कोरोना वायरस के समाधान के लिए आगे आए स्टार्टअप्स, सरकार ने आवंटित की 200 करोड़ की राशि
सरकार की तरफ से कोरोना वायरस को लेकर नवीन समाधान विकसित करने के लिए 200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि आवंटित की गई है।
कोरोना वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए सरकार की तरफ से नवीन समाधान विकसित करने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों, उद्योगों और स्टार्टअप्स को 200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि आवंटित की गई है। यह जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने दी है।
द प्रिंट से बात करते हुए शर्मा ने कहा है कि वित्तीय वर्ष में नए प्रस्तावों को मंजूरी मिलते ही और अधिक धनराशि आवंटित की जाएगी।
उन्होने बताया है कि इस निर्णय के बाद से ही विभाग को लगभग 500 विभिन्न परियोजना प्रस्ताव मिले हैं। इन परियोजनाओं में अभी 200 करोड़ रुपये से अधिक लगाए गए हैं। हम कितनी अच्छी परियोजनाएँ प्राप्त करते हैं, इस आधार पर विभाग और अधिक शोध जारी रखेगा।
गौरतलब है कि मौजूदा वेंटिलेटर की कीमत बाज़ार में 6 लाख रुपये तक हो सकती है, लेकिन विकसित किए जा रहे कुछ नए डिजाइनों की लागत 7,000 रुपये तक कम हो सकती है, इस दिशा में विभाग तेजी से आगे बढ़ रहा है।
विभाग ने हाल ही में शोधकर्ताओं को को ऐसी तकनीकों को विकसित करने के लिए आमंत्रित किया था जो कोरोना वायरस प्रबंधन करने में मदद कर सकती हैं।
इन सभी टेक्नालजी की तत्काल आवश्यकता के कारण विभाग ने कोरोनोवायरस से निपटने के प्रस्तावों की मंजूरी की प्रक्रिया को तेज कर दी है। शर्मा ने बताया है कि विभाग अनुसंधान और विकास के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों पर तत्काल ध्यान दे रहा है।
पिछले सप्ताह, विभाग के विज्ञान और इंजीनियरिंग बोर्ड (एसईआरबी) ने पहली पांच परियोजनाओं के लिए धन की घोषणा की थी। इसी के साथ अधिकारियों ने भी रोलिंग के आधार पर परियोजना प्रस्तावों पर विचार करना और उन्हे पास करना जारी रखा है। आमतौर पर विभाग को फंडिंग के लिए परियोजनाओं का चयन करने में कम से कम छह महीने लगते हैं।
विभाग विभिन्न श्रेणियों के तहत परियोजनाओं को देख रहा है। पहले अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसे एसईआरबी के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। इसके बाद स्वदेशी कमर्शियल टेक्नालजी को प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के माध्यम से आगे ले जया जाएगा और तीसरी श्रेणी में इस दिशा में काम कर रहे स्टार्टअप्स की मदद की जाएगी।