मिलें देश के पहले आदिवासी IPS अधिकारी से, जिन्होंने गांधी के मूल्यों पर चलते हुए गरीबी से निकलकर बनाई अपनी पहचान
अरुणाचल प्रदेश से निकलकर देश के पहले आदिवासी आईपीएस बनने तक रॉबिन हिबु का सफर मुश्किलों भरा रहा है, लेकिन सफलता के शिखर पर पहुँचने के साथ रॉबिन की सादगी और गांधीवाद के प्रति उनका लगाव उन्हें बेहद खास बनाता है।
अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से लगे गाँव ‘होंग’ में एक आदिवासी परिवार में पैदा हुए रॉबिन हिबु ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर आईपीएस बने बल्कि उन्हे देश के राष्ट्रपति की सुरक्षा संभालने का भी जिम्मा मिला, लेकिन रॉबिन हिबु के लिए यह यात्रा कतई आसान नहीं रही।
पहले आदिवासी-आईपीएस अधिकारी रॉबिन के पिता लकड़हारा थे, साथ ही पूरा परिवार भी जंगलों में लकड़ियाँ काटने जाता था। रॉबिन शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में होशियार थे, लेकिन आदिवासी समुदाय से आने के चलते उन्हे कई बार प्रताड़णा का भी सामना करना पड़ा।
नवभारत टाइम्स के अनुसार साल 1991 में रॉबिन का चयन जब जेएनयू के लिए हुआ तो उन्होने दिल्ली जाने के लिए ब्रह्मपुत्र मेल पकड़ी, लेकिन ट्रेन में चढ़े कुछ फ़ौजियों ने उनपर टिप्पणी करते हुए उन्हे सीट से उठाकर शौचालय के पास बैठा दिया।
दिल्ली पहुँचकर जब रॉबिन आसरा ढूँढने के लिए अरुणाचल भवन पहुंचे तो वहाँ भी उन्हे कमरा नहीं मिल सका और उन्हे एक सब्जी गोदाम में आसरा लेना पड़ा। इस संघर्ष के बीच जेएनयू के नर्मदा हॉस्टल में रॉबिन को जगह मिली।
1993 में यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद रॉबिन का चयन आईपीएस के लिए हुआ और तब से उत्कृष्ट सेवा के लिए रॉबिन को कई अवार्डों से नवाजा जा चुका है, इसमें दो राष्ट्रपति मेडल भी शामिल हैं। रॉबिन संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम कर चुके हैं।
रॉबिन हिबु ने हेल्पिंग हैंड नाम की एक संस्था की भी शुरुआत की है, जो पूर्वोत्तर राज्यों से दिल्ली जैसे शहर में आने वाले युवाओं को मदद उपलब्ध कराती है। ये युवा रोजगार की तलाश या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए इन महानगरों में आए होते हैं।
रॉबिन के जीवन में महात्मा गांधी का खासा प्रभाव रहा है। शुरुआती सालों में रॉबिन गुनी बाईडियो नाम की एक शिक्षिका से जुड़े, जो कस्तूरबा गांधी सेवा आश्रम में पढ़ाती थीं। इस बीच के अनुभव ने रॉबिन के जीवन पर खासा प्रभाव छोड़ा। रॉबिन के पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है। इसी के साथ उन्होने अपना लकड़ी का घर भी गांधी म्यूजियम के लिए दान में दे दिया है।