'अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स' के लिए SEBI की नई गाइडलाइंस, स्टार्टअप फंडिंग पर होगा असर?
नए प्रावधान अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स की पहले से जारी योजनाओं से जुड़े निवेशकों पर भी लागू होंगे.
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने विदेशी निवेशकों (foreign investors) से पूंजी जुटाने के संदर्भ में वैकल्पिक निवेश कोषों (Alternate Investment Funds - AIF) के लिए एक नियामकीय प्रारूप जारी किया. सेबी ने अपने एक परिपत्र में नए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जा रहा है. इसके तहत एआईएफ भारतीय, विदेशी या अनिवासी भारतीयों से यूनिट जारी कर कोष जुटा सकते हैं.
सेबी ने कहा कि एआईएफ के प्रबंधक को निवेशकों को स्वीकृति देते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि वह विदेशी निवेशक उस देश का निवासी है जिसने प्रतिभूति बाजार नियामक ने सेबी के साथ द्विपक्षीय समझौता या अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (International Organization of Securities Commissions - IOSCO) के साथ बहुपक्षीय समझौता किया हुआ हो.
इसके साथ ही सेबी ने कहा, "एआईएफ इस शर्त को पूरा न करने वाले निवेशक के सरकार या सरकार से संबद्ध होने पर उससे प्रतिबद्धता ले सकता है. भारत सरकार इसकी पुष्टि कर सकती है कि वह निवेशक देश का निवासी है."
सेबी के मुताबिक, निवेश कोष में 25 प्रतिशत या अधिक का अंशदान करने वाले निवेशक को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची में शामिल नहीं होना चाहिए. इसके अलावा उसे वित्तीय कार्यवाही कार्यबल (Financial Action Task Force - FATF) की निषेध सूची में शामिल देश का निवासी भी नहीं होना चाहिए.
इसके साथ ही बाजार नियामक ने कहा है कि अगर एआईएफ में निवेशक के तौर पर जुड़ा शख्स अगर निर्धारित शर्तों का पालन नहीं करता है तो कोष प्रबंधक उस निवेशक से तब तक कोई अंशदान नहीं स्वीकार करेगा, जब तक कि वह अनुपालन सुनिश्चित न करे.
नए प्रावधान वैकल्पिक निवेश कोषों की पहले से जारी योजनाओं से जुड़े निवेशकों पर भी लागू होंगे.
आपको बता दें कि AIF एक ऐसा फंड है जिसे भारत में बनाया गया है, जो निजी निवेश को साथ लेकर आगे बढ़ता है. AIF की ट्रेडिंग खुले बाजार में नहीं होती. AIF के जरिए स्टार्टअप हेज फंड, PIPE फंड में निवेश संभव है. AIF की निगरानी मार्केट रेगुलेटर SEBI करता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, AIF में छोटे निवेशकों को सोच-समझकर निवेश करना चाहिए.
वैकल्पिक निवेश कोष को सेबी (वैकल्पिक निवेश कोष) विनियम, 2012 के नियम 2(1)(B) के तहत एक सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnership: LLP) या कंपनी या ट्रस्ट या कॉरपोरेट बॉडी के रूप में भारत में स्थापित या निगमित फंड के रूप में परिभाषित किया गया है.
इसमें सेबी (सामूहिक निवेश योजना) विनियम, 1999, सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 या फंड प्रबंधन गतिविधियों को विनियमित करने वाले सेबी के किसी अन्य विनियम के तहत शामिल फण्ड शामिल नहीं है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड में शामिल हैं: वेंचर कैपिटल फंड (VCF), इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (IF), एंजेल फंड, सोशल वेंचर फंड, प्राइवेट इक्विटी (पीई) फंड.
हालांकि, म्यूचुअल फंड, सामूहिक निवेश योजनाएं, कर्मचारी स्टॉक ऑप्शंस, ट्रस्ट, कर्मचारी कल्याण ट्रस्ट या ग्रेच्युटी ट्रस्ट, परिवार लाभ ट्रस्ट, होल्डिंग कंपनियों को अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है .
AIF की कैटेगरी
AIF की 3 कैटेगरी होती है:
कैटेगरी-1 : ये AIF, स्टार्टअप या शुरुआती चरण के उद्यमों में निवेश करते हैं जैसे- वेंचर कैपिटल फंड (Venture Capital Fund), इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (Infrastructure Fund).
कैटेगरी-2 : ये AIF, श्रेणी I और III में नहीं आते हैं. ये कोष दिन-प्रतिदिन की अपनी परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा लाभ या ऋण लेने का कार्य नहीं करते हैं. इन कोष को सेबी (वैकल्पिक निवेश कोष) विनियम [SEBI (Alternative Investment Funds) Regulations], 2012 के तहत अनुमति दी जाती है जैसे- रियल एस्टेट फंड (Real Estate Fund), निजी इक्विटी फंड (Private Equity Fund).
कैटेगरी-3 : ये AIF, विविध एवं जटिल व्यापारिक रणनीतियों का प्रयोग करते हैं तथा सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव में निवेश कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. जैसे- सार्वजनिक इक्विटी कोष में निजी निवेश (Private Investment In Public Equity Fund), हेज कोष (Hedge Fund).