SBI समेत इन 3 बैंकों के ग्राहक रहें निश्चिंत, नहीं आएगी बैंक डूबने की नौबत
अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है तो उस बैंक में ग्राहकों की कुल 5 लाख रुपये तक की जमा ही सुरक्षित है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (SBI), निजी क्षेत्र के ICICI बैंक और HDFC बैंक घरेलू व्यवस्था में महत्वपूर्ण बैंक (D-SIB) बने हुए हैं. घरेलू व्यवस्था में महत्वपूर्ण बैंक ऐसे बैंक होते हैं, जो इतने बड़े होते हैं कि विफल नहीं हो सकते और इन्हें ‘टू बिग टू फेल (TBTF)’ कहा जाता है. TBTF की अवधारणा के तहत यह उम्मीद की जाती है कि संकट के समय में सरकार इन बैंकों को समर्थन देगी. इसलिए फंडिंग मार्केट में इन बैंकों को कुछ विशेष लाभ प्राप्त होते हैं.
RBI ने एक बयान में कहा, ‘‘SBI, ICICI बैंक और HDFC बैंक 2021 की D-SIB की सूची के मानदंडों के आधार पर घरेलू व्यवस्था में महत्वपूर्ण बैंक बने हुए हैं.’’ RBI ने 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIB घोषित किया था. HDFC बैंक को 31 मार्च, 2017 तक के आंकड़ों के कलेक्शन के आधार पर इस श्रेणी में शामिल किया गया था. बैंकों से 31 मार्च 2022 तक मिले आंकड़ों के आधार पर हाल में इसे अपडेट किया गया है. D-SIB निर्धारित करने के लिए रूपरेखा जुलाई 2014 में जारी की गई थी. इस रूपरेखा के तहत RBI को D-SIB घोषित बैंकों के नामों का खुलासा करना होता है.
अगर बैंक डूब जाए तो जमा का क्या?
अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है तो उस बैंक में ग्राहकों की कुल 5 लाख रुपये तक की जमा ही सुरक्षित है. पहले यह लिमिट 1 लाख रुपये तक थी, जिसे बजट 2020 में बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया. अगर डूबने वाले बैंक में ग्राहक की 5 लाख से ज्यादा रकम जमा है तो बैंक के दिवालिया होने पर 5 लाख को छोड़कर बाकी की जमा राशि डूब जाएगी. दरअसल 5 लाख रुपये तक की बैंक जमा पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी (DICGC) कॉरपोरेशन डिपॉजिट इंश्योरेंस की ओर से कवरेज रहता है. DICGC, भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है. सभी कमर्शियल और को-ऑपरेटिव बैंकों का DICGC से बीमा होता है और इसी बीमा के अंतर्गत जमाकर्ताओं को 5 लाख तक की बैंक जमा पर सुरक्षा की गारंटी मिलती है. DICGC के कवरेज में सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक व कोऑपरेटिव बैंक कवर्ड हैं, चाहे उनकी ब्रांच भारत में हो या विदेश में.
अगर एक ही बैंक में एक से ज्यादा खाते
जमा पर इंश्योरेंस कवरेज की 5 लाख रुपये तक की लिमिट एक ग्राहक की एक बैंक की सभी शाखाओं में मौजूद सभी जमाओं मसलन, बचत खाता, एफडी, आरडी आदि को मिलाकर है. इसका अर्थ यह है कि अगर किसी बैंक की एक ही या अलग-अलग शाखाओं में ग्राहक ने अलग-अलग खातों में पैसा जमा कर रखा है, तो उन सभी खातों को मिलाकर 5 लाख रुपये तक की रकम के ही सेफ होने की गारंटी रहती है. इस रकम में मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाता है.
90 दिन के अंदर ग्राहकों को फंसे हुए पैसों का भुगतान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में DICGC एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2021 में DICGC एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी थी. अक्टूबर 2021 में जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 संसद से पारित हुआ. यह कानून 1 सितंबर 2021 से अमल में आ गया. संशोधन के बाद अब किसी बैंक के डूबने या संकटग्रस्त होने पर डिपॉजिटर्स को 90 दिन के अंदर 5 लाख रुपये तक की रकम मिलने की प्रॉसेस पूरी हो जाएगी. इसके दायरे में उन बैंकों के ग्राहक भी आएंगे, जिन पर आरबीआई ने कोई प्रतिबंध या मोरेटोरियम लगाया हो. पहले इस प्रक्रिया को पूरा होने में 2 से 3 तीन साल भी लग जाते थे, जिससे संकटग्रस्त बैंक के ग्राहकों की जमापूंजी लंबे वक्त के लिए फंस जाती थी.