डिजिटल बैंकिंग यूनिट: बैंक खुद चलकर आएंगे आपके घर, मिलेंगी ये सुविधाएं
देश में बैंकिंग सिस्टम को सशक्त करने की शुरुआत 2014 में जनधन खाते (JanDhan accounts) से ही हो गई थी. आज देश में करीब 47 करोड़ जनधन खाता है. ऐसे में डिजिटल बैंकिंग सिस्टम (digital banking system) को और बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल बैंकिंग यूनिट (digital banking units) की शुरुआत की है, जहां ग्राहक जाकर अपने बैंक से जुड़े हर छोटे-बड़े काम खुद कर सकेंगे. पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आजादी के अमृत काल में देश को 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट समर्पित की. बैंकिंग सुविधाओं को देश के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स मिल का पत्थर साबित हो सकती हैं.
75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स को लॉन्च करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि डीबीयू आधुनिक भारत की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है. ये सर्विस कागजी, लिखा-पढ़ी और अन्य झंझटों से मुक्त होगी. ये डिजिटल बैंकिंग सेवाएं पहले से ज्यादा आसान होगी. अब चाहे गांव, शहर या छोटे शहर में पैसे भेजने से लेकर लोन लेने तक सब कुछ आसान हो जाएगा. पीएम ने आगे कहा कि हमारा उद्देश्य बैंकिग व्यवस्था को सुधारना, मजबूत करना और उसमें पारदर्शिता लाना है. लोगों का सशक्तिकरण हमारी सरकार का लक्ष्य है. बैंक खुद चलकर गरीब के घर जाएंगे, इसके लिए हमें बैंक और गरीबों के बीच की दूरी कम करनी होगी.
डिजिटल बैंकिंग यूनिट ग्राहकों को साल भर बैंकिंग प्रोडक्ट्स और सर्विसेज तक किफायती, सुविधाजनक पहुंच और बेहतर डिजिटल अनुभव प्रदान करने में सक्षम बनायेंगी. वे डिजिटल वित्तीय साक्षरता का प्रसार करेंगी और ग्राहकों को साइबर सुरक्षा, जागरूकता और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करने पर विशेष जोर दिया जायेगा. इसके अलावा डिजिटल बैंकिंग इकाइयों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से या उसके बिजनेस सर्विस प्रोवाइडर, बिजिनेस फैसिलिटेटर्स या कॉरेस्पॉन्डेंट्स के माध्यम से प्रस्तुत किये जा रहे बिजनेस और सर्विस से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करने और उनको सहायता उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त डिजिटल व्यवस्थाएं होंगी.
क्या है डिजिटल बैंकिंग यूनिट?
DBU की स्थापना के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंक, 12 निजी बैंक और एक लघु वित्त बैंक इस प्रयास में भाग ले रहे हैं. इन कमर्शियल बैंकों के पिछले डिजिटल बैंकिंग रिकॉर्ड और अनुभव को देखते हुए डीबीयू खोलने की अनुमति दी गई है. इसके तहत येइन बैंकों को टियर 1 से टियर 6 केंद्रों में डीबीयू खोलने की अनुमति है, जब तक कि किसी विशेष कारण से प्रतिबंधित न हो.
ऐसे लोग जिनके पास अपना कंप्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन नहीं है, उनके लिए डिजिटल बैंकिंग यूनिट काफी मददगार बनेगा. ऐसे लोग डीबीयू से लोगों को बैंक में किसी भी कार्य के लिए लाइन लगाने या घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इन बैंकिंग यूनिट में जा कर वो डिजिटल माध्यम से अपना काम खुद कर सकेंगे. इन डूबीयू में इंटरनेट समेत तमाम सुविधाएं रहेंगी.
डीबीयू विशिष्ट फिक्स्ड पॉइंट बिजनेस यूनिट या हब हाउसिंग है, जो डिजिटल बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं को वितरित करने के साथ-साथ मौजूदा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को डिजिटल रूप से किसी भी समय सेल्फ सेवा और सहायता मोड में काम करेगा. इसके साथ ही डीबीयू एक प्रभावी, पेपर लेस, सुरक्षित परिवेश में ऐसे उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच और उन्नत डिजिटल अनुभव है, जिसमें अधिकांश सेवाएं किसी भी समय, पूरे वर्ष में सेल्फ सर्विस मोड में उपलब्ध होती हैं.
मिलेंगी ये सुविधाएं
इन डिजिटल बैंकिंग यूनिट में लोगों को बचत खाता खोलने, कैश ट्रांसफर करने, फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करने, लोन के लिए आवेदन करने, जारी किए गए चेक के लिए स्टॉप पेमेंट निर्देश देने, क्रेडिट या डेबिट कार्ड के लिए आवेदन करने, खाते का विवरण देखने, टैक्स का भुगतान करने, बिलों का भुगतान करने, नामांकन करने जैसी विभिन्न बैंकिंग डिजिटल सुविधाएं मिलेंगी.
आम बजट में हुई थी घोषणा
बता दें कि 2022-23 के बजट में, केंद्रीय बजट भाषण के अंतर्गत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के 75 जिलों में 75 डीबीयू की स्थापना किए जाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि “हाल के वर्षों में, देश में डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल भुगतान और फिनटेक इनोवेशंस में तीव्र गति से वृद्धि हुई है. सरकार इन क्षेत्रों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिजिटल बैंकिंग का लाभ देश के कोने-कोने में उपभोक्ता-हितैषी तरीके से पहुंचे. इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए, और आजादी के 75 साल पूरे होने पर, वाणिज्यिक बैंकों द्वारा देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स (DBUs) स्थापित करने का प्रस्ताव है. इनके अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया जाएगा.
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Edited by रविकांत पारीक