अपने सोशल स्टार्टअप के जरिये सरकार की योजनाओं से लोगों को जागरूक करने के साथ उनकी समस्याओं का समाधान कर रहा है यह युवा उद्यमी
सरकारी कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए ये स्टार्टअप दे रहा है देश का पहला सार्वजनिक शिकायत निवारण मंच
प्रियांशु द्विवेदी
Thursday July 02, 2020 , 7 min Read
शुभम कहते हैं, “सरकारें बड़े बजट की योजनाएँ शुरू करती हैं, लेकिन ऐसा क्यों होता है कि टैक्स पेयर्स के पैसे से शुरू की गई इन बड़ी योजनाओं के लागू होने बावजूद जमीनी स्तर पर बदलाव दिखाई नहीं देता है। यहीं से मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने का विचार मिला।”
केंद्र और राज्य सरकारें जनता के हित में लगातार फैसले लेते हुए नीतियों और योजनाओं का निर्माण करती रहती हैं, लेकिन कई बार इन योजनाओं के बारे में आम जनता (खास तौर पर ग्रामीण आँचल) तक जानकारी सही ढंग से नहीं पहुँच पाती है या पहुँच ही नहीं पाती है और यह खाईं उन योजनाओं के प्रभाव को भी कम कर देती है।
यूं तो केंद्र और राज्य सरकारें अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए हर संभव कदम उठाती रहती हैं, लेकिन इस बीच एक संस्था ऐसी भी है जो इस दिशा में बड़े ही सक्रिय और प्रभावी तरीके से काम कर रहा है।
‘राजमंच' संस्था और न्यायकर्ता नाम का सोशल स्टार्टअप, ये दोनों आज यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश के हर हिस्से तक लोगों के पास सरकार की योजनाओं और लोगों के हित में उठाए गए कदमों की जानकारी पहुंचे, साथ ही उन्हे परेशानी के दौरान जरूरी राय और उचित सहायता भी मिल सके।
ऐसे हुई शुरुआत
राजमंच और न्यायकर्ता के संस्थापक शुभम शर्मा ने साल 2015 में नोएडा के एक कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई पूरी और इसी के साथ उनके हाथ में एक-दो नौकरियों के ऑफर भी थे, लेकिन शुभम ने अपने लिए कुछ और ही सोचकर रखा था।
शुभम कहते हैं,
“स्नातक के पहले कुछ सालों से ही मुझमें कुछ अलग करने की इच्छा थी। कॉलेज के बाद शुरुआत में स्टार्टअप भी शुरू किए, लेकिन मेरे अंदर की कॉलिंग कुछ और ही थी।”
इसके पहले शुभम दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में ही थे, लेकिन साल 2016 में वो अपने इरादों के साथ अपने गृह नगर जयपुर वापस निकल गए। शुभम का मानना हैं कि गवर्नेंस का क्षेत्र आम आदमी को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
शुभम कहते हैं,
“सरकारें बड़े बजट की योजनाएँ शुरू करती हैं, लेकिन ऐसा क्यों होता है कि टैक्स पेयर्स के पैसे से शुरू की गई इन बड़ी योजनाओं के लागू होने बावजूद जमीनी स्तर पर बदलाव दिखाई नहीं देता है। यहीं से मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने का विचार मिला।”
मंच को शुरू करने से पहले शुभम ने कई महीने रिसर्च में भी बिताए, इस दौरान उन्होने कई गांवों में जाकर रातें बिताईं और ग्रामीणों की समस्याओं से सीधे तौर पर रूबरू हुए। इसके बाद साल 2018 में शुभम ने एक जिले में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया। गौरतलब है कि आज यह मंच लगभग 22 राज्यों में केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।
कैसे करते हैं काम?
शुभम के अनुसार शुरुआती समय में उन्होने इस बात पर भी रिसर्च की कि किन योजनाओं का लाभ किस स्तर पर लोगों तक नहीं पहुँच पा रहा है? संस्थान ने पहले ग्रामीण क्षेत्र पर फोकस करते हुए अपना काम बढ़ाया। यह काम करते हुए सबसे बड़ी चुनौती जो सामने आई वो ये थी कि लोग अपने स्तर पर प्रयास करके थक चुके थे और उनका भरोसा जीतना काफी मुश्किल काम था।
हालांकि राजमंच एक नॉन प्रॉफ़िट पब्लिक वेलफेयर ऑर्गनाइज़ेशन है, जिसका उद्देश्य सरकार की योजनाओं की जागरूकता लोगों तक पहुँचाना है। राजमंच इसके लिए जगह-जगह जाकर अवेयरनेस कैंप का आयोजन करता है। इन कैंप में सरकारी महकमे के लोग भी शामिल होते हैं, जिससे मौके पर आकर लोग अपनी समस्याओं के संदर्भ में समाधान पा सकते हैं। राजमंच में 15 लोग पूर्णकालिक हैं, जबकि 5 हज़ार से अधिक वालंटियर्स इसके साथ जुड़े हुए हैं।
लोगों तक इन कैंप की जानकारी पहुंचाने के लिए राजमंच सोशल मीडिया कैम्पेन का भी सहारा लेता है, जिसके जरिये लोगों तक इन कैंप के संदर्भ में पहले से ही जानकारी पहुंचाई जाती है, जिससे बड़ी संख्या में लोग इन कैंप में शामिल हो पाते हैं।
कोरोना महामारी का समय
शुभम बताते हैं की लॉकडाउन के दौरान जब सरकार ने उनके लिए मुफ्त यात्रा की व्यवस्था कर दी, तब भी उन मजदूरों तक यह जानकारी सही ढंग से पहुँच नहीं पाई और उन्होने पैदल यात्रा करना जारी रखा। इस दौरान लोकल क्षेत्रों में कुछ दलाल और ठग लोगों ने उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हे धोखा देते हुए उनसे पैसों की उगाही भी कर ली।
इसी को ध्यान में रखते हुए चार महीने पहले शुरू हुआ न्यायकर्ता एक ऐसा ही स्टार्टअप है जो इन समस्याओं को लेकर काम कर रहा है। शुभम के अनुसार न्यायकर्ता के साथ अब देश के 500 से अधिक लीगल और ह्यूमन राइट एक्सपर्ट जुड़े हुए हैं, ऐसे में जब किसी को मदद की जरूरत होती है तब यह स्टार्टअप उनकी मदद के लिए आगे आता है।
शुभम के अनुसार इस स्टार्टअप की वेबसाइट पर लोगों द्वारा भेजी गई रोजाना 200 से अधिक शिकायतें मिल रही हैं, इसी के साथ राजमंच के वालंटियर्स द्वारा चिन्हित की गई समस्याओं पर भी सक्रिय तौर पर एक्शन लिया जाता है।
शुभम कहते हैं,
“जब हमें मजदूरों या प्रवासी लोगों से शिकायत प्राप्त होती है, तब हमारे साथ जुड़े एक्सपर्ट उनकी बिना किसी शुल्क के मदद करते हैं। हम उनके लिए सरकारी तंत्र से भी बात करते हुए उन्हे गाइड करते हैं।”
न्यायकर्ता में 4 लोग की टीम है, जो एक्स्पर्ट्स के साथ मिलकर काम करती है। जो शिकायत के हिसाब से उस पर एक्स्पर्ट्स के साथ मिलकर उसके समाधान के लिए काम करती हैं।
महामारी के दौरान जमीनी स्तर पर काम करने वाले वालंटियर्स और संस्था से जुड़े अन्य सभी के लिए पीपीई किट और अन्य सभी सुरक्षा उपकरणों की पूरी व्यवस्था की गई है।
समस्या का समाधान
शुभम ने यह भी बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास कई शिकायतें आई जो किराए पर रहे रहे लोगों की थीं, जिन्हे उनके मकान मालिकों द्वारा परेशान किया जा रहा था। इस दौरान उन्होने अपनी टीम और सरकार के साथ मिलकर उन लोगों की मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाए। इस दौरान स्टार्टअप ने अपनी हेल्पलाइंस की संख्या को 5 से बढ़ाकर 20 तक कर दिया और इसी दौरान एक्स्पर्ट्स की संख्या भी 100 से बढ़कर 500 तक पहुँच गई।
शुभम बताते हैं कि उनके पास घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतें भी बड़ी तादाद में आती हैं। उन्हे भी स्टार्टअप के एक्स्पर्ट्स के जरिये मदद उपलब्ध कराई जाती है।
शुभम कहते हैं,
“ऐसे मामलों में हम लोगों से बात करके भी मामले को सुलझाने की कोशिश करते हैं, जबकि कुछ मामलों में यह सब कोर्ट तक भी जाता है।”
शुभम के अनुसार उनसे जुडने के लिए लोग राजमंच डॉट ओआरजी और न्यायकर्ता डॉट कॉम पर जा सकते हैं और अपनी समस्या बता सकते हैं, इसी के साथ सोशल मीडिया के जरिये भी लोग आसानी से जुड़ सकते हैं। लोग वालंटियर्स के जरिये और हेल्पलाइन नंबर 7014827853 के जरिये भी जुड़ सकते हैं।
भविष्य के प्लान और चुनौतियाँ
शुभम दोनों ही मंच को आगे ले जाने के उद्देश्य से बढ़ रहे हैं। आज इनके जरिये करीब एक करोड़ लोगों को सशक्त करने का काम किया जा रहा है। शुभम सभी राज्य सरकारों खास तौर पर नॉर्थ ईस्ट और दक्षिण भारत क्षेत्र में बड़े स्तर पर काम करने का प्लान भी बना रहे हैं।
इसी के साथ शुभम हर उस शख्स, संस्था को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं जो उनके विजन में भरोसा जाता रहा है। वालंटियर्स की संख्या को भी बड़ी मात्रा में बढ़ाने के उद्देश्य से काम किया जा रहा है।
शुभम कहते हैं,
“जो लोग हमारे साथ जुड़कर बड़ा सामाजिक बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं, हम उनका स्वागत करते हैं।”
फिलहाल आगे के प्लान्स के लिए फंड एक चिंता का विषय है, लेकिन शुभम को भरोसा है कि वो इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे।
देखें योरस्टोरी हिन्दी के साथ शुभम शर्मा का यह खास इंटरव्यू-