जैविक कचरे का उपयोग करके पशुओं के लिए चारे का उत्पादन कर रही है पिता-पुत्र की जोड़ी
कृष्णकांत बोहरा और निखिल बोहरा ने वर्ष 2015 में जोधपुर से Krimanshi नाम के इस स्टार्टअप की शुरुआत की, जो मुख्यत: जैविक खाद्य अपशिष्ट व कृषि अवशेषों को रिसाइकल करके प्राप्त वैकल्पिक फाइबर, प्रोटीन और वसा के आधार पर पशुओं के लिए पौष्टिक पशु चारा तैयार करता है।
भारत में पशुओं के लिए चारा तैयार करने वाले कई ब्रांड हैं, जो अधिक लाभ कमाने के प्रयास से मिलावटी पशु चारा बनाने के दुष्चक्र में पड़ जाते हैं। जोकि डेयरी मवेशियों, भेड़ और बकरियों में दूध उत्पादन क्षतमा को कम कर सकता है। साथ ही जानवरों के प्रजनन और लीवर को भी प्रभावित कर उनकी इम्यूनिटी को भी घटाता है। इस कारण पशुओं में बीमारियों से लड़ने की संवेदनशीलता कम हो जाती है।
जोधपुर स्थित पशु पोषण स्टार्टअप, Krimanshi Technologies Pvt. Ltd. के संस्थापक और सीईओ निखिल बोहरा कहते हैं, “ये मिलावट विभिन्न प्रकार के पशुओं के चारे को दूषित कर सकती है और भारी आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती है, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और ग्रामीण आजीविका पर महत्वपूर्ण खतरा पैदा हो सकता है।”
निखिल और उनके पिता कृष्णकांत बोहरा ने साल 2015 में
की शुरुआत की थी, जो जैविक खाद्य अपशिष्ट और कृषि अवशेषों के पुनर्चक्रण से प्राप्त वैकल्पिक फाइबर, प्रोटीन और वसा के आधार पर पौष्टिक जलवायु लचीला पशु चारा बनाती है। निखिल के अनुसार, स्टार्टअप में प्रतिदिन 30 टन खाद्य अपशिष्ट को फ़ीड सामग्री और पशुओं के लिए संतुलित मिश्रित फ़ीड में अपसाइकिल करने की क्षमता है।निखिल बताते हैं, “बढ़ती आबादी और विकासशील उद्योगों के कारण, केवल सोयाबीन भोजन और मछली के भोजन जैसे पारंपरिक स्रोतों पर निर्भर रहने से निकट भविष्य में स्रोत दुर्लभ और महंगे हो जाएंगे। इसलिए, डेयरी और पोल्ट्री फीड में पारंपरिक स्रोतों को बदलने के लिए वैकल्पिक प्रोटीन और फाइबर स्रोतों पर विचार करना जरूरी हो जाता है।”
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक वैश्विक खाद्य अपशिष्ट 3.40 बिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें आगे कहा गया है कि भारत में लगभग 60 प्रतिशत शहरी ठोस कचरा जैविक है, जिसमें सब्जी, भोजन और अन्य चीजों के मलबे शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल बेंगलुरु में प्रतिदिन लगभग 3,000 टन जैविक कचरा उत्पन्न होता है।
निखिल कहते हैं, “जैविक कचरे के सड़ने से मीथेन नामक गैस का उत्सर्जन होता है, जो ग्रीनहाउस गैस व कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 23 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। समस्या यह है कि इन संसाधनों को शायद ही कभी रिसाइकल किया जाता है और आगे कोई उपयोग नहीं होता है।”
वह आगे बताते हैं, “हम भोजन में मिलावट के इन मुद्दों को हल करना चाहते हैं। वैकल्पिक प्रोटीन और फाइबर स्रोतों की खोज करना और शहरी जैविक कचरे को एक ही समाधान के माध्यम से इकट्ठा करना व खाद्य अपशिष्ट को स्थायी कीट प्रोटीन में परिवर्तित करना चाहते हैं।”
टीम
निखिल वीआईटी वेल्लोर से बायोटेक इंजीनियर हैं। उन्होंने भारत सरकार के पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग द्वारा आयोजित पशुपालन ग्रैंड चैलेंज 2020 जीतने के लिए Krimanshi का नेतृत्व किया। उन्होंने JICA (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी), विश्व बैंक और EU के तहत WASH (पानी, कृषि, स्वच्छता और स्वास्थ्य), पर्यावरण और पोषण परियोजनाओं पर दाता परियोजनाओं के लिए काम किया है और अतीत में WaterWello - यूएसए के भारत संचालन का नेतृत्व किया है। वह वर्तमान में Krimanshi में अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद विकास, साझेदारी और धन उगाहने का नेतृत्व करते हैं।
वहीं, निखिल के पिता कृष्णकांत, जो कंपनी के को-फाउंडर और सीओओ हैं, ने खाद्य, सीमेंट और खनिज उद्योगों के लिए जैविक और अकार्बनिक रासायनिक उत्पाद फॉर्मूलेशन पर शोध किया है। उनके पास रासायनिक परीक्षण, उत्पादन और परियोजना प्रबंधन में काम करने का 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है और भोजन, पशु चारा, खनिज, सीमेंट और रासायनिक उत्पादन में गुणवत्ता नियंत्रण में उनकी विशेषज्ञता है। Krimanshi में वह पूरे प्रोडक्शन प्रॉसेस की देखरेख करते हैं।
शायद यही वजह भी है कि भोजन, बायोटेक और रसायन विज्ञान में अपनी संयुक्त रुचि के साथ, दोनों Krimanshi की शुरुआत करने के लिए एक साथ आए। वर्तमान में कंपनी में लगभग 25 कर्मचारी हैं।
निखिल कहते हैं, "खाने को अपनी दवा बनने दो और अपनी दवा को अपना खाना बनाने में मेरा विश्वास Krimanshi के पीछे स्थायी पशु चारा व्यवसाय बनाने के लिए हमारी प्रेरणा शक्ति है।"
दूसरों से कैसे अलग है
निखिल के अनुसार, आज, MSW (नगरपालिका ठोस अपशिष्ट) के तहत खाद्य अपशिष्ट का एक बड़ा हिस्सा या तो खाद, बायोमीथेन में परिवर्तित हो जाता है या डंप हो जाता है। निखिल कहते हैं,"जैविक कचरे का बायोमीथेन और खाद में रूपांतरण टिकाऊ नहीं है क्योंकि अपशिष्ट जनरेटर शायद ही कभी कचरे को दूर करने के लिए टिपिंग शुल्क देते हैं। जिस कारण बायोमीथेन का उत्पादन महंगा हो जाता है। जबकि बनाई गई खाद सब्सिडी के साथ प्रतिस्पर्धा करती है। खाने की बर्बादी को पशु आहार में बदलना, बाजार में बेचने के लिए तैयार करने, बेहतर मूल्य प्राप्ति, और अतिरिक्त किसान व पर्यावरणीय लाभों के कारण अधिक समझ में आता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम अपनी खुद की हरियाली फ़ीड सामग्री आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं जो फ़ीड फॉर्मूलेशन को एक बढ़त देता है। इससे कमोडिटी बाजारों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को अवशोषित करने के लिए एक बड़ा बफर रखने में भी मदद मिलती है, जबकि अभी भी पशुधन किसानों को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले फ़ीड प्रदान करते हैं।”
किस तरह की चुनौतियों का करना पड़ा सामना
निखिल मानते हैं, "कच्चे माल के रूप में पूंजी जुटाना और जैविक खाद्य अपशिष्ट आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना हमारी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। चूंकि, फ़ीड तकनीक अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है। इसलिए हमें इस फ़ीड स्टेज को तेजी से और बेहतर बनाने में मदद करने के लिए धैर्यपूर्वक निवेश करने की आवश्यकता है।"
निखिल ने बताया कि, “अपने उत्पादन लक्ष्यों के साथ तालमेल रखने के लिए, हमें ऐसे भागीदारों को जोड़ने की जरूरत है जो जैविक खाद्य अपशिष्ट उत्पन्न कर सकते हैं, और वे APMCs यानी कृषि उपज बाजार समितियों से लेकर खाद्य / कृषि प्रसंस्करण उद्योगों तक कोई भी हो सकते हैं।”
वर्तमान को भविष्य के साथ जोड़ना
ResearchAndMarkets.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पशु चारा बाजार 2017 में 348 अरब रुपये का था। बाजार 2018-2023 के दौरान 14.5 प्रतिशत की सीएजीआर पर 2023 तक 788 अरब रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। MarketsandMarkets के अनुसार, पूर्वानुमान अवधि के दौरान 45.0 प्रतिशत की सीएजीआर पर 2019 में 144 मिलियन डॉलर की कीट प्रोटीन बाजार से 2025 तक 1,336 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
निखिल कहते हैं, ”भारत की फ़ीड मिलों में 2.88 मिलियन मीट्रिक टन फ़ीड का उत्पादन करने की क्षमता है। हम राजस्थान और कर्नाटक में मौजूद हैं, जो 2300 करोड़ रुपये का फ़ीड बाजार है और 250+ खुदरा विक्रेताओं और किसान उत्पादक संगठनों और सामाजिक उद्यमों के नेटवर्क के साथ डेयरी किसानों की सेवा के लिए काम कर रहे हैं।”
वर्तमान में राजस्थान के पश्चिमी जिलों में Krimanshi की उपस्थिति इसे अपने बाजारों को पूरा करने में सक्षम बनाती है। यह स्टार्टअप राजस्थान के जोधपुर, जयपुर, अलवर, धौलपुर, अजमेर, पाली, नागौर, भीलवाड़ा और बाड़मेर जिलों और गुजरात के पाटन, बनासकांठा जिलों में 250 से अधिक वितरकों/ खुदरा विक्रेताओं और एफपीओ व सामाजिक उद्यमों के नेटवर्क के साथ काम कर रहा है। इसके अलावा 5000 किसानों और लगभग 20,000 पशु प्रमुखों की सेवा कर रहा है।
निखिल के अनुसार, "हमारे किसानों ने दूध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी है। फ़ीड लागत पर 10 प्रतिशत की बचत की है और पशु चिकित्सा लागत में 60 प्रतिशत की कमी के साथ 60 रुपये / गाय / दिन तक की कमाई की है। हम मुख्य रूप से B2B2C मॉडल पर काम करते हैं। ग्रामीण सूक्ष्म-उद्यमियों या ग्रामीण दुकानों के माध्यम से पशुपालकों को फ़ीड की आपूर्ति करते हैं।”
वह कहते हैं, “दूसरे चरण में हम एक्वा और पोल्ट्री फीड शुरू कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य उन सभी क्षेत्रों में पशु पोषण केंद्र खोलना है जहां हम फ़ीड, आरएम, पूरक और पशु चिकित्सा उत्पाद प्रदान करेंगे, जो उनकी सभी पशु चिकित्सा जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान बन जाएगा।”
स्टार्टअप ने अब तक 6 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग जुटाई है। यह रिटेल डीलर, सेल्समैन, एफपीओ और सामाजिक उद्यमों के माध्यम से डेयरी फार्मों को पशु चारा बेचकर राजस्व उत्पन्न करता है।
अगले तीन वर्षों में Krimanshi को विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के साथ साझेदारी करने की उम्मीद है ताकि उनके खाद्य अपशिष्ट को पशु आहार में परिवर्तित किया जा सके और 5000 टीपीएम (कुल उत्पादक रखरखाव) की उत्पादन क्षमता तक पहुंच सके जो महीने में 1 मिलियन+ पशुधन की सेवा कर रहे हों।
निखिल कहते हैं, "जलवायु के अनुकूल यह पशुचारा अपने मिशन पर टिका गया है। आगे हमारा लक्ष्य बैक्टीरिया और शैवाल फ़ीड को भी लॉन्च करना है, जो अभी तक रिसर्च एण्ड डेवेलपमेंट के अधीन हैं। Krimanshi पारंपरिक फ़ीड निर्माताओं और वितरकों की पसंद के साथ प्रतिस्पर्धा करता है।”
Edited by रविकांत पारीक