पहलवानों से ज्यादा वक़्त को पछाड़ कर चैंपियन बनी हैं हरियाणा की सोनम मलिक
हरियाणा की अठारह वर्षीय विश्व चैंपियन पहलवान सोनम मलिक इस समय 2020 ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं। इस मोकाम तक पहुंचने में उन्हे तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। विगत चार वर्षों से भारतीय कुश्ती के राष्ट्रीय कैम्प की हिस्सा सोनम लखनऊ के साई सेंटर में ओलंपिक कुश्ती चैंपियन बनने की कोशिश में हैं।
रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक को हराने वाली अठारह वर्षीय युवा पहलवान सोनम मलिक को अपने कोच अजमेर मलिक की वह बात कभी नहीं भूलती है कि 'चोट तो पहलवानी का श्रृंगार है। मैट पर पहुँचने के बाद कोई भी लापरवाही नहीं सहन की जाएगी।'
सोनम बताती हैं कि बचपन में अपने स्कूल में एक बार खेल में फर्स्ट आईं तो उनको आईपीएस सुमन मंजरी ने सम्मानित किया था। उन्होंने तभी ठान लिया था कि एक दिन वह भी सुमन मंजरी की तरह कुछ बड़ा हासिल करके रहेंगी। उसके बाद वह कुश्ती के पेशे में ही हाथ आजमाने चल पड़ीं। अपने एज ग्रुप के कई पहलवान अखाड़े में चित्त किए।
कामयाबियों की उसी धुन में उनको पांच बार भारत केसरी के खिताब से नवाजा गया। मुकाबले में साक्षी मलिक को पछाड़ कर रातो-रात स्टार बन चुकी सोनम बताती हैं कि उन्होंने जब कुश्ती में कदम रखा तो उनकी रोल मॉडल रियो ओलंपिक की पदक विजेता साक्षी मलिक रही थीं।
सोनम मलिक 2017 और 2019 में विश्व कैडेट चैंपियन रह चुकी हैं। वह पिछले चार वर्षों से भारतीय कुश्ती के राष्ट्रीय कैम्प का हिस्सा हैं। वह लखनऊ के साई सेंटर में ट्रेनिंग करती हैं। भारतीय कुश्ती टीम के चीफ कोच कुलदीप मलिक बताते हैं कि सोनम बेहद प्रतिभाशाली पहलवान हैं। सोनम रोजाना उम्मीद से कहीं ज्यादा मेहनत करती हैं। वह अखाड़े को ही अपना मंदिर मानती हैं। कम उम्र में उसकी ढेर सारी उपलब्धियां इस बात की संकेत हैं कि वह आगे अपना नाम और ऊंचा कर सकती हैं।
2019 में बुल्गारिया और 2017 में एथेंस में हुई विश्व कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण, 2016 में थाईलैंड में हुई एशियन चैंपियनशिप में कांस्य, 2017 क्रोएशिया में हुई एशियन चैंपियनशिप में रजत, 2017 विश्व स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल, 2018 अर्जेंटीना में हुई विश्व कैडेट चैंपियनशिप में कांस्य, 2019 कजाखस्तान में हुई एशियन चैंपियनशिप में रजत हासिल कर चुकीं सोनम आज से छह साल पहले जब बारह वर्ष की थीं, गीता फोगाट, बबिता फोगाट, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक जैसी पहलवान उनकी पहली प्रेरणा बनीं।
गोहाना, सोनीपत (हरियाणा) के गाँव मदीना निवासी सोनम के पहलवान पिता राजेंदर मलिक उर्फ राज बताते हैं कि बेटी इस समय अगले ओलंपिक की तैयारी कर रही है। मशहूर पहलवान चंदगी राम के शागिर्द रहे राज को तमाम कामयाबी के बावजूद एक बात का हमेशा अफ़शोस रहा है कि वह कोई कुश्ती अपने देश भारत के लिए नहीं लड़ सके। सिर्फ वही नहीं, उनके समेत कई और भी पहलवान इसलिए ऐसे शानदार मौकों से दूर रह गए क्योंकि कुश्ती के दौरान ही वे घायल हो चुके थे।
इसीलिए राज आज भी एक डर में जीते रहते हैं कि कहीं उनकी बेटी उनकी तरह किसी घटना का शिकार न हो जाए। पिता के बचपन के दोस्त और सोनम के फ़ौजी चाचा अजमेर मलिक वर्ष 2011 में अपने खेत में एक अखाड़ा बनाकर उनको प्रशिक्षित करने लगे थे। वह हर सुबह मिलने के बहाने अजमेर मलिक के अखाड़े में आने-जाने शुरू लगीं। पता चला तो पिता भी उनमें बड़े पहलवान का भविष्य देखने लगे।
उससे पहले तक अजमेर के अखाड़े में केवल लड़के ट्रेनिंग लेते रहे थे। सोनम को इसका फायदा ये हुआ कि उन्हे कुश्ती के कठिन हुनर, दांव पेंच वक्त से पहले ही मिल गए। सोनम बताती हैं कि वह ट्रेनिंग एकदम फौजियों जैसी रही। उनको भी लड़कों की तरह ही प्रशिक्षण दिया गया गया।
कोच अजमेर बताते हैं कि सोनम अपने से उम्र और अनुभव में कहीं ज़्यादा नामचीन पहलवानों को पछाड़ चुकी हैं। वर्ष 2013 में स्टेट लेबल के एक मुक़ाबले के दौरान सोनम का दायां हाथ अपंग हो गया था। पहले लगा कि हल्की-फुल्की चोट है। कुछ देसी इलाज हुए लेकिन कोई फायदा नहीं। एक चिकित्सक न तो कह दिया कि अब कुश्ती को भूल जाओ।
पहलवानी में आगे बढ़ने के हौसले पर पिता को भी अफशोस होने लगा था लेकिन वह प्रैक्टिस करती रहीं। पैरों को शस्त्र बना लिया। खुशकिस्मती से दोबारा हाथ ठीक हो गया। अब तो उनका करियर पूरी तरह से ट्रैक पर आ चुका है। वह अब 2020 ओलंपिक के लिए अपनी टिकट बुक करने के कगार पर खड़ी हैं। खेल के गौरव के लिए मुश्किल से मुश्किल बाधाओं पर काबू पाना हमेशा से महान एथलीट्स की पहचान रही है।
सोनम भी कुछ उसी तरह की मुश्किलों पर पार पाती हुई आज अपनी जिंदगी के शानदार मोकाम पर हैं।