जरूरतमंद महिलाओं को सिक्योरिटी गार्ड बनाकर उन्हे नौकरी दिला रहा है यह खास स्टार्टअप
सेफ हैंड्स 24x7 आज महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हे सुरक्षाकर्मी बना रहा है। स्टार्टअप के जरिये ये महिलाएं आज आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त होकर आगे बढ़ रही हैं।
आपने कितनी बार महिला सुरक्षा गार्डों को देखा है? देश में पुरुष सुरक्षा गार्डों की तुलना में यह संख्या कम हो सकती है। कई नौकरियां जैसे मुंबई में लोकल ट्रेन या बीएमटीसी की बसों के चालक मुख्य रूप से पुरुष ही होते हैं। दशकों में यह एक स्टीरियोटाइप बन गया है, जहाँ महिलाओं को इनमें से किसी एक भूमिका में भी फिट नहीं पाया जाता है।
इस स्टीरियोटाइप को तोड़ने के लिए सेफ हैंड्स 24x7 की संस्थापक 33 वर्षीय महिला उद्यमी श्रवणी पवार महिलाओं को सुरक्षा गार्ड बनने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। ये महिलाएं ज्यादातर समाज के कमजोर वित्तीय और कमजोर वर्गों से आती हैं। स्टार्टअप द्वारा प्रदान की जाने वाली ट्रेनिंग उन्हें सशक्त बनाती है, साथ ही वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है।
अपने प्रशिक्षण के बास ये महिला सुरक्षा गार्ड स्टार्टअप के चुनिन्दा ग्राहक जैसे महिला छात्रावास, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान और कुछ व्यावसायिक परिसरों में सेवाएँ देती हैं।
द लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए, श्रावणी ने कहा,
"हम शहर के भीतर ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि कर्मचारियों के लिए यात्रा करना सुविधाजनक हो। हमारा एक मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है ताकि वे अपने परिवार के साथ रहकर काम कर सकें।"
वो आगे कहती हैं,
“हम इस तरह से स्थानों का चयन करते हैं कि ये महिलाएं सुरक्षित और आरामदायक महसूस कर सकें। वे आसपास के लोगों को भी सुरक्षा की यही भावना प्रदान कर सकती हैं।”
निजी सुरक्षा एजेंसियों के विनियमन अधिनियम, 2005 (PSARA) के अनुसार भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों द्वारा इन गार्डों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इन उम्मीदवारों को सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी के साथ शारीरिक, मानसिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिसमें रिकॉर्ड और अन्य कर्तव्यों का रखरखाव शामिल है।
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार श्रावणी के स्टार्टअप सेफ हैंड्स 24X7 ने लगभग 600 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है और उनका वार्षिक कारोबार 6 करोड़ रुपये का है। यह कर्नाटक, गोवा, हैदराबाद और चेन्नई में अपनी सेवाएं प्रदान करता है।
स्टार्टअप से मदद पाकर आगे बढ़ने वाली एक महिला ने बताया,
“मैं सिर्फ 30 साल की थी, जब मेरे पति को लकवा मार गया। वो हमारे परिवार में जीविका अर्जन करने वाले अकेले शख़्स थे। उस घटना ने हमारे परिवार को वित्तीय संकट में डाल दिया। बीमार पति और दो स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ, मुझे जीविका के लिए घर से बाहर निकालना पड़ा, लेकिन अशिक्षित होने के कारण मेरे पास घरेलू मदद के रूप में काम करने के लिए सीमित विकल्प थे, जिनकी आय बेहद कम थी और नौकरी की कोई सुरक्षा भी नहीं थी। श्रावणी मैडम ने मुझे 2010 में नैतिक समर्थन के साथ एक महिला छात्रावास में एक सुरक्षा गार्ड की नौकरी दी। मुझे एक अच्छी आय, ईएसआई, और अन्य लाभ भी मिले। अब, मैं सेफ हैंड्स का हिस्सा बनकर स्थापित और गौरवान्वित हूं।”