हिमाचल में हर्बल खेती के लिए राजस्थान की कंपनी करेगी एक अरब का निवेश
हर्बल उद्योग को विश्वव्यापी बनाने में हमारे देश के दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने अग्रणी भूमिका निभाई है। उत्तराखंड में 'पतंजलि' ने हाल ही में 'रुचि सोया' में 1,700 करोड़ रुपए का निवेश किया है। अब राजस्थान की कंपनी 'विनायक हर्बल' ने हिमाचल में औषधीय खेती के लिए सरकार से एक अरब का करार किया है।
हिमाचल और उत्तराखंड देश के ऐसे दो खास प्रदेश हैं, जिन्होंने देश के हर्बल उद्योग को विश्वव्यापी बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। इसके साथ ही, राजस्थान और देश के दो पूर्वी राज्य भी इस उद्योग को लगातार समृद्ध कर रहे हैं। उत्तराखंड में स्थापित बाबा रामदेव की कंपनी 'पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड' ने हाल ही में 'रुचि सोया' में 1,700 करोड़ रुपए का भारी निवेश किया है। इस बीच राजस्थान की जड़ी-बूटियों वाली कंपनी 'विनायक हर्बल' ने हिमाचल सरकार के साथ एक अरब रुपए का एक बड़ा करार किया है।
अब यह कंपनी हिमाचल प्रदेश में जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के साथ ही इसके लिए किसानों को जागरूक भी करेगी। किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें जड़ी-बूटियों की खेती करने के लिए तैयार किया जाएगा। 'विनायक हर्बल' आने वाले छह वर्षों में हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में सिर्फ औषधीय पौधों पर सौ करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है।
हिमाचल सरकार ने अपने यहां इसी माह नवंबर में आयोजित में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से पहले गत दिवस एक मिनी कॉन्क्लेव में 'विनायक हर्बल' के साथ यह करार किया है। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट मोईनुद्दीन चिश्ती बताते हैं कि राजस्थान के नागौर जिले के कुचामनसिटी के छोटे से गांव राजपुरा से निकली 'विनायक हर्बल' कंपनी का इतना बड़ा कदम यह दर्शाता है कि अब गांवों में बसे किसान किसी से कम नहीं हैं। इस अभियान के तहत कुटकी, कूठ, पुष्करमूल, सुगंधबाला, जटामासी, सालम पंजा, वायविडिंग, ज्योतिषमति आदि बहुमूल्य हिमालयन जड़ी-बूटियों की खेती, प्रोसेसिंग और उनकी मार्केटिंग पर कंपनी का खास जोर रहेगा।
'विनायक हर्बल' के सीईओ राकेश चौधरी, उनके सहयोगी मोईनुद्दीन चिश्ती और अजीत सिंह पुनिया ने अपने आयुर्वेदिक प्रोजेक्ट के एमओयू के बाद इस महत्वाकांक्षी योजना से न सिर्फ हिमाचल प्रदेश के एक हजार से अधिक किसानों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर दिए हैं, बल्कि अब उनकी आमदनी में भी भारी इजाफा होने वाला है।
अब 'विनायक हर्बल' देश में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई औषधीय पौधों की हाई वैरायटी हिमाचल प्रदेश के किसानों को उपलब्ध कराएगी। कंपनी के सीईओ राकेश चौधरी बताते हैं कि इस पहल से उनकी कंपनी से जुड़ी 70 से अधिक फार्मेसियों को अच्छी क्वालिटी की हिमालयन जड़ी-बूटियां मुहैया होंगी।
करार के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में आज न केवल आर्थिक निवेश की जरूरत है, बल्कि प्रदेश की जैव विविधता को सुरक्षित किया जाना भी बहुत आवश्यक हो गया है। राज्य के स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन सिंह परमार का कहना है कि इस पहल से प्रदेश की वन औषधीय संपदा किसानों को खुशहाल करेगी।
उधर, राज्य के चंबा जिले में कबायली क्षेत्र पांगी की हर्बल चाय 'पांगी हिल्स रूरल मार्ट' की कोशिशों से धीरे-धीरे अब इंटरनेशनल मार्केट की ओर कदम बढ़ाने लगी है। अब इसकी ऑनलाइन बिक्री करने की तैयारी है। वेबसाइट पर ऑर्डर बुक करने के बाद चाय सीधे ग्राकों के घर पर पहुंचा दी जाएगी। पांगी माट ने चाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री के लिए कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के साथ चाय की बेहतर ग्रेडिंग करवाने की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी है। पांगी की गुरणू हर्बल चाय को व्यापारिक मंच न मिलने के कारण स्वयं सहायता समूह भी इससे मुंह मोड़ने लगे थे।
गौरतलब है कि यह चाय पेट दर्द के लिए रामबाण मानी जाती है। पांगी के लोग इसे पहले सिर्फ इलाज में इस्तेमाल करते रहे हैं। अब तो 'पांगी हिल्स रूरल मार्ट' ने इस चाय के कारोबार में अपने यहां 300 महिलाओं को रोजगार भी दे रखा है। हाल ही में दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में विदेशियों ने इस हर्बल चाय की करीब 80 हजार रुपए की सीधे खरीदारी की। कारोबार में नाबार्ड भी कंपनी का सहयोग कर रहा है।