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दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, सांस लेना हुआ दूभर, वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में पहुंचा

दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, सांस लेना हुआ दूभर, वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में पहुंचा

Saturday December 21, 2019 , 2 min Read

दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सांसों पर एक बार फिर मंडराने लगा जहरीला संकट।

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फोटो क्रेडिट: hindustantimes

दिल्ली में तापमान और हवा की गति में गिरावट और उच्च आर्द्रता की वजह से शुक्रवार को वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक शुक्रवार शाम चार बजे 432 के स्तर पर पहुंच गया जो ‘‘गंभीर’’ श्रेणी है।


अधिकारियों ने बताया,

कोहरे के कारण सूरज की किरणें जमीन पर नहीं पहुंच पाई और ठंड के कारण प्रदूषण फैलाने वाले कण सतह के नजदीक ही बने रहे। हवा की गति कम होने से स्थिति खराब हुई।


उन्होंने बताया कि

दिल्ली में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और अधिकतम तापमान 17.5 डिग्री सेल्सियस रहा। दोनों ही सामान्य तापमान से पांच डिग्री कम है।



अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को हवा की गति बढ़ने से स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है और कुछ इलाकों में बूंदाबूंदी हो सकती है। वायु प्रदूषण की जांच करने वाली सरकारी संस्था सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) की मानें तो दिल्ली-NCR की हवा प्रदूषण के मामले में आपातकालीन स्थिति में है। बताया जा रहा है कि हवा की गति में आई कमी और कम तापमान ने हवाओं को ठंडा और घना बना दिया है। इसकी वजह से प्रदूषण के तत्व एक ही जगह पर जमा हो रहे हैं।


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फोटो क्रेडिट: business-standard

आपको बता दें कि इससे पहले बीते माह 13 नवंबर को दिल्ली सरकार ने गुरुनानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर दो दिनों के लिए ऑड-ईवन योजना को रोक दिया था। जिसकी वजह से भी प्रदूषण बढ़ा था।


उस समय यह भी खबर मिली थी कि EPCA के प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली-NCR के कुछ इलाकों में आतिशबाजी की गई थी। जिसके कारण राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 12 नवंबर को शाम 4 बजे 425 और रात 9 बजे 437 था।


जबकि इसके ठीक एक दिन पहले यानि कि 11 नवंबर को 4 बजे यह सूचकाकं 360 था। वहीं, पीएम-2.5 की मात्रा 337 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई थी।


गौरतलब हो कि पीएम-2.5 यानी प्रदूषण तत्वों के सबसे छोटे कण यानी जो 2.5 माइक्रोन व्यास से भी छोटे होते हैं, ये आसानी से आपके फेफड़े और खून में मिल सकते हैं।


(Edited by रविकांत पारीक )