सैलरी के साथ आजमाएं यह एक फॉर्मूला, खर्च और सेविंग्स दोनों हो सकेंगे मैनेज
अगर सैलरी और खर्चों में तालमेल बना लिया तो फिर भविष्य के लिए अच्छा फंड क्रिएट किया जा सकता है.
हर व्यक्ति को वर्तमान के साथ-साथ वित्तीय तौर पर सुरक्षित भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए. इसके लिए बचत और निवेश का सहारा लिया जाता है. फ्यूचर सिक्योर करने के लिए प्लानिंग का एक अहम हिस्सा सैलरी का सही तरीके से मैनेजमेंट (Salary Management) भी है. अगर सैलरी और खर्चों में तालमेल बना लिया तो फिर भविष्य के लिए अच्छा फंड क्रिएट किया जा सकता है.
आम तौर पर सेविंग्स तो सभी करना चाहते हैं लेकिन सैलरी आने पर खर्चे पहले गिने जाते हैं और सेविंग्स 'पैसा बचा तो करेंगे' के चक्कर में पीछे छूट जाती है. इस तरह सेविंग्स आगे के लिए टलती चली जाती है और आखिर में आपके पास सेविंग्स के नाम पर जीरो होता है.
तो फिर क्या किया जाए..
सबसे पहले सैलरी का 20-30 फीसदी हिस्सा बचत में लगाएं. यह लॉन्ग टर्म में फायदा देगा. सैलरीड क्लास हैं तो रिटायरमेंट के बाद पैसा चाहिए होगा. साथ में अगर पेरेंट्स हैं तो बच्चों की पढ़ाई, शादी आदि के लिए फंड की जरूरत होगी. अभी शादीशुदा नहीं हैं तो आगे चलकर ये खर्च सामने आएंगे. इसलिए सैलरी के 20-30 फीसदी हिस्से को बचत में लगाना चाहिए. इसके लिए PPF, म्यूचुअल फंड जैसे विकल्प मदद करेंगे.
इमरजेन्सी फंड का क्रिएशन
एक इमर्जेन्सी फंड बनाना भी जरूरी है ताकि अगर कोई वित्तीय इमर्जेन्सी आए तो आपके पास पैसा रहे. इसके लिए आपको अलग से कोई बचत या जमा नहीं करनी है. सैलरी का जो 20-30 फीसदी हिस्सा बचत के लिए रखा है, उसी में से एक हिस्सा इमरजेन्सी फंड में डालें. कोशिश करें कि उस पैसे का कम से कम 5 फीसदी इमरजेन्सी फंड में जाए.
खर्चों का क्या?
एक आम आदमी के खर्च यानी घर का किराया, किचन का खर्च, ग्रॉसरी, पेट्रोल का खर्च, बच्चों की फीस, मोबाइल बिल, इंटरनेट बिल आदि. इन खर्चों को सैलरी के 40-50 फीसदी हिस्से से मैनेज करने की कोशिश करें. साथ ही महीने के बिल्स, जैसे क्रेडिट कार्ड बिल, मोबाइल का बिल, बिजली-पानी का बिल वक्त पर भरें. बिल ड्यू डेट के अंदर भरने से आप एक्स्ट्रा चार्ज देने से बच जाएंगे यानी जेब से एक्स्ट्रा खर्च नहीं होगा.
EMI का ध्यान रखना भी है जरूरी
अगर कोई लोन, इंश्योरेंस, SIP चल रही है और हर महीने किस्त जाती है तो सैलरी का 20-30% हिस्सा इनके लिए अलग करें. इससे EMI के पैसों का इंतजाम करने की टेंशन दूर रहेगी. EMI वक्त पर जाएगी तो इसके डिले होने पर लगने वाले टैक्स से बच जाएंगे.