महामारी में डायमंड कारोबार बंद होने के बाद शुरू किया डेयरी बिजनेस, अब लाखों रुपए कमाता है ये परिवार
गुजरात राज्य के मेहसाणा के रहने वाले मगन भाई नकुम का पूरा परिवार सालों से डायमंड के बिजनेस से जुड़ा था। अब से करीबन सत्रह वर्ष पहले 2005 में अधिक पेैसे कमाने के लिए मगन भाई अपने गाँव से निकल सूरत में डायमंड के व्यापार से जुड़ गए थे।
कहते हैं जब किस्मत का तख्ता पलटता है तो मेहनत ही काम आती है। कभी डायमंड का बिजनेस करने वाली इस फैमिली की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसे लॉकडाउन के कारण एक अच्छे-खासे बड़े प्रॉफ़िट वाले डायमंड के कारोबार को बंद करना पड़ गया।
लेकिन, यह परिवार निराश नहीं हुआ। फैमिली ने फिर से एक बार पशुपालन का व्यापार शुरू किया और सभी भाईयों ने मिलकर डेयरी बिज़नेस को खड़ा किया। अपने डेयरी के बिजनेस से आज यह परिवार सालाना करीब एक करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रहा है।
गुजरात राज्य के मेहसाणा के रहने वाले मगन भाई नकुम का पूरा परिवार सालों से डायमंड के बिजनेस से जुड़ा था। अब से करीबन सत्रह वर्ष पहले 2005 में अधिक पैसे कमाने के लिए मगन भाई अपने गाँव से निकल सूरत में डायमंड के व्यापार से जुड़ गए थे।
इससे पहले उनके पास एक तबेला था, जिसमें कुछ जानवरों के साथ वह दूध का धंधा करते थे। उनके गांव से निकलते ही अन्य भाईयों ने भी शहर का रुख अपना लिया और धीरे-धीरे पूरा परिवार सूरत में ही बस गया।
वह याद करते हुए कहते हैं, “मैंने और मेरी पत्नी ने पार्ट टाइम बिज़नेस के तौर पर बहुत छोटी सी शुरुआत की थी। आज से पांच साल पहले, हमने तकरीबन नौ बीघा जमीन और दो गायें खरीदी थीं। शायद उसी अनुभव के कारण आज हमारे पास 80 गायें हैं और हमारा वार्षिक टर्नओवर एक करोड़ का हो चुका है।”
पहले करते थे फैक्ट्री में काम
वर्ष 2005 में जब मगन भाई और उनकी पत्नी सूरत आए थे, तब वह सूरत की डायमंड फैक्ट्री में नौकरी करके अपनी रोजी-रोटी कमाते थे। उनके अन्य भाइयों में भी उन्हीं की फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने स्वयं के डायमंड के बिजनेस की शुरुआत की। जो साल 2020 तक उन्हें अच्छा मुनाफा भी दे रहा था। लेकिन, वक़्त को बदलते नहीं लगी। पूरे विश्व में फैली महामारी के चलते उनके डायमंड बिज़नेस पर भी बुरा असर पड़ा।
डायमंड बिजनेस छोड़ डेयरी व्यापार में उतरा परिवार
21 मार्च, 2020 के लॉकडाउन के बाद सभी कारोबार ठप से हो गए। डायमंड के कारोबार की कमर भी टूट गई। पूरा परिवार गांव वापस आ गया। कुछ करने की चाहत ने डेयरी फार्मिंग की ओर प्रोत्साहित किया। गांव में खुद की जमीन इस बिजनेस के लिए पर्याप्त थी, जिसके बाद परिवार के सभी सदस्य डेयरी फार्मिंग से जुड़ गए। उनके पास मौजूद जमीन में से, लगभग एक बीघा हिस्सा गौशाला के इस्तेमाल में प्रयोग किया जाता है।
अन्य शेष जमीन में जैविक तरिके से गायों के लिए चारा उगाया जाता है। खेती के लिए गाय के गोबर और गौमूत्र का ही उपयोग किया जाता है, जिससे जैविक चारे और जैविक दूध के लिए बाहरी बाजार की निर्भरता समाप्त हो गयी।
पत्नी जमुना बेन करती हैं जैविक खाद का व्यापार
मगन भाई नकुम का पूरा परिवार जहां डेयरी फार्मिंग में दिन-रात कड़ी मेहनत करता है। वहीं, उनकी पत्नी जमुना बेन गाय की गोबर से प्राप्त की खाद बनाकर जैविक खाद का बिंजनेस करती हैं। वह प्रतिदिन करीब 200 बैग्स बेंचती हैं। उनकी एक बोरी की कीमत तकरीबन 250 रुपए है। इसके अलावा वे किसानों को गौमूत्र भी बेच लेते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi