पांच स्कूली किशोरों की होम ऑटोमेशन डिवाइस से वैज्ञानिक भी भौचक्के
मध्य प्रदेश के छात्र आयुष शर्मा, सिद्धांत शॉ, कानपुर के छात्र श्रीधर तिवारी, अवनीश सिंह, सौमिल्य गुप्ता आदि ने अपनी होम ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी से आइटी सेक्टर के वैज्ञानिकों को भी भौचक्का कर दिया है। श्रीधर, अवनीश, सौमिल्य को अमेज़न से 5,000 डॉलर के अलावा साठ-साठ हजार रुपए का एक और पुरस्कार मिला है।
आईआईटी विशेषज्ञ भौचक्के हैं कि क्या कोई छात्र सोलह साल की कम उम्र में ऐसा तकनीकी कमाल कर सकता है। भोपाल के मात्र 16 वर्षीय छात्र आयुष शर्मा ने अपनी एक साल की मेहनत में सात हजार रुपये लगाकर 'वंडर' नाम की एक ऐसी डिवाइस का आविष्कार किया है, जो बोलने, यानी आवाज़ के माध्यम से घर के सारे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट संचालित कर देगी। ब्लूटूथ, वाइफाई से कनेक्ट कर यह स्मार्ट होम ऑटोमेशन डिवाइस वॉयस कमांड देते ही घर के सभी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स को ऑन-ऑफ कर देती है।
इसी तरह विदिशा (म.प्र.) के गंजबासौदा निवासी आईपीएस स्कूल के 11वीं के छात्र सिद्धांत शॉ ने चिपसेट्स, मॉड्यूल और पावर सप्लाई के माध्यम से मात्र साढ़े तीन हजार में एक ऐसा होम ऑटोमेशन सिस्टम बनाया है, जिससे घर के इलेक्ट्रिक-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को मोबाइल से नियंत्रित किया जा सकता है। इस सिस्टम को घर के उपकरणों से जोड़ने में पांच रुपए का खर्च आता है। उसके बाद ट्यूब लाइट, बल्ब, पंखे, सीसीटीवी, फ्रिज, टीवी आदि ऑटोमेटिक तरीके से कंट्रोल होने लगते हैं। इससे पहले सिद्धांत घरेलू सिक्योरिटी सिस्टम, लेजर लाइट सिस्टम, अलार्म सिस्टम, स्मार्ट डस्टबिन जैसे प्रोजेक्ट बना चुके हैं हैं।
इसी तरह कानपुर (उ.प्र.) के बीएनएसडी शिक्षा निकेतन में पढ़ रहे 10वीं के छात्र श्रीधर तिवारी, अवनीश सिंह और सौमिल्य गुप्ता ने तो 'होम ऑटोमेशन' नाम से अपनी स्टार्टअप कंपनी भी बना ली है। इन तीनो टैलेंटेड स्ट्युडेंट्स ने अभी कुछ दिन पहले ही अपना होम ऑटोमेशन प्रोजेक्ट कानपुर आइआइटी ई-समिट में प्रस्तुत किया। प्रतिभागिता में उनकी प्रस्तुति को तीसरा प्राइज मिला। उसके बाद इन तीनो छात्रों को यंगेस्ट अचीवर्स अवॉर्ड से सम्मानित करते हुए 60-60 हजार रुपये नकद और अमेज़न वेब सर्विस से पांच हजार डॉलर का पुरस्कार भी दिया गया।
विदेशों में तेजी से बढ़ रहे होम ऑटोमेशन का चलन अब भारत में भी असर दिखा रहा है। इस तकनीक से पूरा घर एक स्मार्ट होम रिमोट कंट्रोलर से संचालित होता है। दिवाली पर घर सजाने नजरिए से भी देखें तो इस समय भारतीय बाजारों में होम ऑटोमेशन के कई उपकरण कंट्रोल सिस्टम, ऑटोमेशन सिक्युरिटी सिस्टम आदि उपलब्ध हैं।
यद्यपि इसका एक खतरा भी सामने आ रहा है कि दुनियाभर में ऑटोमेशन के बढ़ते चलन से आने वाले वर्षों में करोड़ों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। इसका सबसे अधिक असर महिला कर्मचारियों पर पड़ने वाला। मैकेंजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑटोमेशन के कारण अगले एक दशक में दुनियाभर की करीब 16 करोड़ महिला कर्मचारियों को अपनी नौकरियां बदलनी होंगी। भारत में इससे करीब 1.1 करोड़ महिलाओं के वर्ष 2030 तक बेरोजगार हो जाने का खतरा है।