वास्तविकता है वैश्विक आर्थिक मंदी, भारत को लेकर क्या बोले केंद्रीय MSME मंत्री
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) ने अपने मुख्य अर्थशास्त्री पूर्वानुमान सर्वेक्षण में कहा है कि 2023 में वैश्विक मंदी आने की आशंका है.
अगर भारत में आर्थिक मंदी (Economic Slowdown) आती है तो ऐसा जून के बाद ही होगा. हालांकि केंद्र सरकार ऐसी स्थिति से बचने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. यह बात केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) मंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) ने कही है. उन्होंने हाल ही में महाराष्ट्र के पुणे शहर में G20 के पहले अवसंरचना कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) की बैठक का उद्घाटन करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि विकसित देश पहले से ही आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. लेकिन केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वैश्विक आर्थिक मंदी से भारत के नागरिक प्रभावित न हों.
राणे ने आर्थिक मंदी की स्थिति का सामना करने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में पूछने पर कहा, 'चूंकि हम मंत्रिमंडल में हैं, कुछ जानकारी हमारे पास उपलब्ध है और पीएम मोदी से हमें जो भी सलाह मिलती है, उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि बड़े देशों में आर्थिक मंदी है. यह एक वास्तविकता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत आर्थिक मंदी से प्रभावित न हो या इसे रोकने के लिए, जिसके जून के बाद आने की आशंका है, भारत सरकार और पीएम मोदी प्रयास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री और केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि देश के लोग मंदी से प्रभावित न हों.
बयान पर विपक्ष ने घेरा
केंद्रीय MSME मंत्री राणे के आर्थिक मंदी पर बयान को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्रीय मंत्री राणे की आर्थिक मंदी वाली टिप्पणी के बाद पूछा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश से क्या छिपा रहे हैं. रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘2014 के बाद से बर्बाद हो चुके एमएसएमई के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री नारायण राणे ने छह महीने बाद भारत में मंदी की भविष्यवाणी की है. उन्होंने जी20 सम्मेलन में पुणे में यह कहा है. प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री देश से क्या छिपा रहे हैं.’’
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम का क्या है कहना
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) ने अपने मुख्य अर्थशास्त्री पूर्वानुमान सर्वेक्षण में कहा है कि 2023 में वैश्विक मंदी आने की आशंका है. इस दौरान खाद्य, ऊर्जा और मुद्रास्फीति का दबाव चरम पर पहुंच सकता है. हालांकि WEF का यह भी कहना है कि बांग्लादेश और भारत सहित दक्षिण एशिया क्षेत्र की कुछ अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक रुझानों से फायदा मिल सकता है. इन रुझानों में विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं का चीन से दूर जाना शामिल है.
WEF के मुख्य अर्थशास्त्री समुदाय के ज्यादातर लोगों का मानना है कि अमेरिका और यूरोप में आगे मौद्रिक सख्ती देखने को मिल सकती है. लगभग दो-तिहाई मुख्य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2023 में वैश्विक मंदी आने की आशंका है. इनमें से 18 प्रतिशत ने इसकी अत्यधिक संभावना जताई. यह आंकड़ा सितंबर 2022 में किए गए पिछले सर्वेक्षण की तुलना में दोगुने से भी अधिक है. सर्वेक्षण में शामिल एक तिहाई लोगों ने कहा कि इस साल वैश्विक मंदी की आशंका नहीं है, हालांकि इस बात पर पूरी सहमति है कि 2023 में वृद्धि की संभावनाएं धूमिल हैं. खासतौर से यूरोप और अमेरिका में.
Edited by Ritika Singh