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निजी अस्पताल सरकार पर नहीं डाल सकते अपनी सुरक्षा का भार: सुप्रीम कोर्ट

निजी अस्पताल सरकार पर नहीं डाल सकते अपनी सुरक्षा का भार: सुप्रीम कोर्ट

Wednesday September 07, 2022 , 2 min Read

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निजी अस्पतालों की सुरक्षा से जुड़ी एक याचिका पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति एस के कौल (Justices SK Kaul) और न्यायमूर्ति ए एस ओका (A S Oka) की पीठ ने कहा कि इस देश में बड़ी संख्या में अस्पताल, नर्सिंग होम और चिकित्सा संस्थान निजी हैं. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार से ये आशा नहीं की जा सकती कि वे इन निजी संस्थानों के कर्मियों की सुरक्षा उपल्ब्ध कराए.


पीठ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की असम राज्य शाखा के अध्यक्ष डॉक्टर सत्यजीत बोरा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें याचिकाकर्ताओं ने आग्रह किया था कि अधिकारियों को अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए ताकि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों पर मरीजों के रिश्तेदारों और अन्य लोगों के हमलों को रोका जा सके.


इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में अस्पताल, नर्सिंग होम और चिकित्सा केंद्र निजी हैं. पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से पूछा कि आप चाहते हैं कि सरकार प्रत्येक अस्पताल को सुरक्षा प्रदान करे? निजी संस्थानों को अपनी सुरक्षा की व्यवस्था खुद करनी चाहिए. आप सरकार पर बोझ नहीं डाल सकते.


अदालत की इस सख्त टिपण्णी के बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वे अपनी याचिका में जरूरी संशोधन के बाद संबंधित दस्तावेज जमा करेंगे. पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि इसमें विवरण का अभाव है. साथ ही पीठ ने आगे कहा कि आगे भी हम इस तरह की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं. पीठ ने कहा कि हम राज्य सरकार या केंद्र सरकार से निजी अस्पतालों के लिए सुरक्षा प्रदान करने की उम्मीद नहीं कर सकते जो कि व्यावसायिक उद्यम हैं.


इस टिपण्णी से सर्वोच्‍च अदालत ने साफ कर दिया कि निजी अस्पतालों को अपने स्‍टाफ की सुरक्षा खुद करनी होगी. निजी व्यावसायिक उद्यम अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार से नहीं रख सकते.