पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू की आलू की खेती, अब हर साल कमा रहे हैं 3.5 करोड़ रुपये
आज पार्थीभाई अपनी 87 एकड़ जमीन पर आलू की खेती कर रहे हैं, जहां वे प्रति हेक्टेयर लगभग 1200 किलो आलू का उत्पादन करते हैं।
"पार्थीभाई पहले गुजरात पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन खेती के प्रति उनके लगाव और कुछ अलग करते हुए आगे बढ़ने की अपनी चाहत को देखते हुए उन्होने करीब 18 साल पहले उन्होने अपनी वह सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। मालूम हो कि पार्थीभाई का चयन गुजरात पुलिस में साल 1981 में एसआई पद पर हुआ था।"
कभी बतौर पुलिसकर्मी लोगों की सेवा में जुटे इन शख्स के भीतर सीखने की जिद कुछ ऐसी थी कि उन्होने अपनी सरकारी नौकरी को छोड़ खेती करना चुना और वहाँ भी गैर-पारंपरिक तरीके अपना कर हर साल करोड़ों रुपये की कमाई शुरू कर दी।
ये शख्स हैं गुजरात के बनासकांठा के दांतीवाड़ा के रहने वाले पार्थीभाई जेठाभाई चौधरी। पार्थीभाई पहले गुजरात पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन खेती के प्रति उनके लगाव और कुछ अलग करते हुए आगे बढ़ने की अपनी चाहत को देखते हुए उन्होने करीब 18 साल पहले उन्होने अपनी वह सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। मालूम हो कि पार्थीभाई का चयन गुजरात पुलिस में साल 1981 में एसआई पद पर हुआ था।
इसकी शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि पुलिस की नौकरी के दौरान ही पार्थीभाई को एक विदेशी कंपनी द्वारा ट्रेनिंग करने का मौका मिल गया जहां उन्हें गुणवत्तापूर्ण आलू के उत्पादन को लेकर ट्रेनिंग मुहैया कराई गई थी। यहीं पर पार्थीभाई ने आलू उत्पादन से जुड़ी तमाम तकनीक सीखीं और इसके बाद आलू का उत्पादन भी शुरू कर दिया।
ऐसे सुलझाई पानी की समस्या
आलू उत्पादन की शुरुआत पार्थीभाई के लिए जटिल थी, क्योंकि फसल के लिए तब आवश्यक पानी का प्रबंध करना उनके लिए तब मुश्किल साबित हो रहा था, लेकिन इसके समाधान के रूप में पार्थीभाई ने ड्रिप इरिगेशन तकनीक का सहारा लिया। इस तकनीक के जरिये फसल में बूंद-बूंद करके पानी डाला जाता है, जिससे कम से कम पानी की खपत के साथ ही फसल को जरूरत का पानी आसानी से मिल जाता है।
आज पार्थीभाई अपनी 87 एकड़ जमीन पर आलू की खेती कर रहे हैं, जहां वे प्रति हेक्टेयर लगभग 1200 किलो आलू का उत्पादन कर रहे हैं। इन आलू की क्वालिटी आमतौर पर चिप्स उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है। पार्थीभाई शुरुआत में मेकैन कंपनी को आलू सप्लाई किया करते थे, हालांकि अब वे देशी कंपनी बालाजी वेफ़र्स को चिप्स सप्लाई कर रहे हैं।
अपने नाम कर चुके हैं विश्व रिकॉर्ड
इतने बड़े स्तर पर आलू उत्पादन करने और करोड़ों का कारोबार करने वाले पार्थीभाई अपने परिवार के लिए भी भरपूर समय निकाल लेते हैं। आमतौर पर आलू की बुआई अक्टूबर महीने की शुरुआत में हो जाती है और दिसंबर तक फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद पार्थीभाई अपने आलुओं को कोल्ड स्टोरेज में रखवा देते हैं, जहां से फिर मांग के अनुसार आलू की सप्लाई की जाती है।
आज पार्थीभाई के साथ उनके फार्म पर 15 से अधिक लोग काम कर रहे हैं, जबकि हर साल पार्थीभाई करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये के आलू की बिक्री कर लेते हैं। इतना ही आलू के अलावा अप्रैल से नवंबर महीने के दौरान पार्थीभाई बाजरा, मूँगफली और तरबूज आदि की फसल भी उगाते हैं।
पार्थीभाई के नाम प्रति हेक्टेयर आलू उत्पादन का विश्व रिकॉर्ड भी है, जहां उन्होने साल 2011-12 में 87 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया था। आज बनासकाठा आलू उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहां देश का करीब 6 फीसदी आलू उत्पादन होता है और इस काम में 1 लाख से अधिक किसान जुटे हुए हैं।
Edited by Ranjana Tripathi