भारत-प्रशांत क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर पर क्वाड देश खर्च करेंगे 50 अरब डॉलर
सम्मेलन में पीएम मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस भी शामिल हुए हैं.
क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (Quad) देशों ने मंगलवार को पांच वर्षों में भारत-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश के लिए 50 अरब अमेरिकी डॉलर आवंटित करने पर सहमति व्यक्त की। क्वाड देशों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. चारों देशों ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर सहयोग बढ़ाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं के साथ टोक्यो में दूसरे इन-पर्सन क्वाड लीडर्स समिट में भाग लिया.
शिखर सम्मेलन के दौरान, नेताओं ने एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता और संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को दोहराया. सम्मेलन में पीएम मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस भी शामिल हुए हैं.
ऋण के मसलों को भी किया जाएगा हल
क्वाड देशों के नेताओं ने एक साझा बयान में कहा, "हम अंतर को पाटने के लिए सार्वजनिक और निजी निवेश को चलाने के लिए भागीदारों और क्षेत्र के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसे प्राप्त करने के लिए, क्वाड अगले 5 वर्षों में भारत-प्रशांत क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग और निवेश बढ़ाकर 50 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा करने की कोशिश करेगा. क्वाड लीडर्स ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में उत्पादकता और समृद्धि को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर सहयोग गहरा करना महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने ऋण के मसलों को हल करने की प्रतिबद्धता भी साझा की, जो कई देशों में महामारी की वजह से बढ़ गए हैं.
और क्या जताई प्रतिबद्धता
बयान में कहा गया, "हम G20 कॉमन फ्रेमवर्क के तहत ऋण के मुद्दों से निपटने के लिए और 'क्वाड डेट मैनेजमेंट रिसोर्स पोर्टल' सहित संबंधित देशों के वित्त अधिकारियों के साथ निकट सहयोग में ऋण स्थिरता व पारदर्शिता को बढ़ावा देते हुए देशों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काम करेंगे. इसमें कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय क्षमता निर्माण सहायता शामिल हैं." चारों देशों के नेताओं ने क्षेत्रीय और डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वच्छ ऊर्जा, और ऊर्जा से संबंधित सुविधाओं में डिजास्टर रिजीलिएंस सहित क्लाइमेट रिजीलिएंस जैसे पहचाने गए क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने और पूरक कार्यों को आगे बढ़ाने का वादा किया.