योरस्टोरी लीडरशिप टॉक में रतन टाटा बोले- पैसा कमाना बुरा नहीं, लेकिन इसमें नैतिकता बनी रहे
रतन टाटा ने योरस्टोरी की श्रद्धा शर्मा के साथ बातचीत में कहा कि मैनेजरों को खुद से पूछना होगा कि क्या वे सही काम कर रहे हैं और सही निर्णय ले रहे हैं, भले ही वे कठिन हों।
गुरुवार 23 जुलाई को लीडरशिप टॉक के दौरान दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने योरस्टोरी में कहा, "मुनाफे का पीछा करना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि आप अपने ग्राहकों और शेयरधारकों के लिए कितनी वैल्यू जोड़ रहे हैं और यह यात्रा कितनी एथिकल है।"
जब योरस्टोरी की सीईओ और फाउंडर श्रद्धा शर्मा ने टाटा ग्रुप की होल्डिंग फर्म टाटा संस के चेयरमैन एमेरिट्स रतन टाटा से पूछा कि कंपनियों को लाभ और उद्देश्य को लेकर कैसे बढ़ना चाहिए, इसके जवाब में उन्होने कहा,
"हम सभी स्पॉटलाइट की तलाश कर रहे हैं कि क्या हम इसे स्वीकार करते हैं या नहीं; हम सफल होना चाहते हैं। सफलता का पारंपरिक साधन मुनाफा है और हम चाहते हैं कि हमारी कहानी एक सफलता की कहानी हो जो हमें और अधिक धन की ओर ले जाए। लाभ कभी कोई भूलना नहीं चाहता है।”
उन्होंने आगे कहा, “लेकिन व्यवसाय केवल पैसा कमाने के बारे में नहीं है। उन्हे अपने ग्राहकों और हितधारकों के लिए सही तरीके से काम करना है और उन्हें नैतिक रूप से ऐसा करना होगा।”
टाटा ने इस दौरान बताया कि वो हमेशा उद्यमियों को खुद का और उनके निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए कहते हैं। वे उनसे इस पर ध्यान देने के लिए कहते हैं कि क्या उन्होने सही चुनाव किया है।
इस दौरान उन्होने सलाह भी दी,
"हम गलतियाँ कर सकते हैं और यह ठीक है। आपको हर बिंदु पर सही काम करना है और बुरे में भी अच्छाई ढूंढनी है, लेकिन आपको मुश्किल फैसलों से दूर नहीं भागना है।"
लीडरशिप को लेकर आयोजित योरस्टोरी लीडरशिप टॉक में बातचीत में महामारी पर भी चर्चा हुई कि किस तरह उद्यमी इस दौरान आगे बढ़ सकते हैं, उद्योगों और नए विचारों के लिए संकट का क्या मतलब हो सकता है? साथ ही उन्होने अपने जीवन के कुछ खास अनुभव भी शेयर किए।
खुद को सबसे ज्यादा मानकों पर रखने वाले उद्यमी की प्रशंसा की जाती है और एक उद्यमी के रूप में उसे बहुत अधिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है, टाटा कहते हैं कि कंपनी के लीडर्स कर्मचारियों को प्रेरित रखने के लिए कोड़े नहीं मार सकते, उन्हें चाहिए होगा कि वे उनकी स्थिति को समझें, जिससे वे परेशान हैं और उनके साथ सहानुभूति रखें।
जब रतन टाटा से यह पूछा गया कि क्या आप अपनी कंपनी पर गर्व करते हैं? क्या आप अपने ग्राहकों के साथ उचित तरीके से व्यवहार करते हैं? क्या प्रबंधन इस अवसर पर उठने के लिए पर्याप्त बहादुर है? उन्होने कहा,
“कंपनी को पारंपरिक तौर पर उसके मुनाफे के जरिये देखा जाता है, इसी में सब कुछ जुड़ा होता है। यह एक खुशहाल, सार्थक वातावरण हो सकता है, लेकिन यह एक बुरा वातावरण भी हो सकता है। कंपनी को वित्त और व्यवसाय खंड से भी देखा जाना चाहिए, ना सिर्फ इससे कि क्या कर्मचारियों के मैनेजर उनके साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं।”