भारतीय भोजन को 'बकवास' कहने पर पूरी दुनिया में मचा नस्लवादी बवाल
आमतौर पर हमारे देश के जायकेदार खानपान की अब तक पूरी दुनिया में प्रशंसा होती रही है लेकिन एक अमरीकी शिक्षाविद् प्रोफ़ेसर टॉम निकोल्स द्वारा भारतीय व्यंजन को 'बकवास' कहने पर नस्लवादी शोर-शराबा शुरू हो गया है। टॉम की आधारहीन टिप्पणी से सांस्कृतिक असहिष्णुता और नस्लवाद से जुड़ी बहसों को बल मिला है।
अमरीकी शिक्षाविद् प्रोफ़ेसर टॉम निकोल्स की बात का खंडन करते हुए कहा जा रहा है कि जिस खाने का दुनिया की सबसे बड़ी आबादी सेवन करती है, उसे बकवास कहना ठीक नहीं है। सेलेब्रिटी शेफ़ पद्मा लक्ष्मी लिखती हैं कि क्या टॉम की ज़बान ज़ायका नहीं समझती? एक अन्य ने लिखा है कि कल्पना कीजिए, पूरी ज़िंदगी बेस्वाद गुज़ारनी पड़े।
न्यूयॉर्क के एक पूर्व सरकारी वक़ील प्रीत भरारा ने ट्वीट किया है कि
'टॉम, मैं तुम्हें एक शानदार जगह लेकर चलूंगा, हमें इस देश को एकजुट बनाना है।'
कई लोगों ने कहा है कि टॉम ने शायद भारतीय व्यंजनों में से 'एक फ़ीसदी से भी कम' का स्वाद लिया है। सच भी है कि उन्होंने केवल अमेरिकी और ब्रिटिश रेस्तरां में खाना खाया है।
दरअसल, अमरीका में अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों को कई बार 'एथनिक फ़ूड' कहा जाता है और साथ ही 'सस्ता' भी। इसलिए कई लोग 'भारतीय स्ट्रीट फ़ूड के उन अमरीकी वर्ज़न' से वाक़िफ़ हैं, जिनमें असली भारतीय स्वाद नहीं बसता। एक यूज़र लिखता है कि असल में कोई 'भारतीय' खाना नहीं है। इस तरह कोई करी फ़्लेवर नहीं होता, न ही कोई चाय टी होती है। चाय दरअसल टी का हिन्दी अनुवाद है और करी, डिश की क़िस्म है, न कि कोई फ़्लेवर। अन्य लोग इस बारे में भी बात कर रहे हैं कि कैसे अल्पसंख्यकों के प्रति नस्लवादी टिप्पणियों में खाने के गंध और स्वाद का जिक्र लंबे समय से होता रहा है और वे टॉम पर असहिष्णुता का आरोप लगा रहे हैं।
सायरा रॉव के मां-बाप प्रवासी हैं और उनका जन्म अमरीका में हुआ है। सायरा रॉव लिखती हैं, उनसे कहा जाता है कि मुझसे और मेरे भोजन से अजीब गंध आती है क्योंकि भारतीय सड़कों पर रहते हैं। इसलिए हमारा सबकुछ ख़राब होता है। जैसे ही इन बातों ने भारतीय मीडिया का ध्यान खींचा, एक हैशटैग के साथ अमरीकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवाद कमला हैरिस ने खाना बनाने का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। कमला की मां का परिवारिक ताल्लुक दक्षिण भारत से है।
दुनियाभर में भारतीय व्यंजनों के शौकीन और भारतवंशी समुदाय के लोग टॉम की असहज करने वाली टिप्पणी का प्रतिवाद कर रहे हैं। खान-पान का शौक रखने वाले कुछ लोगों ने इस विवाद को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है। कई लोगों ने कमेंट्स करके रोष जाहिर किया तो कुछ ने उन्हें औरों से सीख लेने की हिदायत भी दी।
भारतीय व्यंजनों से भरी थाली का फोटो शेयर करते हुए एक ने लिखा कि वह देख रहे, ट्विटर पर किसी ने भारतीय भोजन के बारे में नस्लवादी विचार रखे हैं। खैर, व्यंजन से भरी एक थाली उनके लिए काफी है। एबीसी न्यूज़ के सीनियर रिपोर्टर टेरी मोरन कहते हैं, चाइनीज फूड एक थका हुआ भोजन है। वह काफी उबाऊ, अधिक नमक और पूरी तरह से भूलने वाला भोजन है। उनकी इस टिप्पणी पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।
एक व्यक्ति ने लिखा कि उनकी जानकारी काफी कम है और वह पूरे भोजन और असंख्य क्षेत्रीय किस्मों को नजरअंदाज कर रहे हैं। एशियन फूड को पंसद करने वाले लोग मोरन पर आरोप लगा रहे हैं कि वे रेस्टोरेंट के खाने के आधार पर पूरे व्यंजन पर टिप्पणी कर रहे हैं।