नौकरी छोड़कर घर बैठे चालीस हजार हर माह कमाने लगे परीक्षित बोकारे
नौकरी की हुकुमउदूली से आजिज नांदेड़ के परीक्षित बोकारे ने कपास किसानों के बीच उनकी समस्याओं का तोड़ निकालते हुए खुद के एक ऐसे नए बिजनेस आइडिया पर काम किया कि आज घर बैठे हर महीने चालीस-पचास हजार रुपए कमा रहे हैं।
आगे बढ़ने, कुछ अलग सा कर दिखाने का जुनून, अच्छा बिजनेस आइडिया, बेहतर प्लानिंग और कड़ी मेहनत का माद्दा हो तो जीवन में कोई भी सफलता ही हासिल नहीं की जासकती, बल्कि ऐसा व्यक्ति औरों के लिए भी मिसाल और प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। इसी तरह की योग्यता ने नांदेड़ (महाराष्ट्र ) के युवा परिक्षित बोकारे को औरों से अलग ले जा खड़ा किया। तभी तो वह आज मात्र 20 हजार रुपए का निवेश कर अपने ऐप प्लॉन से हर घर बैठे चालीस हजार रुपए हर महीने कमा रहे हैं।
दक्कन का पठार में गोदावरी नदी के तट पर बसा नांदेड़ नगर, औरंगाबाद के बाद महाराष्ट्र का दूसरा सबसे प्रमुख शहर है। नंदा तट के कारण इसका नाम नांदेड़ पड़ा है। परिक्षित बोकारे ने एग्रीकल्चर प्लांट पैथोलॉजी में ग्रैजुएशन के बाद वर्धा के नेशनल वाटरशेड कंजर्वेशन प्रोजेक्ट में मैनेजर की नौकरी करने लगे। उसी दौरान उनको किसानों की समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन समस्याओं ने ही उनको ऐसा बिजनेस आइडिया दिया कि नौकरी छोड़ वह अपनी राह चल पड़े।
गौरतलब है कि आजकल हर किसी के पास स्मारर्टफोन रहता है और लोग अपने हर काम के लिए ऐप पर डिपेंड होते जा रहे हैं। अगर कोई युवा एप्सट का उपयोग कर अपने बिजनेस आइडिया पर काम करने लगे तो वह अमीर भले न बन पाए, अपने पैरो पर आर्थिक रूप से जरूर खड़ा हो सकता है। मसलन, ओपीनियन रिवार्ड गूगल एप सर्वे में भाग लेने के लिए भुगतान करता है। गूगल की ओपीनियन रिवार्ड प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और यह एक क्विक सर्वे एप है, जो सर्वे में भाग लेने वाले यूजर्स को गूगल प्लेड क्रेडिट देता है। मूकैश एक एंड्रॉयड एप है जो नए एप्सक या गेम्सै का टेस्ट करने, वीडियो देखने, दोस्तो को रेफर करने, सर्वे का उत्तर देने आदि के लिए कैश, गिफ्ट कार्ड (अमेजन, गूगल प्ले ), बिटकॉइन और अन्यड रिवार्ड देता है।
मिलने वाले कैश रिवार्ड को पेपाल या गूगल रिवार्ड कार्ड के जरिये रिडीम किया जा सकता है। इसी तरह स्वरेड्ड रन नाम का भारतीय एप पेटीएम कैश और पेयूमीन प्वॉ इंट्स से कमाई कराता है। इसमें विभिन्नै कंपनियों जैसे फ्लिपकार्ट, यात्रा, स्नैीपडील, ओला आदि के बारे में फीडबैक देने, इमेज को टैग करने, प्रोडक्ट्सस को कैटेगराइज करने आदि के बदले स्वाआदि्ड कॉइन मिलते हैं, जिसे आप अपने पेटीएम वॉलेट या पेयूमनी के जरिये रिडीम कर सकते हैं।
परिक्षित बोकारे नौकरी छोड़ने के बाद सबसे पहले सांगली के कृष्णा वैली एडवांस्ड एग्रीकल्चरल फाउंडेशन से एग्री क्लिनिक एंड एग्री बिजनेस का दो माह का कोर्स कम्पलीट किया। फिर आसपास के गांवों में घूम-घूमकर कुछ समय तक क्रॉप प्रोडक्शन के बारे में लोगों जानकारी देने लगे।
उस दौरान ही उन्होंने तय किया कि अब वह किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़कर खेतीबाड़ी के बारे में प्रशिक्षित करेंगे। नए आइडिया पर काम करने की एक प्रमुख वजह रही, अधिकांश किसानों के पास एंड्रॉयड फोन होना। फिर क्या था, उन्होंने इंफॉर्मेशन कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री वाले दोस्त को भी अपने साथ जोड़ लिया। इस तरह एक पर एक उनके बिजनेस आइडिया की कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गई। उस दोस्त ने ही परिक्षित बोकारे के 'कॉटन ऐप कापूस' को डेवलप कर दिया। इस पर बोकारे को मात्र पचीस हजार रुपए खर्च करने पड़े।
बोकारे ने अपने ऐप का नाम 'कापूस' इसलिए रखा कि विदर्भ में बहुतायत से कपास की खेती करने वाले किसान परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। ऐप का काम चल निकला और इसके बाद उनकी अच्छी खासी-कमाई होने लगी।
परिक्षित बोकारे बताते हैं कि आज उनके वेंचर क्रुषि सारथी का वार्षिक टर्नओवर 15 लाख रुपए तक पहुंच चुका है। उनके ऐप से ज्यादा लोगों के जुड़े होने कारण एग्री कंपनियों से भी उनकी अच्छी कमाई हो रही है। एग्री कंपनियां अपने प्रोडक्ट की सिफारिश के लिए उनसे संपर्क करती रहती हैं। वह उनके प्रोडक्ट्स की जांच-परख के बाद उससे किसानों को कनेक्ट कर देते हैं। साथ ही सम्बंधित कंपनी से किसानों को जुड़ जाने की सलाह देते रहते हैं। बोकारे को कंपनियां इस काम की अलग से कीमत चुकाती रहती हैं। उनके ऐप को किसानों से खूब रिस्पॉन्स मिल रहा है। उनके मराठी ऐप को अब तक लगभग चालीस हजार किसान डाउनलोड कर चुके हैं। यह ऐप लगे हाथ किसानों की समस्याओं का समाधान सुझा देता है। विशेषकर कपास की खेती करने वाले किसान और उद्यमी उनके ऐप का लाभ उठा रहे हैं।