कम उम्र में शादी से 10वीं में छूटा स्कूल, दोबारा पढ़ाई शुरू कर वकील बनीं 41 साल की नीना
यह बात अक्सर कही जाती है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। कोच्चि के वादुथला (केरल) की 41 वर्षीय नीना केजी इसका एक उदाहरण हैं। कई लोग होते हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए तमाम परेशानियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। नीना भी ऐसे ही लोगों में से हैं। वह दो बच्चों की सिंगल मदर हैं। उनका एक सपना था कि वह वकील बनें और उन्होंने अपने जीवन में कई सारी मुश्किलों से जूझकर अपने सपने को पूरा भी कर लिया है।
नीना 8 साल पहले महज एक स्कूल ड्रॉपआउट थीं। कम उम्र में शादी होने के कारण उनकी पढ़ाई छूट गई। उनकी किस्मत तब बदलना शुरू हुई जब उन्होंने 10वीं कक्षा पास करने के लिए फिर से अपनी पढ़ाई पूरी करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने केरल लिटरेसी मिशन कार्यक्रम में दाखिला लिया। इसके बाद नीना ने बकायदा एलएलबी का कोर्स भी किया। जहां एक तरफ उनकी ग्रैजुएट बेटी इस दुविधा में है कि वह आगे पोस्टग्रैजुएशन करे या फिर नौकरी, वहीं दूसरी ओर नीना 15 दिसंबर को बार काउंसिल ऑफ केरला में वकील के तौर पर नामांकन के लिए तैयार हैं।
नीना ने द हिंदू को बताया, 'यह मेरी पांच वर्षों की कड़ी मशक्कत का नतीजा है। मुझे पढ़ाई और कामकाज के बीच तालमेल बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी। हालांकि, मैंने जितनी भी मुश्किलें झेली हैं, अब मुझे उनका इनाम मिल रहा है।'
कांटों भरा रहा सफर
नीना जब दसवीं में थीं, तभी उनकी शादी हो गई। शादी के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। वह जल्द ही दो बच्चों की मां बन गईं। उन्होंने परिवार की आर्थिक मदद के लिए नौकरी तलाशनी भी शुरू कर दी।
वह न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहती हैं,
'स्कूली पढ़ाई पूरी किए बिना नौकरी मिलना काफी मुश्किल था। उस वक्त मुझे अंदाजा हुआ कि मेरे लिए अपनी पढ़ाई को पूरा कितना जरूरी है। हालांकि, बाद में मुझे एक वकील के दफ्तर में क्लर्क की नौकरी मिल गई, जहां मैंने टाइपिंग सीखी।'
नीना के एक पड़ोसी भी दोबारा अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगे थे। उन्होंने नीना को दसवीं की समकक्ष परीक्षा के बारे में बताया। नीना ने फौरन इस पर अमल किया और 2010-11 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के माध्यम से ग्यारहवीं और बारहवीं क्लास का एग्जाम भी पास किए।
नीना की अगली ख्वाहिश लॉ एंट्रेंस परीक्षा की तैयारी करना और उसमें शामिल होना था। उन्होंने काम और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बनाया और आखिर में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, एर्नाकुलम में दाखिला ले लिया।
इस बारे में बात करते हुए नीना बताती हैं,
'वे मेरी जिंदगी के सबसे खुशनुमा दिन थे। मैं अपने सपने के और करीब आ गई थी। मैंने तमाम चुनौतियां के बावजूद अपने वकील बनने के सपने को नहीं छोड़ा। यह चीज काफी मुश्किल थी। हालांकि, मेरे परिवार, बॉस और शिक्षकों ने इसे आसान बना दिया, जिसके लिए मैं उनकी शुक्रगुजार हूं। मुझे भरोसा है कि मैं उसी दफ्तर में अपने बॉस की जूनियर के रूप में लॉ प्रैक्टिस शुरू कर सकती हूं। यही मेरा नया सपना है।'