मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ डेटाबेस से बाहर, जानें PNB घोटाले में अब तक क्या हुआ
मेहुल चोकसी ज्वैलरी से जुड़े गीतांजलि ग्रुप का मालिक है.
हाइलाइट्स
- मेहुल चोकसी ज्वैलरी से जुड़े गीतांजलि ग्रुप का मालिक
- 13,000 करोड़ के PNB घोटाले में है वांछित
- चोकसी के पास साल 2017 से एंटीगुआ की नागरिकता
पंजाब नेशनल बैंक (PNB or Punjab National Bank) में 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) का नाम इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ से हटा दिया गया है. कहा जा रहा है कि फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरपोल के मुख्यालय में चोकसी द्वारा दायर याचिका के आधार पर यह कदम उठाया गया है. ‘रेड नोटिस’ को रेड कॉर्नर नोटिस भी कहा जाता है. यह 195-सदस्यीय देशों के संगठन इंटरपोल द्वारा दुनिया भर में कानून लागू करने वाली एजेंसियों को प्रत्यर्पण (Extradition), आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए आरोपी व्यक्ति का पता लगाने और हिरासत में लेने के लिए जारी किए गए ‘अलर्ट’ का उच्चतम स्तर है. कहा जा रहा है कि रेड नोटिस डेटाबेस से बाहर होने के बाद मेहुल चोकसी अब एंटीगुआ और बारबुडा से पूरी दुनिया में कहीं भी जा सकता है.
मेहुल चोकसी ज्वैलरी से जुड़े गीतांजलि ग्रुप (Gitanjali Group) का मालिक है. 5 मई 1959 को मुंबई में जन्मे मेहुल ने साल 1975 में जेम्स एवं ज्वैलरी सेक्टर में कदम रखा. साल 1985 में पिता से गीतांजलि जेम्स के कारोबार की लीडरशिप हासिल हुई. मेहुल ने अपने कारोबार से करीब 70 ब्रांड डेवलप किए- जैसे कि नक्षत्र, डी डमास, Gilli, Asmi, गोल्ड एक्सप्रेशंस, विवाह गोल्ड, Sangini, Maya, Giantti, World of Solitaire आदि. भारत के अलावा गीतांजलि के विदेश में भी कई स्टोर थे. गीतांजलि ग्रुप अपने पीक पर था लेकिन तभी PNB घोटाला सामने आया. मेहुल चोकसी और उसके भांजे हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक में 13000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया. यह साल 2018 में सामने आया. आइए जानते हैं कि पीएनबी घोटाले में मेहुल चोकसी के मामले में अब तक क्या हुआ...
ऐसे दिया घोटाले को अंजाम
पीएनबी घोटाले का पर्दाफाश होने से पहले ही नीरव और मेहुल देश छोड़कर फरार हो गए. दरअसल नीरव मोदी ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) और स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम के दुरुपयोग के जरिए स्कैम को अंजाम दिया. बैंक इसी सिस्टम से विदेशी लेन देन के लिए LOUs के जरिए दी गई गारंटी को ऑथेंटिकेट करते हैं. नीरव मोदी 2011 में बिना तराशे हीरे आयात करने के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए पीएनबी की एक ब्रांच गया और कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी एलओयू जारी किए गए.
इन फर्जी एलओयू के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने लोन दिया. जब फर्जी एलओयू मैच्योर होने लगा तो पीएनबी के उन कर्मचारियों ने 7 साल तक दूसरे बैंकों की रकम का इस्तेमाल इस लोन को रीसाइकिल करने के लिए किया. जनवरी 2018 में जब नीरव मोदी ने फिर से पीएनबी के साथ फर्जीवाड़ा करना चाहा तो नए अधिकारियों ने गलती पकड़ ली और घोटाला बाहर आ गया. इस वक्त नीरव मोदी को भारत वापस लाने की कोशिशें की जा रही हैं. नीरव मार्च 2019 में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तारी के बाद से लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है. लंदन स्थित उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2022 में प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ नीरव को ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही नीरव मोदी के लिए ब्रिटेन की अदालतों में सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो गए हैं.
7080.86 करोड़ की हेराफेरी मेहुल की
सीबीआई ने पीएनबी घोटाला मामले में चोकसी और उनके भतीजे हीरा कारोबारी नीरव मोदी दोनों को अलग से चार्ज किया है. सीबीआई ने अपनी चार्ज शीट में आरोप लगाया है कि 13000 करोड़ रुपये से ज्यादा के पीएनबी घोटाले में 7,080.86 करोड़ रुपये की हेराफेरी मेहुल चोकसी की ओर से की गई. नीरव मोदी ने कथित तौर पर 6,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. चोकसी की कंपनियों के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त लोन डिफॉल्ट भी सीबीआई के तहत जांच का मामला है. भारत में स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने मार्च 2018 में चोकसी, नीरव मोदी और फायरस्टार डायमंड्स के मालिक नीशल दीपक मोदी के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया था.
2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस
इंटरपोल ने 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. भारत से फरार होने के लगभग 10 महीने बाद यह नोटिस जारी किया गया था. उसी साल चोकसी ने एंटीगुआ एवं बारबुडा की नागरिकता ले ली थी. चोकसी ने अपने खिलाफ रेड नोटिस जारी करने संबंधी सीबीआई के आवेदन को चुनौती दी थी और इस मामले को राजनीतिक साजिश का नतीजा करार दिया था. चोकसी ने अपनी याचिका में भारत में जेल की स्थिति, उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी उठाया था.
इसके बाद चोकसी मई 2021 में एंटीगुआ और बारबुडा में अपनी पनाहगाह से रहस्यमय तरीके से गायब होकर पड़ोसी मुल्क डोमिनिका में चला गया था. लेकिन वहां उसे अवैध प्रवेश के लिए हिरासत में लिया गया था. चोकसी के डोमिनिका में होने की खबर मिलने के बाद CBI DIG शारदा राउत की अगुवाई में भारत से अधिकारियों की टीम भेजी गई ताकि इंटरपोल के रेड नोटिस के आधार पर चोकसी को भारत वापस लाने के लिए हर कोशिश की जा सके.
लेकिन चोकसी को वापस लाने का भारत का प्रयास असफल रहा. चोकसी के वकील की ओर से कहा गया कि चोकसी अपने आप डोमिनिका नहीं पहुंचा, बल्कि भारतीय एजेंसियों की ओर से उसका अपहरण कर डोमिनिका लाया गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि चोकसी को भारत सौंपा जाना सरल हो सके. चोकसी 51 दिनों तक जेल में रहा. उसके बाद डोमिनिका हाई कोर्ट ने जुलाई 2021 में चोकसी को एंटीगुआ बेस्ड न्यूरोलॉजिस्ट से मेडिकल सहायता प्राप्त करने के लिए एंटीगुआ जाने के लिए जमानत दे दी. लेकिन इस शर्त के साथ कि चोकसी अपने डॉक्टरों द्वारा फिटनेस क्लीयरेंस होने पर मुकदमे के लिए वापस डोमिनिका आएगा. बाद में, डोमिनिका में अवैध प्रवेश को लेकर चोकसी के खिलाफ सभी प्रोसिडिंग्स को ड्रॉप कर दिया गया.
क्या है इंटरपोल का ताजा आदेश
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरपोल के आदेश में कहा है कि इस बात की एक विश्वसनीय संभावना है कि मेहुल चोकसी का एंटीगुआ से डोमिनिका में अपहरण का अंतिम उद्देश्य उसे भारत भेजना था और उसे भारत लौटने पर सही न्याय मिलने में जोखिम का सामना करना पड़ सकता है. चोकसी के पास साल 2017 से एंटीगुआ की नागरिकता है. प्रवर्तन निदेशालय चोकसी और नीरव मोदी से जुड़े भारत में कई एसेट्स/प्रॉपर्टीज अटैच कर चुके हैं.