भी रह चुके हैं ।


दक्षिण कोरियाई फिल्म ‘पैरासाइट’ ने इस साल सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर जीता था।

दक्षिण कोरियाई फिल्म ‘पैरासाइट’ ने इस साल सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर जीता था।



किसी ऐसी जगह के बारे में कल्पना कीजिए जहां आपका ब्लड ग्रुप आपकी शख्सियत की खूबियों को परिभाषित करता है। वहां की लिफ्ट में चार नंबर नहीं होता है क्योंकि इसे अपशकुन माना जाता है। इस जगह पर पुरुषों के मेकअप का सामान फटाफट बिकता है और पसंदीदा शब्द व व्यंजन एक ही है- किमची (मसालेदार गोभी का कोरियाई पकवान) । ये सारी चीजें काफी अजीब लगती हैं लेकिन दक्षिण कोरियाई संस्कृति का हिस्सा हैं और पिछले दिनों पैरासाइट देखने के बाद मैं पुरानी यादों में खो गया।


मुझे 2016 के दौरान सियोल (दक्षिण कोरिया की राजधानी) में एक प्रतिष्ठित आर्ट स्पेस में लेखक के तौर पर दो महीने तक रहने का अवसर मिला। मेरे वहां जाने की खबर से मुझसे ज्यादा मेरी बेटी उत्साहित थी। वह चाहती थी कि मैं उसके लिए के-पॉप (कोरियाई पॉप) बैंड का ऑटोग्राफ लाऊं और मेरी बीवी ने मुझे एक फंकी कोरियाई हेयरकट करवाने के लिए कहा। हमें कहीं से पता चला था कि दक्षिण कोरिया के सैलूनों में 1000 से भी अधिक तरीकों से पुरुषों के बाल काटे जाते हैं।


मुझे दक्षिण कोरिया में उतरने के बाद महसूस हुआ कि यह देश अनोखेपन और खूबसूरती के अद्भुत तालमेल से बना है। यह कला और भावों के आधुनिक रचनात्मक परिदृश्य में अपनी पूर्व की पहचान को मजबूत कर रहा है और इन दोनों का मिलाप दक्षिण कोरिया की खूबसूरती को और निखार देता है।


दक्षिण कोरिया इतिहास की भूमि है और उनके क़िस्साग़ो अपने इतिहास से बहुत प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने अभी भी 16वीं शताब्दी में जापानी आक्रमण की यादों को नहीं मिटाया है। मुझे पता चला कि अब तक की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली और सबसे अधिक कमाई करने वाली दक्षिण कोरियाई फिल्म 'द एडमिरल: रोअरिंग करंट्स' (2014) है। इसमें दक्षिण कोरियाई लोगों की जापानियों को हराने की कहानी दिखाई गई।





यहां उत्तर कोरिया के मौजूदा शासक किम जोंग-उन के पिता किम जोंग-इल के बारे में एक दिलचस्प किस्सा है जो फिल्मों के काफी शौकीन थे। किम जोंग-इल की सिनेमा के लिए चाहत इतनी गहरी थी कि उन्होंने एक दक्षिण कोरियाई अभिनेत्री चोई इउन-ही और उनके पूर्व पति और फिल्म निर्माता शिन सांग-ओके के अपहरण का भी आदेश दे दिया। उन्हें विदेश में शरण मांगने तक कई फिल्में बनाने के लिए मजबूर किया गया। किम जोंग-इल ने उत्तर कोरिया में अपने निजी संग्रह के रूप में कोरियाई सिनेमा की कुछ शुरुआती मास्टरपीस को भी जुटाया। उनके संग्रह में लगभग 200 फिल्मों में से 1966 में निर्देशक ली मैन-ही की बनाई 'द लेट ऑटम' भी थी।


कोरियाई सिनेमा शुरुआती दिनों से काफी विकसित हुआ है। किसी दक्षिण कोरियाई फिल्म में पर्दे पर पहली किस 1954 में दिखाया गया था जबकि पश्चिम में इससे लगभग छह दशक पहले यानी 1896 फिल्म में पहला किसिंग सीन फिल्माया गया था।


दक्षिण कोरिया में उस समय हंगामा मच गया जब फिल्म 'द हैंड ऑफ डेस्टिनी' के मुख्य किरदारों ने कुछ सेकंड के लिए लिप-टू-लिप किस किया था। यह कोरियाई सिनेमा में एक प्रतीकात्मक क्षण था जिसने कन्फ्यूशियस (चीन के दार्शनिक) के मूल्यों और पश्चिमी सभ्यता के तेजी से बढ़ते प्रभाव के टकराव को रेखांकित किया।


उस दृश्य की वजह से निर्देशक और अभिनेत्री, दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ा जबकि किसिंग सीन अभिनेत्री के पति की सहमति से और उनकी उपस्थिति में शूट किया गया था। अभिनेत्री के पति ने बाद में नाराज होकर निर्देशक पर मुकदमा कर दिया लेकिन आखिर में दोनों ने समझौता कर लिया। हालांकि इन विवादों से फिल्म को मुफ्त की पब्लिसिटी मिली है और वह जबरदस्त हिट साबित हुई। इसके बाद वक्त और डिजिटल टेक्नोलॉजी के आगमन के साथ दक्षिण कोरियाई इंडस्ट्री ने दुनिया भर में बदलते मूल्यों के हिसाब से खुद को ढालकर माहौल को बेहतर बनाया।





इन सभी फैक्टर्स ने दक्षिण कोरिया में फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाया है। इसने इस भ्रांति को दूर किया है कि अपनी कहानियों को दुनिया की नजरों में लाने की कोशिश करना हमेशा शो ऑफ करने की कैटेगरी में नहीं आता है। मिकी ली (दक्षिण कोरियाई सिनेमा की गॉडमदर और पैरासाइट के एग्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर ) ने भी कहा था कि अगर उनके देश की कला व संस्कृति को और अधिक उजागर किया गया तो दुनिया इससे और ज्यादा प्यार करेगी। पैरासाइट का ऑस्कर जीतना साबित करता है कि वह सही थीं।


दक्षिण कोरियाई सिनेमा कुछ वक्त से संस्कृति, इतिहास और संघर्ष के मसाले में डूबा हुआ था जिसका बेहतरीन परिणाम पैरासाइट के रूप में मिला है। इससे कुछ साल पहले हान कांग की किताब 'द वेजिटेरियन' को बुकर प्राइज मिला था जिसने कोरियाई साहित्य को बढ़ावा दिया था और अब पैरासाइट ने यहां के सिनेमा को नई ऊंचाइयों और वैश्विक मंच पर पहुंचा दिया है।


अब 'गोगिगुई' का वक्त आ गया जो एक शानदार कोरियाई बारबेक्यू है। इसमें अलग विभिन्न प्रकार के मांस का अपने सामने टेबल पर ही ग्रिल करते हैं। कोरिया जाने पर इसका लुत्फ जरूर उठाना चाहिए।


दक्षिण कोरिया में दो खूबसूरत महीने बिताने के बाद मैं अपने कटे बालों के साथ वापस मुंबई आ गया लेकिन के-पॉप बैंड के ऑटोग्राफ की गुजारिश पूरी नहीं हो सकी। मेरी बेटी मेरे लाए फ्रिज मैग्नेट से ज़्यादा इम्प्रेस नहीं हो सकी और न ही मेरी बीवी ने मेरी नई हेयर स्टाईल की कोई तारीफ की। हाँ, ये ज़रूर हुआ कि मैं कोरियाई कल्चर से प्रभावित होकर और वहां की दुनिया के बारे में थोड़ा और संवेदनशील होकर लौट आया था।


अनुवाद: कुमार रवि

(Edited by प्रियांशु द्विवेदी)