अपने बच्चे के कमरे को ऊर्जावान बनाने के लिए सात वास्तु टिप्स
वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव द्वारा इस लेख में दिए गए इन छोटे-छोटे उपायों के द्वारा आप अपने बच्चों के जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार कर उन्हें उत्तरोतर प्रगति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं।
माता-पिता के लिए बच्चे खुद से अधिक प्रिय होते हैं इसलिए हर माता-पिता ये चाहते हैं कि उनके बच्चे एक सफल और स्वस्थ व्यस्क बने और इसीलिए वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और अच्छे आचरण की शिक्षा देते हैं। अपने बच्चों का स्वास्थय और शिक्षा हमारी टॉप प्रायोरिटी होती है।
ऐसे में क्या भारत की प्राचीनतम विधाओं में से एक – वास्तु कैसे बच्चों के कमरे को उर्जावान बना सकता है, आइये समझते हैं, वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव से।
बच्चों का कमरा कहाँ हो?
बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व में सर्वश्रेष्ठ माना गया है, अगर यहाँ बनाना संभव नहीं हो तो पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम के मध्य में बनाना चाहिए या फिर पूर्व में बनाना चाहिए। कमरे के दरवाजे पर कोई बोर्ड या चिन्ह नहीं लगायें नहीं तो बच्चे गुस्सेल और अहंवादी बनते हैं।
बच्चों के रूम में आइने का प्रयोग
बच्चों के बेड के ठीक सामने आइना नहीं होना चाहिए, न ही आइना ऐसा लगा हो कि बच्चे सोते वक्त अपनी परछाई आइने में देख सकें। अगर बच्चे अपने-आप को आइने में देख सकते हैं तो उनको अनिद्रा या गहरी नींद लेने में दिक्कत होगी। बच्चों का बेड भी दरवाजे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए।
बच्चों का बेड कैसा हो?
आजकल धातु के बेड का चलन है। पर अच्छी नींद और उर्जा के लिए लकड़ी का बेड ही सर्वश्रेष्ठ है। धातु का बेड नकारात्मक उर्जाओं को संचारित करता है। बेड को बच्चों के कमरे के दक्षिण-पश्चिम में लगायें और सोते समय उनका सिर दक्षिण या पूर्व की तरफ हो ये सुनिश्चित करें। बच्चों को बेड पर खाने की आदत नहीं डालें। इस आदत के पड़ने से बच्चों को नींद में बाधा आ सकती है और बुरे सपने आ सकते हैं।
बच्चों के आसपास इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र
बच्चों के आसपास कई सारे इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र के होने से वे सारे समय विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों के प्रभाव में रहते हैं और इस कारण कई शारीरिक और मानसिक विकार को आमंत्रित करते हैं। अगर आपने बच्चे को मोबाइल या लैपटॉप दिया है तो उनको प्रेरित कीजिये कि वे उसे सोते समय खुद से कम से कम सात फीट की दूरी पर रखें।
बच्चों के रूम का रंग
बच्चों में अधिक उर्जा होती है और वैसे भी उनके उपयुक्त विकास के लिए अधिक उर्जा ही जरूरी है। उनका रूम रोशन और खुशनुमा होना चाहिए। वास्तुआचार्य मनोज इसके लिए हल्का पीला और हल्का हरा रंग के उपयोग की सलाह देते हैं। लड़कियों के कमरे में आप हल्का गुलाबी रंग भी कर सकते हैं। दीवारों और पर्दों का रंग इन में से एक रखें। बेडरूम में नीले और काले रंगों का उपयोग बेडशीट या कारपेट में भी नहीं करें।
स्टडी टेबल
स्टडी टेबल कमरें में इस तरह रखें कि बच्चे पूर्व या उत्तर की तरफ बैठकर पढाई करें। इससे उनके याददाश्त और एकाग्रता पर सकारात्मक प्रभाव पढ़ेगा। स्टडी टेबल भी लकड़ी का बना हो तो उपयुक्त है। स्टडी टेबल के नीचे पुराने जूते-चप्पल, कूड़ा-करकट नकारात्मक उर्जाओं का संचार करता है और बच्चों का पढाई में मन नहीं लगता है। स्टडी टेबल और उसके नीचे के स्थान को व्यवस्थित रखने की प्रेरणा दें।
बेड के ऊपर बीम
किसी भी हालत में बेड के ऊपर या स्टडी टेबल के ऊपर बीम नहीं होनी चाहिए। इससे बच्चों की नींद और एकाग्रता बाधित होती है।
वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव द्वारा इस लेख में दिए गए इन छोटे-छोटे उपायों के द्वारा आप अपने बच्चों के जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार कर उन्हें उत्तरोतर प्रगति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं।