27 साल के इस लड़के ने शौकिया तौर पर शुरू किया था बिजनेस, आज दे रहा पॉप कल्चर मर्चेंडाइज बिजनेस के महारथियों को टक्कर
जब रौनक शारदा ने चीन से मोबाइल फोन्स कवर्स का पहला बैच खरीदा था तो उन्हें यह मालूम नहीं था कि उनकी यह खरीदारी उनसे कुछ नया करवाएगी। कुछ ऐसा जिसके बारे में वह उस समय शायद ही अंदाज लगा पाएं।
वह याद करते हुए कहते हैं,
'मेरे 21वें जन्मदिन पर मेरे पिताजी ने मुझे 21,000 रुपये दिए थे। मैंने सारे पैसों को निवेश करने का फैसला किया और चीन से कुछ फोन कवर्स खरीदे। मैंने एक फेसबुक पेज बनाया और फोन कवर्स को बेचना शुरू किया। मैं खुद भी चकित था कि मैं कुछ ही दिनों में सभी फोन कवर्स बेचने में कामयाब रहा।'
यह साल 2013-14 के आसपास की बात है। भारत में स्मार्टफोन मार्केट धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा था। उसी वक्त ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स जो कि दुनियाभर में पॉप कल्चर ट्रेंड पर नजर बनाए हुए थे। वे मर्चेंडाइज बिक्री को अगली बड़ी चीज मान रहे थे। उस समय मर्चेंडाइज के लिए इनोवेटिव डिजाइन अपनी प्रारंभिक अवस्था में थी यानी कि नए-नए डिजाइन मार्केट में आ ही रहे थे। खासतौर पर फोन ऐक्सेसरीज की दुनिया में जहां क्रिएटिविटी और इनोवेशन धीरे-धीरे बढ़ रहे थे।
रौनक कहते हैं,
'मैंने महसूस किया कि भारतीय बाजार में काफी संभावनाएं हैं क्योंकि यहां के लोग अपने साथ वही ले जाना पसंद करते हैं जिसे वे पसंद करते हैं। उस वक्त बाजार में केवल सामान्य और एकदम सिंपल चीजें ही उपलब्ध थीं। इसने मुझे बिजनेस में घुसने के लिए प्रेरित किया।'
रौनक ने फेसबुक पेज की सफलता को एक पूर्ण विकसित ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म में बदल दिया। इस प्लैटफॉर्म पर फोन ऐक्सेसरीज के साथ बाकी प्रोडक्ट्स की एक बड़ी रेंज लिस्ट की गई। उस समय पॉप कल्चर से प्रेरित प्रोडक्ट्स जैसे- यूनिसेक्स टीशर्ट (वह टीशर्ट जिसे कोई भी पहन सकता हो), टोपियां, हुडीज और स्वेटशर्ट्स, एयरपॉड केसेज, मग, पोस्टर्स, नोटबुक्स और बाकी गैजेट्स काफी लोकप्रिय थे।
27 साल के उद्यमी रौनक कहते हैं,
'जब मैंने इस उपक्रम को शुरू किया था तो 20-30 लोग मुझसे प्रिंटेड बैक कवर्स के बारे में जानकारी लेते थे। धीरे-धीरे यह संख्या 100 पर पहुंची और फिर 150 पहुंच गई। फिलहाल हमें रोज हजारों लोगों से रिक्वेस्ट मिलती हैं। फोन ऐक्सेसरीज मार्केट में 'कवर इट अप' को सफलतापूर्वक एक गो-टू ब्रैंड के तौर पर स्थापित करने के पीछे का श्रेय फोन केसेज और कवर्स को लेकर रौनक के एकाकी दृष्टिकोण को जाता है।'
वह कहते हैं,
'हमने अपने मौके को एक सुअवसर के रूप में लिया।'
'कवर इट अप' के सोशल मीडिया पर 50 हजार फोलॉवर्स जोड़ने के बारे में बताते हुए वह कहते हैं,
'इस जबरदस्त फोलॉइंग के पीछे की प्राथमिक वजह हमारी पहल थी जो कि एक टीशर्ट कंपनी नहीं थी। हमने एक फोन कवर कंपनी के तौर पर शुरुआत की जिसे पॉप कल्चर में महारत हासिल थी। हमें उन लोगों से अटेंशन मिली जो अपने फोन पर कुछ क्रिएटिव करने का विचार रखते थे।'
जैसे ही 'कवर इट अप' ने अच्छी फॉलोइंग बना ली फिर हमारा ध्यान डिजाइन की ओर था। अब इस ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म के पास डिजाइन को लेकर एक समर्पित टीम थी। ऐसी टीम जो सुनिश्चित करे कि प्रोडक्ट अधिक लंबे समय तक चलने वाले और आसानी से कैरी किए जा सकने वाले हों। साथ ही ऐसी टीम जो पहले आइडिया तैयार करे और फिर उसकी सुंदरता और व्यवहारिकता पर रिसर्च करे।
वह कहते हैं,
'अधिकतर ब्रैंड्स इन-हाउस प्रोडक्ट बनाने का काम नहीं करते हैं। हमने महसूस किया कि ऐसा करके हम क्वॉलिटी को नियंत्रित कर सकते हैं और प्रोडक्ट डिस्पैच में लगने वाले समय को भी कम कर सकते हैं।'
चौगुनी रफ्तार से ग्रोथ
'कवर इट अप' ने भले ही शौक के तौर पर उड़ना शुरू किया हो लेकिन शुरुआत के 6 सालों में यह ई-कॉमर्स स्टार्टअप एक पूर्ण विकसित बिजनेस में बन गया है। साल 2014 में 250-300 केसेज बनाने और बेचने वाले इस स्टार्टअप की कैपिसिटी साल 2017-18 के बीच 30,000 पर पहुंच गई। 2019-20 के लिए रौनक कहते हैं कि उनका स्टार्टअप 1 लाख के आंकड़े पर पहुंचने के रास्ते पर है।
वह कहते हैं,
'2019 से कई पार्टनरशिप करने और एक अच्छी टीम होने के कारण पिछले साल की तुलना में हमने 4 गुना ग्रोथ की है।'
'कवर इट अप' ने लाइसेंस वाले मर्चेंटाइज बेचने के लिए कई बड़े नामों से साझेदारी की है। इनमें मार्वल, डीसी, वार्नर ब्रोस, फ्रेंड्स, हैरी पॉटर, स्टार वार्स, डिज्नी और लूनी टून्स जैसे कई हॉलिवुड के नामी स्टूडियो और फ्रेंचाइजी शामिल हैं। इनके अलावा यह स्टार्टअप चेन्नई सुपर किंग्स, कोलकाता नाईट राइडर्स, काला, दरबार और रोबॉट 2.0 के मर्चेंडाइज बेचने के लिए साझेदार है। इस स्टार्टअप ने कई बड़ी डील्स की हैं जिनसे इसे ग्लोबल मर्चेंडाइट मार्केट में स्थापित होने में मदद मिली।
फाउंडर कहते हैं,
'हमारी मर्चेंडाइज पार्टनरशिप के लिए कुछ मापदंड हैं जिनका हमें पालन करना होता है। इनमें ब्रैंड की ओर से बताई गईं गाइडलाइन्स शामिल हैं।'
'आइडिया और प्लानिंग के बाद हम सैंपल प्रोडक्ट बनाकर ब्रैंड के पास भेजते हैं। आखिर में जब हमारा प्रोडक्ट अप्रूव हो जाता है तो हम इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट और वेबसाइट पर लाइव कर देते हैं।'
हमारी क्रिएटिव टीम मार्केट में पहले से मौजूद मर्चेंटाइज ब्रैंड्स से कुछ हटके करने के लिए नए-नए आइडिया पर काम करती है। आखिरकार इस ब्रैंड की यूनीक और इनोवेटिव डिजाइन ही तो है जिसने 'कवर इट अप' को आज पॉप कल्चर मर्चेंडाइज मार्केट में खड़ा किया है।