मुकेश अंबानी की ‘जीनोम टेस्टिंग’ में एंट्री, लॉन्च करेंगे 12,000 रुपये का किट
अरबपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) अब 'जीनोम टेस्टिंग' (Genome Testing) की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं. भारत के बढ़ते उपभोक्ता बाजार में 23andMe जैसे चमत्कारी अमेरिकी स्टार्टअप के साथ मिलकर अंबानी हेल्थकेयर सेक्टर के ट्रेंड्स को और अधिक किफायती और व्यापक बनाना चाहते हैं. (Mukesh Ambani to foray into genome testing)
स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज प्राइवेट (Strand Life Sciences Pvt.) के सीईओ रमेश हरिहरन के अनुसार, एनर्जी-टू-ईकॉमर्स ग्रुप हफ्तों के भीतर एक व्यापक 12,000 रुपये (145 डॉलर) जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट किट (genome sequencing test kit) लॉन्च करेगा. स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज ने यह प्रोडक्ट बनाया है.
बता दें कि एशिया के सबसे अमीर शख्स के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Ltd.) ने 2021 में बेंगलुरु स्थित फर्म का अधिग्रहण किया और अब इसका लगभग 80% हिस्सा कंपनी के पास है.
जीनोम टेस्टिंग, जो स्थानीय रूप से उपलब्ध अन्य पेशकशों की तुलना में लगभग 86% सस्ता है, कैंसर, हृदय और न्यूरो-अपक्षयी बीमारियों के साथ-साथ वंशानुगत आनुवंशिक विकारों की पहचान करने के लिए किसी व्यक्ति की प्रवृत्ति को प्रकट कर सकता है.
स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज के को-फाउंडर हरिहरन ने कहा, "यह दुनिया में इस तरह का सबसे सस्ता जीनोमिक प्रोफाइल होगा."
क्या होता है जीनोम?
हमारी कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ (Genetic Material) होता है जिसे हम DNA, RNA कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. एक जीन के स्थान और जीन के बीच की दूरी की पहचान करने के लिये उपयोग की जाने वाली विभिन्न तकनीकों को ही जीन या जीनोम मैपिंग कहा जाता है.
अक्सर जीनोम मैपिंग का इस्तेमाल वैज्ञानिकों द्वारा नए जीन की खोज करने में मदद के लिये किया जाता है. जीनोम में एक पीढ़ी के गुणों को दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करने की क्षमता होती है.
ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट के मुख्य लक्ष्यों में नए जीन की पहचान करना और उसके कार्य को समझने के लिये बेहतर और सस्ते उपकरण विकसित करना शामिल है. जीनोम मैपिंग इन उपकरणों में से एक है.
मानव जीनोम में अनुमानतः 80 हज़ार से एक लाख तक जींस होते हैं.
क्या होता है जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट?
जीनोम सिक्वेंसिंग किसी वायरस का बायोडाटा होता है. वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सिक्वेंसिंग कहते हैं. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है.
जीनोम मैपिंग की आवश्यकता क्यों?
2003 में मानव जीनोम को पहली बार अनुक्रमित किये जाने के बाद प्रत्येक व्यक्ति की अद्वितीय आनुवंशिक संरचना तथा रोग के बीच संबंध को लेकर वैज्ञानिकों को एक नई संभावना दिखाई दे रही है. अधिकांश गैर-संचारी रोग, जैसे- मानसिक मंदता (Mental Retardation), कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर तथा हीमोग्लोबिनोपैथी (Haemoglobinopathy) कार्यात्मक जीन में असामान्य DNA म्यूटेशन के कारण होते हैं. चूँकि जीन कुछ दवाओं के प्रति असंवेदनशील हो सकते हैं, ऐसे में इन रोगों को आनुवंशिकी के दृष्टिकोण से समझने में सहायता मिल सकती है.
जीनोम मैपिंग के फायदे?
जीनोम मैपिंग के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि किसको कौन सी बीमारी हो सकती है और उसके क्या लक्षण हो सकते हैं.
इससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि हमारे देश के लोग अन्य देश के लोगों से किस प्रकार भिन्न हैं और यदि उनमें कोई समानता है तो वह क्या है.
इससे पता लगाया जा सकता है कि गुण कैसे निर्धारित होते हैं तथा बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है. बीमारियों का पता समय रहते लगाया जा सकता है और उनका सटीक इलाज भी खोजा जा सकता है.
(feature image: FortuneIndia)