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नेशनल एथलेटिक्स में परचम लहराने के बाद युवाओं को फ्री में ट्रेनिंग देते हैं धनबाद के सरफराज, इनके सिखाए कई खिलाड़ी जीत चुके हैं पदक

सरफराज साल 1990 से लेकर 2001 तक नेशनल एथलेटिक्स के खिलाड़ी रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने न केवल सौ मीटर या दो सौ मीटर की दौड़ में अव्वल रहने का खिताब अपने नाम किया है, बल्कि आठ सौ मीटर की बाधा दौड़ में भी कई राष्ट्रीय पदक जीते हैं.

नेशनल एथलेटिक्स में परचम लहराने के बाद युवाओं को फ्री में ट्रेनिंग देते हैं धनबाद के सरफराज, इनके सिखाए कई खिलाड़ी जीत चुके हैं पदक

Tuesday March 08, 2022 , 3 min Read

झारखण्ड राज्य के धनबाद जिले में स्थित शमशेर नगर इलाके के रहने वाले सरफराज ने पहले खुद नेशनल लेवल पर अपने नाम का परचम लहराया, अब अन्य नौजवनों को भी फ्री में ट्रेनिंग देकर खेल में भविष्य बनाने में उनका दिलोजान से सहयोग कर रहे हैं। 47 वर्षीय मो. सरफराज युवाओं को एथलेटिक्स खिलाड़ी बनाने में शिद्दत से मेहनत करते हैं।

सरफराज साल 1990 से लेकर 2001 तक नेशनल एथलेटिक्स के खिलाड़ी रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने न केवल सौ मीटर या दो सौ मीटर की दौड़ में अव्वल रहने का खिताब अपने नाम किया है, बल्कि आठ सौ मीटर की बाधा दौड़ में भी कई राष्ट्रीय पदक जीते हैं। इसके बाद सरफराज ने एथलेटिक्स छोड़ दिया और युवाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने का काम करने लगे।

मो. सरफराज

मीडिया से बात करते हुए सरफराज कहते हैं, “मैंने 1990 में करियर की पहली दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया था। 1991 में कटक में आयोजित एक सौ मीटर की नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में मुझे ब्रांज मेडल हासिल हुआ। इसके बाद 1992 में कर्नाटक में आयोजित नेशनल एथलेटिक्स दौड़ प्रतियोगिता का प्रथम धावक रहा और वर्ष 1994 में केरल में ऑल इंटर यूनिवर्सिटी दौड़ प्रतियोगिता में मैंने आठवां स्थान प्राप्त किया।"

राष्ट्रीय स्तर पर भी लहराया परचम

सरफराज की जीत का सिलसिला अभी समाप्त नहीं हुआ था। उन्होंने वर्ष 1995 में चंडीगढ़ में आयोजित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में भी बाजी मारी। इसके अलावा साल 1996 में जयपुर में आयोजित हुए नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी क्वालीफाई किया। वर्ष 2001 में सरफराज ने राष्ट्रीय दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने नाम का परचम लहराया और इस दौरान उन्होंने कई पदक हासिल किए। 

कैसे हुई फ्री ट्रेनिंग देने की शुरुआत

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरफराज ने फ्री ट्रेनिंग देने के बारे में पहले कभी नहीं सोचा था। लेकिन खेल छोड़ने के कुछ दिनों बाद जब एक दिन सरफराज ने मैदान में युवाओं को दौड़ते देखा, तब उनके मन में विचार आया कि क्यों न इस नई पीढ़ी को भी राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जाए। फिर उन्होंने पास के ही पॉलटेक्निक ग्राउंड पर लड़कों और लड़कियों को प्रशिक्षण देना शुरु किया।

सरफराज अब तक सौ से भी अधिक युवाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं, जिनमें से कई खिलाड़ियों ने भी राज्य व राष्ट्रीय स्तर की दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेकर कई पदक अपने नाम किए हैं।  

मो. सरफराज

खेल की बदौलत सेना में मिली युवाओं को नौकरी

लंबे समय तक खेल में अपना समय गुजारने वाले सरफराज की मेहनत और मशक्कत की बदौलत ही उनके सिखाए कई युवाओं ने राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर की दौड़ में मेडल जीतने के बाद आर्मी और पुलिस में शामिल होकर अपने जीवन को नई दिशा दी है। सरफराज के कुशल प्रशिक्षण की बदौलत अब तक सैकड़ों नौजवानों को सरकारी नौकरियां भी मिल चुकी हैं। 


Edited by Ranjana Tripathi