RBI ने बदले हैं कुछ नियम, बैंकों के अधिग्रहण और शेयरधारिता से जुड़ा है मामला
January 17, 2023, Updated on : Tue Jan 17 2023 06:39:53 GMT+0000

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों के अधिग्रहण और शेयरधारिता से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं. केंद्रीय बैंक ने इस संदर्भ में मास्टर दिशानिर्देश (बैंकिंग कंपनियों में शेयरों का अधिग्रहण और होल्डिंग या वोटिंग अधिकार) निर्देश, 2023 जारी किया है. इसमें कहा गया है, ‘‘ये निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिये जारी किए गए हैं कि बैंकिंग कंपनियों का अंतिम स्वामित्व और नियंत्रण अच्छी तरह विविध रूप में हो और बैंक इकाइयों के प्रमुख शेयरधारक निरंतर आधार पर उपयुक्त बने रहें.’’
मास्टर दिशानिर्देश के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो अधिग्रहण करना चाहता है और जिसके परिणामस्वरूप संबद्ध बैंक में प्रमुख शेयरधारिता होने की संभावना है, उसे एक आवेदन जमा करके रिजर्व बैंक की पूर्व-स्वीकृति लेनी होगी. आगे कहा गया है कि इस संदर्भ में रिजर्व बैंक का जो भी निर्णय होगा वह आवेदक और संबंधित बैंक इकाई पर बाध्यकारी होगा.
इस मामले में नये सिरे से लेनी होगी मंजूरी
निर्देश के अनुसार, इस तरह के अधिग्रहण के बाद यदि किसी भी समय कुल होल्डिंग 5 प्रतिशत से कम हो जाती है, और अगर व्यक्ति फिर से कुल हिस्सेदारी को चुकता शेयर पूंजी या कुल वोटिंग राइट्स के 5 प्रतिशत या उससे अधिक तक बढ़ाना चाहता है, तो उसे आरबीआई से नये सिरे से मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता होगी.
बैंकिंग कंपनियों को ये निर्देश भी दिए गए
RBI (Reserve Bank of India) ने आगे कहा कि बैंकिंग कंपनियों को मालिकाना हक में किसी भी बदलाव या किसी व्यक्ति द्वारा बड़े शेयरधारक की चुकता इक्विटी शेयर पूंजी के 10 प्रतिशत या उससे अधिक की सीमा तक अधिग्रहण किए जाने की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक मैकेनिज्म स्थापित करने के लिए कहा गया है. साथ ही, बैंक इकाई को यह सुनिश्चित करने के लिये एक सतत निगरानी व्यवस्था स्थापित करनी होगा कि एक प्रमुख शेयरधारक ने शेयरधारिता/वोटिंग अधिकारों को लेकर रिजर्व बैंक की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली है.
किन संस्थानों के लिए कितनी लिमिट
आगे यह भी कहा गया है कि बड़े औद्योगिक घरानों से जुड़े व्यक्तियों, गैर-वित्तीय संस्थानों और वित्तीय संस्थानों के मामले में गैर-प्रमोटर के लिए बैंकिंग कंपनी में शेयर या वोटिंग अधिकार प्राप्त करने के लिए रिजर्व बैंक की अनुमति 10 प्रतिशत तक ही सीमित होगी.
वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकार के मामले में यह सीमा 15 प्रतिशत है.
प्रमोटर के मामले में, बैंकिंग कंपनी का कारोबार के शुरू होने से 15 साल पूरे होने के बाद सीमा, चुकता शेयर पूंजी या मतदान अधिकार के 26 प्रतिशत पर निर्धारित की गई है. बैंकों को अपने बोर्ड को निरंतर निगरानी व्यवस्था पर आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है. ये निर्देश भारत में संचालित स्थानीय क्षेत्र के बैंकों (LABs), स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) और पेमेंट्स बैंकों (PBs) सहित सभी बैंकिंग कंपनियों पर लागू होते हैं.
Edited by Ritika Singh
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