स्टार्टअप स्टोरी: कभी फेसबुक से हुए ब्लॉक, आज 1 करोड़ की है मासिक सेल
Helion Venturesस्टार्टअप शुरू करने के शुरुआती कुछ सालों में ऑन्त्रप्रन्योर्स के सामने आने वाली चुनौतियों की कोई सीमा नहीं होती। चाहे फिर वह बीटूबी बिजनेस मॉडल हो या फिर बीटूसी, ग्राहकों द्वारा पेमेंट में आनाकानी से लेकर अच्छी फंडिंग हासिल करने तक उन्हें हर कदम पर बेशुमार मुश्किलों और बाधाओं का सामना करना पडता है। आज हम आपको बेंगलुरू आधारित स्टार्टअप जेफो के बारे में बताने जा रहे हैं, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से रिफर्बिस्ड फर्नीचर बेचता है। 2016 में इसे दिल्ली से लॉन्च किया गया था। फिलहाल, जेफो 6 शहरों में अपने ऑपरेशन्स चला रहा है।
जेफो के को-फाउंडर और सीईओ रोहित सुब्रमण्यन ने पुराने दिनों को याद करते हुए एक ग्राहक का जिक्र किया। वे बताते हैं, "एक ग्राहक लगातार ऑर्डर प्लेस करता रहता था और कंपनी के वेयरहाउस भी आता रहता था। उस ग्राहक ने अपने लिए कुछ प्रोडक्ट्स बुक करा लिए और अडवांस पेमेंट करने में असमर्थता जताई और इसलिए उस ग्राहक को कैश ऑन डिलिवरी पेमेंट की सुविधा दी गई। जब प्रोडक्ट ग्राहक के पास पहुंचा तो उसने टालना शुरू कर दिया और रोजाना मांगने पर भी लंबे समय तक कंपनी को पेमेंट नहीं मिली। इतना ही नहीं, कुछ वक्त बाद उस ग्राहक की बहन ने कंपनी को धमकी दी कि अगर वे इस तरह से ही रोजाना पेमेंट मांगते रहे तो उनके ऊपर शोषण का केस कर दिया जाएगा।"
रोहित बताते हैं कि थोडी तफ्तीश के बाद पता चला कि उस ग्राहक के कुछ राजनैतिक संबंध थे और पुलिस के साथ भी उसकी अच्छी पहचान थी और इसलिए ही वह इस तरह की धोखाधडी करता रहता है। रोहित कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं से उन्होंने कई अहम सबक लिए। इसके बाद जेफो को सीखने मिला कि बतौर ऑन्त्रप्रन्योर आपको अपनी भावनाओं को दरकिनार करते हुए यह सीखना होगा कि कब आपको सामने वाले पर भरोसा करना है और कब नहीं।
आपको बता दें कि जेफो की शुरुआत चार लोगों, रोहित, करन गुप्ता, हिमेश जोशी और अर्जित गुप्ता ने मिलकर की थी। रोहित और करन इनवेस्टमेंट फील्ड से ताल्लुक रखते थे और वे हेलियन वेंचर्स में काम कर चुके थे। हिमेश जोशी के पास बोस्टन कनसल्टिंग ग्रुप और अर्जित के पास फ्लिपकार्ट में काम करने का अनुभव था। स्टार्टअप शुरू करने के दौरान सभी की उम्र 30 साल से कम थी।
पुराने दिनों को याद करते हुए रोहित बताते हैं कि उनके स्टार्टअप का पहला ऑफिस बेंगलुरु में सर्जापुर रोड पर उनके वेयरहाउश के अंदर ही था। वह बताते हैं कि उनकी टीम ने शुरुआती एक साल हफ्ते के सातों दिन काम किया।
रोहित बताते हैं कि प्रोडक्ट की सोर्सिंग अच्छी होने की वजह से जेफो को एक अच्छी और तेज शुरुआत मिली सकी। रोहित और उनकी टीम उन कन्ज्यूमर्स और मैनुफैक्चरर्स के पास जाती थी, जो अपना इस्तेमाल किया हुआ फर्नीचर बेचना चाहते थे। शुरुआती कुछ महीनों में ब्रैंडिंग के लिए जेफो ने फेसबुक का सहारा लिया और उन पेजों को टारगेट किया, जिनके माध्यम से लोग अपने पुराने सामान बेचते थे।
रोहित बताते हैं कि इस रणनीति से उन्हें काफी प्रमोशन मिला और दो-तीन महीनों के अंदर ही उन्हें 40 लाख रुपए तक के ऑर्डर्स मिले। लेकिन कुछ समय बाद ही फेसबुक पेजों से उन्हें स्पैमिंग के लिए ब्लॉक कर दिया गया। इसके बाद ही जेफो की टीम ने पूरी तरह से डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में उतरने का फैसला लिया।
आमतौर पर पहले राउंड की फंडिंग हासिल करना स्टार्टअप्स के लिए बेहद मुश्किल काम रहता है, लेकिन जेफो के लिए यह काम अपेक्षाकृत आसान रहा। रोहित ने योर स्टोरी को बताया कि एक समय था, जब जेफो की टीम स्टार्टअप बंद करने की कगार पर थी, लेकिन इसी दौरान हेलियन कंपनी ने उन्हें सीड फंडिंग देने का फैसला लिया।
सीड फंडिंग मिलने के बाद कंपनी ने सेल्स बढाने के लक्ष्य पर काम करना शुरू किया। टीम को इस बात की सटीक जानकारी नहीं थी कि उन्हें लंबे समय के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित करना है और इसलिए ही वह हर महीने की सेल को मानक बनाकर उसे अगले महीने बढाने की रणनीति पर काम करने लगे। परिणामस्वरूप, स्टार्टअप ने अपने पहले ही साल में 1 करोड रुपए तक की मासिल सेल का लक्ष्य हासिल कर लिया।
रोहित ने जानकारी दी कि जेफो को आगे बढने के लिए अगले राउंड की फंडिंग की जरूरत थी। सीरीज ए फंडिंग के तौर पर उन्हें बी नेक्स्ट (BEENEXT) और सेकोइया कैपिटल से 2016 में निवेश की सहायता मिली।
रोहित बताते हैं, "शुरुआती दौर में हायरिंग की प्रक्रिया भी एक बडी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आती है। लंबी पारी खेलने के लिए हम अपने स्टैंडर्ड के साथ समझौता नहीं कर सकते थे। हमने 10 लोगों की टीम के साथ शुरुआत की थी। हमने ज्यादार उन्हीं लोगों को टीम में रखा, जिनपर हम भरोसा कर सकते थे और जिन्हें हम पर भरोसा था।" बाद में जेफो ने लिंक्ड इन और नौकरी डॉट कॉम की मदद से भी कुछ लोगों को हायर किया। हाल में जेफो 200 लोगों की टीम के साथ काम कर रहा है।
क्वॉलिटी चेक के लिए जेफो ने जुलाई, 2015 में जोधपुर से एक बेहद अनुभवी व्यक्ति राणा राम को हायर किया और उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी। राणा, जोधपुर में कई बडे फर्नीचर निर्माताओं के साथ काम कर चुके थे। राणा का नाम उन्हें उनके मेंटर कौस्तुभ चक्रवर्ती ने सुझाया था। कौस्तुभ, अर्बन लैडर कंपनी में कैटेगरी मैनेजमेंट के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट है।
हाल में जेफो सेकंड हैंड फर्नीचर के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल अप्लाइसेंज और मोबाइल फोन्स भी बेचता है। कंपनी 14 कैटेगरीज में 15 हजार उत्पादों की बिक्री कर रही है। कंपनी ने अर्बल लैडर, पेपरफ्राई, ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम्स के लिए पार्टनरशिप कर रखी है।
आज की तारीख में जेफो, कई राउंड्स की फंडिंग के बाद लगभग 20 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल कर चुका है। जेफो अपने प्रोडक्ट्स पर बाय-बैक गारंटी का ऑफर भी देता है। हाल ही में, जेफो को अलीबाबा द्वारा मिलने वाली ई-फाउंडर्स फेलोशिप प्रोग्राम के लिए भी चुना गया था।
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