मेडिकल टूरिस्ट्स की परेशानियों को कम करना चाहता है 25 वर्षीय युवा का ये बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप
पर्यटन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर साल अन्य देशों से 150,000 लोग मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। हालांकि मरीज और उनकी देखभाल करने वाले लोग इलाज के परिणाम और लागत जैसी अन्य समस्याओं को लेकर चिंतित रहते हैं। इसके अलावा उन्हें एक समस्या और सताती रहती है कि कहीं चिकित्सा पर्यटन (medical tourism) के नाम पर ट्रांसलेटर उन्हें गुमराह न कर दे।
इस समस्या को हल करने के लिए, IIT- गुवाहाटी के पूर्व छात्र हरमीत सिंह ने 2017 में एवोक्योर (Avocure) की शुरुआत की। यह एक मेडिकल ट्रैवल स्टार्टअप है जिसका उद्देश्य दुनिया भर के मरीजों को स्थानीय अस्पतालों से जोड़ना है। गुरुग्राम स्थित यह स्टार्टअप मरीजों को दुनिया भर के विशेषज्ञ डॉक्टरों से राय लेने में भी मदद करता है।
हरमीत कहते हैं,
“ऐसे कई मरीज हैं जो इलाज के लिए अफगानिस्तान से दिल्ली आते हैं, और इसलिए मैंने अपनी रिसर्च के लिए दिल्ली को फोकस एरिया बनाने का फैसला किया। मेरी रिसर्च के दौरान मैंने एक बात साफ तौर पर पाई कि कैसे ये ट्रांसलेटर इलाज के लिए भारत आने वाले इन मरीजों का शोषण कर रहे थे। ये बिचौलिए जिनका कोई मेडिकल बैकग्राउंड नहीं था वे ट्रीटमेंट के लिए लोगों से अलग-अलग हॉस्पिटल्स की सिफारिश कर रहे थे।”
आज, भारत में मेदांता मेडीसिटी, अपोलो हॉस्पिटल्स, और मैक्स हेल्थकेयर जैसे 150 से अधिक हाई-क्वालिटी वाले अस्पतालों के साथ सहयोग किया है। इसके अलावा मिडिल ईस्ट में फ्रांस, ट्यूनीशिया, मोरक्को, तुर्की आदि के कुछ अस्पताल हैं जिनके साथ भी इस स्टार्टअप ने कोलाब्रेशन किया है।
हेल्दी कंपटीशन
भारतीय बाजार में वैदाम, होस्पल्स, एचबीजी मेडिकॉनटैक इंडिया, इंडिक्योर और क्लिनिकस्पॉट जैसे बड़े कंपटीटर्स हैं लेकिन हरमीत का मानना है कि एवोक्योर उनसे आगे है क्योंकि यह पूरी तरह से तकनीक से प्रेरित है।
सभी मरीजों को एवोक्योर की वेबसाइट पर लॉग ऑन कर ट्रीटमेंट के लिए उपलब्ध विकल्पों को एक्सप्लोर करना होता है और अपनी मेडिकल कंडीशन के बारे में जानना होता है। यदि मरीज अपनी कंडीशन के बारे में अनिश्चित है, तो उनके लिए एक वीडियो कंसल्टेशन की व्यवस्था की जाती है, जिसके बाद, मरीज अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार कुछ अस्पतालों (स्थानीय/विदेशी) का चयन कर सकते हैं, और सवाल-जवाब भी कर सकते हैं। इसके बाद, प्रोवाइडर्स मरीजों को डिटेल में ट्रीटमेंट प्लान और उसकी एस्टीमेट कॉस्ट के बारे में बताते हैं और मरीज उपलब्ध सभी विकल्पों के साथ तुलना कर सकता है।
जब एक बार मरीज फाइनली हॉस्पिटल सिलेक्ट कर लेता है तो बाद में उसे उसी प्लेटफॉर्म के जरिए सूचित किया जाता है। इसके बाद मरीज की अप्वाइंटमेंट डेट्स के आधार पर प्रोवाइडर उनके लिए मेडिकल वीजा प्रोसेस करता है। प्रत्येक मरीज के लिए एक 'मिलने का स्थान' भी उपलब्ध कराया जाता है।
हरमीत कहते हैं,
“हमारे डैशबोर्ड का उपयोग करने का एक प्रमुख लाभ यह है कि हमारे पास इंडस्ट्री में बेस्ट टर्नअराउंड टाइम (TAT) है। हम मरीजों को केवल तीन से चार घंटे के भीतर अस्पताल से ट्रीटमेंट प्लान प्रोवाइड कराते हैं। जबकि अन्य मेडिकल ट्रैवल सर्विस प्रोवाइडर ये काम 24-48 घंटों में करते हैं। यहां तक कि हम एक कदम आगे जाकर मरीजों के लिए फ्री ऑनलाइन परामर्श भी प्रदान करते हैं।"
स्टार्टअप के साथ चुनौतियां
बी 2 बी कंपनी और बाजार में नए होने के नाते, इस स्टार्टअप के लिए भी शुरुआती चुनौतियों रही हैं। सबसे पहली समस्या ये थी कि कुछ अस्पतालों ने उन्हें बाईपास कर सीधे मरीजों से संपर्क किया।
हरमीत कहते हैं,
"ऐसे में क्या होता है कि जो क्वालिटी सर्विस (मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं) हम सभी मरीजों को देने का वादा करते हैं अगर उन्हें वो नहीं मिलती है तो हमारे ब्रांड का नाम धूमिल होता है। यह एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में हमें काम करना है।"
एक और बड़ी चुनौती फर्जी अनुवादक/तर्जुमान (illegal translators/tarjuman) की थी। एवोक्योर ने देखा कि दिल्ली हवाई अड्डे पर कुछ अनुवादक तैनात थे जो आते ही मरीजों को बरगला रहे थे। यह काफी बढ़ गया था। हालांकि, मरीजों को इस बारे में पता चल चुका था कि कैसे उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा है और उनसे फाल्तू में पैसे वसूले जा रहे हैं।
एक और चुनौती थी - ट्रांसलेशन- की। वह कहते हैं,
"जब हमने अपना काम शुरू किया तो हमारे पास सबसे पहली समस्या मिडिल ईस्ट के मरीजों की थी क्योंकि उनमें से अधिकतर केवल अरबी बोलना जानते थे।"
नंबर्स एंड कोलाब्रेशन
एवोक्योर का दावा है कि उसने मरीजों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एक सुव्यवस्थित प्लेटफॉर्म तैयार किया है। वर्तमान में, एवोक्योर के कुछ प्रमुख बाजारों में अफगानिस्तान, ओमान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, तंजानिया, नाइजीरिया, केन्या, कैमरून, कांगो, घाना, आइवरी कोस्ट और जिम्बाब्वे शामिल हैं। स्टार्टअप ने अकबर ट्रेवल्स और सतगुरु ट्रेवल्स जैसी ट्रैवल मैनेजमेंट कंपनियों के साथ भी साझेदारी की है और दो साल के भीतर ही इसने अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में 60 से अधिक देशों में अपना विस्तार किया है।
हरमीत बताते हैं,
“ओईसीडी द्वारा प्रकाशित जानकारी के अनुसार, अगर कोई अमेरिकी मरीज हार्ट संबंधित बीमारियों के लिए लैटिन अमेरिका या एशिया में इलाज कराने जाता है तो वह 30 से 50 प्रतिशत ट्रीटमेंट कॉस्ट सेव कर लेता है। अमेरिका में एक हार्ट सर्जरी में लगभग 140,000 डॉलर खर्च होंगे। जबकि, गुरुग्राम में मेदांता मेडसिटी जैसे सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में इसी प्रोसीजर का खर्च लगभग 7,000 डॉलर होगा।”
हरमीत के अनुसार, जो बात उनके स्टार्टअप को सबसे अलग करती है, वह यह है कि वे अफगानिस्तान में 'लोक स्वास्थ्य मंत्रालय' के साथ टाई-अप करने वाली दुनिया की पहली मेडिकल ट्रैवल कंपनी हैं।
हरमीत कहते हैं,
“मरीजों को अपनी मातृभूमि से बाहर किसी अज्ञात जगह पर जाने के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय, हम उन्हें स्थानीय अस्पताल में ही इलाज को बढ़ावा देने और इलाज करने पर जोर देते हैं। जब उनके यहां इलाज उपलब्ध नहीं होता है तब ही हम मरीजों के लिए अंतरराष्ट्रीय विकल्प प्रदान करते हैं।"
चिकित्सा पर्यटन बाजार और भविष्य
भारत के पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, अगले साल के अंत तक भारत में चिकित्सा पर्यटन बाजार 9 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। भारत चिकित्सा पर्यटन के लिए लोकप्रिय स्थान की रैंक में नंबर तीन पर आता है।
रिपोर्टलिंकर के अनुसार, 2017 में वैश्विक चिकित्सा पर्यटन बाजार का मूल्य 53,768 मिलियन डॉलर था, और 2025 तक इसके 143,461 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 2018 से 2025 तक इसके 12.9 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। यह टीम अपनी स्थापना के बाद से 1,200 से अधिक मरीजों को सर्विस देने का दावा करती है और एक महीने में इसके प्लेटफॉर्म पर 7,600 विजिटर्स आते हैं।
हरमीत कहते हैं,
“हम अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए रोगियों से कोई शुल्क नहीं लेते हैं। हालांकि, हम अपनी वेबसाइट पर अस्पतालों और उनकी फीचर्स की मार्केटिंग के लिए अस्पतालों से 'मार्केट डेवलपमेंट फीस' लेते हैं।”
बूटस्ट्रैप्ड एवोक्योर ने अपनी स्थापना के बाद से कंपनी में लगभग 65 लाख रुपये का निवेश किया है। स्टार्टअप ने अब तक लगभग 70 लाख रुपये का रेवेन्यू हासिल किया है, और 2020 तक 10 करोड़ रुपये के ग्रॉस रेवेन्यू को प्राप्त करने का लक्ष्य है, जिसमें अनुमानित 1 करोड़ रुपये से लेकर 2 करोड़ रुपये का लाभ शामिल है। पांच सदस्यीय टीम ने हालांकि यह साझा करने से इंकार कर दिया कि वह अपने मरीजों से कितना चार्ज करते हैं।
अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बोलते हुए, हरमीत कहते हैं,
“हम अपने लोगों के लिए आसान और सस्ती टेली परामर्श उपलब्ध कराने के लिए हमारे प्लेटफॉर्म और संचालन की क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं। इसके अलावा किसी खास क्षेत्र के लोगों के लिए भौतिक सहायता केंद्रों का विस्तार कर रहे हैं। यह मरीजों (मेडिकल ट्रैवलर्स) के लिए एंड-टू-एंड फ्लो को सरल बनाने और मैनेज करने में मदद करेगा। हम अपनी टीम का विस्तार करने, रिसोर्स इन्टेंसिंव मार्केटिंग में निवेश करने और अपने कार्यों को शीघ्रता से लागू करने के लिए सक्रिय रूप से शुरुआती फंडिंग की तलाश कर रहे हैं।"