अब बेफिक्र होकर घूमिए कहीं भी, ये स्टार्टअप रखेगा आपके लगेज का ख्याल, जानिए कैसे करता है काम
अगर आप भी घूमने जाते हैं और सोचते हैं कि काश कोई आपके बैग का ख्याल रख ले, तो आपके काम का स्टार्टअप शुरू हो गया है. इसका नाम है lugbee, जो आपके लगेज का ख्याल रखता है.
'काश कोई ऐसा स्टार्टअप होता जो हमारे बैग उठा लेता और हम बेफिक्री के साथ घूमने का मजा ले पाते...' कहीं पर घूमने का मजा लेने गए बहुत से लोगों के दिलों की कुछ ऐसी ही ख्वाहिश होती है. अगर आप भी उनमें से एक हैं तो आपके काम का एक स्टार्टअप शुरू हो चुका है. ये स्टार्टअप आपके कंधों पर लदे सामान का बोझ उठा लेता है और आप टेंशन फ्री होकर घूमने का मजा ले सकते हैं. यहां बात हो रही है हो रही है LugBee Services Private Limited की. ये एक ऐसा स्टार्टअप है जो आपको अपना लगेज रखने की सुविधा देता है. अच्छी बात तो ये है कि इसके लिए आपको बहुत ही मामूली कीमत चुकानी होती है.
पहले जानिए क्या है LugBee और कैसे हुआ शुरू
ये कहानी शुरू हुई एक अनुभव से, जो कंपनी के फाउंडर जितेंद्र सिंह (34 साल) को हुआ. उस वक्त वह अपनी पत्नी के साथ मलेशिया गए थे. जिस दिन उन्हें वापस आना था, उस दिन उनकी फ्लाइट रात को 8 बजे थी, लेकिन उन्हें होटल से दोपहर में 12 बजे ही चेकआउट करना था. ऐसे में उनके सामने दो विकल्प थे. या तो वह पहले 20 किलोमीटर दूर एयरपोर्ट जाते और वहां क्लॉकरूम में सामान डिपॉजिट कर देते, फिर वापस आकर घूमते. दूसरा विकल्प ये था कि सारा सामान अपने साथ लादकर घूमते-फिरते, जो सुनने में ही मुमकिन नहीं लगता.
कुछ दिन बाद ही उन्हें कुछ ऐसे स्टार्टअप्स के बारे में पता चला, जो लोगों को सामान रखने की सुविधा दे रहे थे. वहां से उन्होंने कंपनी के को-फाउंडर जयेंद्र सिंह (24) के साथ इस तरह के स्टार्टअप की स्टडी करनी शुरू की. जयेंद्र ने बीटेक और एमटेक की डिग्री ली हुई है. पता करना शुरू किया कि इसका कितना स्कोप है. उन्हें पता चला कि भारत में लो बजट होटल इस तरह की कुछ सेवाएं तो देते हैं, लेकिन वहां सामान की कोई गारंटी नहीं होती. ऐसे में जितेंद्र ने 2021 में
शुरू करने की सोची. जिस तरह एक मधुमक्खी तमाम जगहों से थोड़ा-थोड़ा शहद जमा करती है, उसी तरह LugBee भी तमाम स्टोर्स में लोगों का सामान इकट्ठा करता है और आपके बोझ को कम करता है.2019 में उन्होंने दो लोगों की एक टीम बनाई, जिसमें मार्केटिंग के एक्सपर्ट्स को हायर किया. उसके बाद एक सर्वे किया, जिससे पता चला कि 3 स्टार या उससे छोटे होटलों की कमाई का सिर्फ एक ही जरिया होता है, टूर एंड टूरिज्म. ऐसे में साल में काफी वक्त उनके सामने कमाई की समस्या आ जाती है. ऐसे में उन लोगों के साथ टाईअप कर के जितेंद्र और जयेंद्र ने ये बिजनस करने की सोची. कोरोना काल में में कंपनी ने अपने ऐप डेवलप करने और खुद को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में काम किया. होटल भी बंद पड़े थे या लोग बहुत कम थे, इसलिए उनसे मिलकर बात करना आसान हो गया.
टेक्नोलॉजी की तगड़ी नॉलेज रखते हैं जितेंद्र
जितेंद्र सिंह ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया है और इसके बाद उन्होंने एमसीए की डिग्री ली है. उन्हें आईटी सेक्टर में काम करने का करीब 14 साल का अनुभव है. उन्होंने एचसीएल जैसी बड़ी कंपनियों से लेकर कई स्टार्टअप्स में टेक्नोलॉजी से जुड़े काम किए हैं. अपनी आखिरी नौकरी उन्हें सीटीओ यानी चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर के पद पर की थी. यानी टेक्नोलॉजी की तो उन्हें तगड़ी नॉलेज है. जितेंद्र बताते हैं कि लोगों को लगेज रखने की सुविधा देने का आइडिया यूरोप में काफी चलता है, लेकिन एशिया में या भारत में ये बहुत ही नया है. भारत में तो इस तरह की सुविधा अभी तक नहीं थी.
कैसे काम करता है LugBee?
अगर आप LugBee का इस्तेमाल कर के अपना सामान रखना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर से इसका ऐप डाउनलोड करना होगा. सामान रखने की प्रोसेस बिल्कुल कैब बुक करने जैसी है. आप जब कहीं से इस ऐप को खोलेंगे तो ये आपको आस-पास के स्टोर्स की लोकेशन दिखा देगा. आपको वो स्टोर चुनना है जो आपके पास हो या जो आपको बेस्ट सूट करता हो. ऐप पर ही आपको अपनी जानकारी और लगेज की जानकारी देनी होगी. जितनी देर के लिए लगेज रखना है, उसके बारे में बताना होगा. इसके बाद आप ऐप के जरिए ही भुगतान कर सकते हैं. आपको बुकिंग पूरी करने के लिए ओटीपी की जरूरत होगी. उसके बाद आप ऐप के जरिए ही नेविगेशन का इस्तेमाल कर के लोकेशन पर पहुंच सकते हैं और अपने बैग रख सकते हैं. वहां भी आपको ओटीपी के जरिए वेरिफिकेशन देना होगा. जब आप सामान वापस लेने जाएंगे तो भी आपको ओटीपी देना होगा. अगर आपका सामान तय समय से अधिक देर तक स्टोर पर रहता है तो आपको अतिरिक्त समय का पैसा ऐप से चुकाना होगा.
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कितना सुरक्षित है LugBee?
अगर आप LugBee प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने में ये सोच रहे हैं कि यह कितना सुरक्षित है तो टेंशन फ्री हो जाइए. जिस होटल से कंपनी टाईअप करती है, पहले उसकी जगह और लोकेशन को वेरिफाई किया जाता है. कंपनी के साथ जुड़ने के लिए होटल में कैमरे होना जरूरी है, ताकि सामान की निगरानी की जा सके. होटल के पास स्टाफ, लैपटॉप और इंटरनेट होना चाहिए. सामान रखते और वापस लेते वक्त ओटीपी से वेरिफिकेशन होता है, जो ये सुनिश्चित करता है कि आपका सामान किसी दूसरे को ना मिल जाए. इसके लिए हर बैग पर एक सील लगी होती है और उसके जरिए उसकी ट्रेसिंग की जाती है.
क्या है कंपनी का बिजनस मॉडल?
अगर आप कंपनी के ऐप से कोई बुकिंग करते हैं तो आपको प्रति बैग प्रति घंटे के हिसाब से औसतन 20 रुपये चुकाने होते हैं. अलग-अलग लोकेशन के लिए यह चार्ज अलग-अलग हो सकता है. कंपनी इन पैसों का कुछ हिस्सा खुद रखती है और बाकी का हिस्सा होटल को मिलता है. मई 2022 में कंपनी ने अपना ऐप लॉन्च किया था. यानी करीब 5 महीनों में ही कंपनी के 1000 से भी अधिक रजिस्टर्ड यूजर हो गए हैं और इनमें से 450 से भी अधिक यूजर्स ने कंपनी की सेवाओं का फायदा उठाया है.
किन लोगों के खूब काम आएगा ये ऐप
छोटी ट्रिप करने वाले, मेडिकल रीप्रजेंटेटिव, परीक्षा देने गए छात्र आदि के लिए LugBee बहुत ही अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. इन लोगों के लिए यह मुमकिन नहीं होता कि किसी क्लॉकरूम जाकर सामान रखें या होटल में जाकर बुकिंग करें, क्योंकि वह महंगा पड़ता है. अभी ये 26 से भी अधिक शहरों में है, जिसमें दिल्ली, गाजियाबाद, गुड़गांव, जयपुर, शिमला, मनाली, देहरादून, मसूरी जैसे शहर भी शामिल हैं. कंपनी की वेबसाइट (LugBee.com) पर आप पूरी लिस्ट देख सकते हैं और ये भी जान सकते हैं कि किस शहर में कितना चार्ज लग रहा है.
भविष्य की क्या है प्लानिंग?
कंपनी भविष्य में पिक अप और ड्रॉप सुविधा भी लाने की तैयारी कर रही है. इसके तहत आपको सामान रखने के लिए कहीं जाना नहीं होगा, आपके पास एक बंद आ जाएगा और आप उसे अपना सामान दे सकते हैं. इसके अलावा कंपनी हवाई यात्रा करने वालों के लिए एक खास सुविधा शुरू करने की सोच रही है. इसके तहत कंपनी एयरपोर्ट अथॉरिटी और एयरलाइंस के साथ बात कर रही है. अगर आपको कहीं जाना है तो आप LugBee से बुकिंग कर सकते हैं और आपके सामान का ख्याल कंपनी रखेगी. आपके एयरपोर्ट जाने से पहले आपका लगेज वहां पहुंच जाएगा, यानी लगेज चेकइन का झंझट भी नहीं रहेगा. इतना ही नहीं, कंपनी सुरक्षा को और अधिक बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि लोग कंपनी से जुड़ने में हिचकें नहीं. सुरक्षा को बेहतर करने के लिए कंपनी कुछ आईओटी डिवाइस भी लाने पर विचार कर रही है. अभी कंपनी का फोकस पूरे भारत में बिजनस फैलाना है, लेकिन आने वाले सालों में कंपनी दुबई, सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों तक जाने की योजना है.
क्या है चैलेंज?
अभी कंपनी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है जागरूकता. भारत में अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिए लोग अभी इसके बारे में जानते ही बहुत कम हैं. ऐसे में जरूरत है कि लोगों को तमाम तरीकों से ये बताया जाए कि LugBee उनके लगेज को सुरक्षित रख सकता है. एक बड़ा चैलेंज ये भी है कि अभी शुरुआती दौर है, इसलिए बहुत सारी जगहों पर कंपनी के स्टोर उपलब्ध नहीं हैं. इतना ही नहीं, लोग भी अभी सुरक्षा का हवाला देते हुए इस सुविधा का इस्तेमाल करने से डर रहे हैं.
कहां से मिली फंडिंग?
अभी तक LugBee ने कोई फंडिंग नहीं ली है. हालांकि, जितेंद्र सिंह और जयेंद्र सिंह की एक दूसरी कंपनी भी है, जिसका नाम है Tecore Labs, जिसकी शुरुआत 2017 में हुई थी. अभी LugBee को इसी कंपनी से फंड मिल रहा है, जिसके कंपनी अपने तमाम खर्चे निकाल रही है. जितेंद्र बताते हैं कि आने वाले वक्त में वह फंडिंग के लिए जाएंगे, लेकिन उससे पहले बिजनस को एक्सपेंड करना होगा. कंपनी के इस बिजनस मॉडल में उसका अपना कोई बड़ा असेट नहीं है. कंपनी ने कुछ भी लीज पर नहीं लिया है, ऐसे में एक्सपेंड करना काफी आसान है. अच्छी बात ये भी है कि भारत में और एशिया के कई देशों में इसका कोई कॉम्पटीटर नहीं है.
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