रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 1466 अंक टूटा सेंसेक्स, समझिए रुपया गिरते ही क्यों मच जाती है हाय-तौबा
डॉलर के मुकाबले रुपया 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. आइए समझते हैं रुपया गिरता है तो क्या होता है.
रुपया.. रुपया.. रुपया.. आज फिर से हर तरफ रुपये की ही बात हो रही है. एक दिन पहले ही सुपरटेक का ट्विन टावर जमींदोज हुआ है और अब रुपया अपने ऑल टाइम लो के लेवल पर जा पहुंचा है. पूरी मीडिया में ट्विन टावर छाया हुआ था, लेकिन रुपये की गिरावट ने ट्विन टावर के गिरने की खबर को थोड़ा फीका बना दिया है. रुपये ने 29 अगस्त को रेकॉर्ड निचला स्तर छुआ है और डॉलर के मुकाबले 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है. शेयर बाजार में सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. रुपये ने आज हर तरफ हाय-तौबा मचा दी है.
कितना गिर गया शेयर बाजार?
रुपये में गिरावट की वजह से सुबह सेंसेक्स करीब 1499 अंक गिरकर खुला. हालांकि, बाद के कारोबार में सेंसेक्स ने काफी हद तक रिकवर किया, लेकिन दोपहर तक भी सेंसेक्स 700-800 अंक से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था. गिनी-चुनी कुछ कंपनियों को छोड़ दें तो सेंसेक्स की करीब 80 फीसदी कंपनियां लाल निशान में कारोबार कर रही थीं. शाम होते-होते सेंसेक्स की गिरावट 861 अंक रह गई और बाजार 57,972 अंकों पर बंद हो गया.
कितना और क्यों गिरा रुपया?
इस हफ्ते की शुरुआत रुपये में गिरावट के साथ हुई है. सोमवार को रुपया करीब 28 पैसे गिरकर 80.12 रुपये के स्तर पर पहुंच गया. हालांकि, बाद में रुपये में तेजी से रिकवरी भी देखने को मिली, जिसकी एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि रिजर्व बैंक ने कुछ डॉलर्स बेचे हों. इस गिरावट की वजह है डॉलर में आई मजबूती. इसके चलते सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्कि बाकी देशों की करंसी भी कमजोर हुई है. डॉलर को मजबूती मिली है अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से. उन्होंने साफ कहा है कि केंद्रीय बैंक की सख्ती से परिवारों और कंपनियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है.
ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला अभी जारी रहेगा. उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक में ब्याज दरें 0.75 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान किया जा सकता है. अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते यूएस फेड दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. अभी बेंचमार्क दर 1.5-1.75 फीसदी से बढ़कर 2.25-2.5 फीसदी की रेंज में पहुंच चुकी है.
रुपया गिरने का क्या है मतलब?
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया गिरने का मतलब है कि भारत की करंसी कमजोर हो रही है. इसका मतलब अब आपको आयात में चुकाई जाने वाली राशि अधिक देनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लोबल स्तर पर अधिकतर भुगतान डॉलर में होता है. यानी रुपया गिरता है हमे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है, जिससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. यही वजह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट आते ही सबसे पहले तमाम देश आयात पर रोक लगाते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपको कुछ आयात करने में 1 लाख डॉलर देने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआत में डॉलर की तुलना में रुपया 75 रुपये पर था. यानी तब जिस आयात के लिए 75 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे, अब उसी के लिए 80 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के भी ऊपर निकल चुका है.
रुपया गिरते ही क्यों टूट जाता है शेयर बाजार?
शेयर बाजार की चाल काफी हद तक सेंटिमेंट पर निर्भर करती है. ऐसे में अगर कोई महामारी जैसे कोरोना, राजनीतिक अस्थिरता या कोई बड़ा वित्तीय फ्रॉड सामने आ जाता है, तो लोग डरकर अपना पैसा निकलने लगते हैं. ऐसे में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोर होने लगता है और उसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिलता है. रुपया गिरता है तो एक बात साफ हो जाती है कि अब आयात महंगा हो जाएगा. रुपया गिरने के वजह से विदेशी मुद्रा भंडार तुलनात्मक रूप से तेजी से कम होता है, ऐसे में उसका असर बाजार पर दिखता है.