इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल से बॉयोडीजल बनाने की योजना की 100 शहरों में शुरुआत
सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने देश के 100 शहरों में इस्तेमाल हो चुके खाना पकाने के तेल से बने बॉयोडीजल को खरीदने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने औपचारिक तौर पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत तीनों तेल विपणन कंपनियां इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल से बॉयोडीजल बनाने के लिए संयंत्रों की स्थापना को निजी इकाइयों से अभिरूचि पत्र आमंत्रित करेंगे।
शुरुआत में तेल विपणन कंपनियां इस प्रकार बायोडीजल को 51 रुपये प्रति लीटर की तय दर से खरीदेंगी। दूसरे साल में उसे बढ़ाकर 52.7 रुपये एवं तीसरे वर्ष में 54.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया जाएगा।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल के पुन:इस्तेमाल (आरयूसीओ) का स्टिकर एवं इस्तेमाल हो चुके खाना पकाने के तेल (यूसीओ) को एकत्र करने को लेकर एक मोबाइल ऐप की भी शुरुआत की। होटल और रेस्तरां अपने परिसरों में ऐसे स्टिकर लगाएंगे कि वे बॉयोडीजल उत्पादन के लिए यूसीओ की आपूर्ति करते हैं।
विश्व जैव ईंधन दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा, "कुकिंग ऑयल के अलावा अन्य कई प्रारूप में भी बॉयोडीजल उपलब्ध है। हम विश्व जैव ईंधन दिवस को वैकल्पिक ऊर्जा दिवस के रूप में मनाएंगे।"
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस मौके पर यूसीओ से बॉयोडीजल के उत्पादन को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि खाना पकाने के इस्तेमाल हो चुके तेल के बार-बार इस्तेमाल से उच्च रक्तचाप, एथेरोस्क्लेरोसिस, अल्जाइमर और यकृत से जुड़ी बीमारियों का खतरा होता है।