पीएम मोदी ने दी है बिहार के 45 हज़ार से अधिक गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट की सौगात, कुछ इस तरह होता है इसके जरिये तेज़ डाटा ट्रांसफर
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवा से जोड़ने की योजना का शिलान्यास किया है। इसे 31 मार्च 2021 तक पूरा किया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवा से जोड़ने की योजना का शिलान्यास किया है। पीएम मोदी का यह कदम डिजिटल इंडिया अभियान के तहत है, जिसके जरिये इन सभी गांवों को तेज़ रफ्तार इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। इस दौरान पीएम मोदी के यह कहा है कि ‘गांवों में तेज़ इंटरनेट सेवा पहुँचने के साथ ही वहाँ दुनिया भर की किताबें और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाओं तक पहुँच आसान हो जाएगी।’
पीएम मोदी द्वारा बिहार में लांच की गई परियोजना की बात करें तो यह परियोजना 1 हज़ार करोड़ रुपये लागत की है, जिसे 31 मार्च 2021 तक पूरा किया जाना है। इसे दूरसंचार विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और कॉमन सर्विस सेंटर (CSCs) द्वारा संयुक्त रूप से निष्पादित किया जाएगा।
इस परियोजना के तहत लगभग छह लाख गांवों को 1,000 दिनों में ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से इंटरनेट सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इसमें बिहार की 8,386 ग्राम पंचायतों के सभी 45,945 गाँव शामिल हैं, जो मार्च 2021 तक इस सुविधा को प्राप्त कर लेंगे।
लेकिन ये ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी इंटरनेट सेवा आखिर है क्या और यह कैसे काम करती है?
ऑप्टिकल फाइबर केबल सिलिका ग्लास या फिर प्लास्टिक की बनी होती है। इसके भीतर कई छोटे और पतले तारों का एक गुच्छा होता है, जिसके जरिये डाटा ट्रांसमिट किया जाता है। गौरतलब है कि इन तार के रेशों की मोटाई लगभग इंसानी बाल के बराबर होती है।
तेज़ इंटरनेट के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल को सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इसमें डाटा ट्रांसमिशन बिजली के जरिये नहीं, बल्कि लाइट (प्रकाश) के जरिये होता है। कम शब्दों में कहें तो जानकारी को लाइट के रूप में प्रवाहित किया जाता है। डाटा के अनुसार इन केबल्स के जरिये डाटा ट्रांसमिशन की रफ्तार काफी अधिक या कहें तो तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंड तक हो सकती है।
ऐसा नहीं है कि ऑप्टिकल फाइबर की शुरुआत अभी-अभी हुई है। दरअसल इसे सबसे पहले 1966 में टेस्ट किया गया था, हालांकि तब यह अधिक विकसित नहीं था और इसपर लगातार काम जारी बना रहा। तमाम बदलावों और संसोधनों के बाद आज हम ऑप्टिकल फाइबर केबल को इस रूप में इस्तेमाल कर पा रहे हैं।
अधिक तेज़ डाटा ट्रांसफर
डाटा ट्रांसफर की बात करें तो कॉपर केबल के जरिये डाटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि ऑप्टिकल फाइबर लाइट पल्स के जरिये डाटा ट्रांसफर को अंजाम दिया जाता है। लंबी दूरी तक डाटा को भेजने के लिए उसकी क्षमता को बनाए रखने के उद्देश्य से इसमें एम्प्लिफायर्स और रिपीटर्स का इस्तेमाल किया जाता है।
ऑप्टिकल फाइबर के जरिये डाटा ट्रांसफर करने के कई फायदे भी हैं, जिसमें हाई बैंडविथ, सुरक्षा, कम ऊर्जा खपत और शॉर्ट सर्किट से भी सुरक्षा बनी रहती है। हालांकि इसकी लागत और मरम्मत थोड़ी महंगी पड़ती है, जिसके चलते इसे बड़े स्तर पर अपनाना थोड़ा महंगा पड़ जाता है।