17 साल की उम्र में बने 'स्ट्रॉन्गेस्ट मैन ऑफ गुजरात', अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं वरुण
अभी तक के बेहद छोटे करियर में ही वरुण दो बार अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियन, 5 बार राष्ट्रीय चैम्पियन और 8 बार स्टेट चैंपियन रह चुके हैं।
"अपने अभी तक के बेहद छोटे करियर में ही वरुण दो बार अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियन, 5 बार राष्ट्रीय चैम्पियन और 8 बार स्टेट चैंपियन रह चुके हैं। वरुण के अनुसार उनके जीवन का सबसे बड़ा पल तब आया जब उन्हे महज 17 साल की उम्र में 'स्ट्रॉंगेस्ट मैन ऑफ गुजरात' चुना गया।"
महज 19 साल के वरुण प्रदीप दवे पावरलिफ्टिंग में 2 बार के विश्वचैंपियन हैं। गुजरात के अहमदाबाद से आने वाले वरुण ने जब पावरलिफ्टिंग को बतौर करियर चुनने का फैसला किया तब कई लोगों ने उनके मनोबल को तोड़ने की कोशिश की लेकिन वरुण ने कभी हार मानना नहीं ही चुना और अपने सपने को लेकर लगातार आगे बढ़ते गए।
वरुण दवे जब महज 15 साल के ही थे तब से उन्होने पावरलिफ्टिंग शुरू कर दी थी। शारीरिक रूप से तब वरुण बेहद दुबले थे और इसी के साथ उनके परिवार में कोई भी इसके पहले खेलों में नहीं रहा था, लेकिन इन सब के बावजूद वरुण ने इसे गंभीरता से लिया और खेल के प्रति पूरा समर्पण दिखाने का निर्णय लिया।
शुरुआत में लोगों ने उड़ाया था मज़ाक
एक मीडिया प्लेटफॉर्म को दिये अपने एक इंटरव्यू में बात करते हुए वरुण कहते हैं,
“उस समय सभी मेरे इस निर्णय का मज़ाक उड़ा रहे थे, उन सभी का कहना था कि मैं इस तरह के खेलों के लिए मजबूत नहीं हूँ। इन सब बातों के बावजूद मैंने खेल के जरिये देश के प्रतिनिधित्व का सपना देखना नहीं छोड़ा। उस समय मेरे पास भी क्रिकेट, फुटबॉल या बास्केटबॉल जैसे खेलों को चुनने का विकल्प था, चूंकि मेरा कद छोटा था और इसे मैंने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया।“
इस दिशा में आगे बढ़ते हुए वरुण को शुरुआती मदद उनके जिम के कोच से मिली। वरुण ने इसके बाद अपनी बेहद कठिन ट्रेनिंग शुरू कर दी और अलग-अलग कंपटीशन में भाग लेना शुरू कर दिया। वरुण को उनकी शुरुआती दो प्रतियोगिताओं में हार का सामना करना पड़ा लेकिन वरुण ने हार नहीं मानी बल्कि अपने ट्रेनिंग को और सख्त करते गए। इसके बाद वरुण ने स्टेट चैम्पियनशिप इवेंट में अपने तीसरे ट्रायल के दौरान जीत हासिल की।
बने विश्व चैंपियन
शानदार प्रदर्शन के साथ वरुण को पहला स्वर्ण स्टेट चैम्पियनशिप में हासिल हुआ और इसी के साथ उन्हे राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने के लिए भी चुन लिया गया। राष्ट्रीय टूर्नामेंट में वरुण ने बेहतरीन प्रदर्शन कर कुल 3 स्वर्ण झटक लिए।
यहाँ से वरुण की मेहनत रंग लाई और उन्हे नेशनल टीम में जगह मिली। राष्ट्रीय टीम में चयन के साथ ही उनका ये लंबा सपना आखिरकार पूरा हो गया। राष्ट्रीय टीम में रहते हुए वरुण ने स्वर्ण पदक जीता। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले वरुण सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे।
अभी तक के बेहद छोटे करियर में ही वरुण दो बार अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियन, 5 बार राष्ट्रीय चैम्पियन और 8 बार स्टेट चैंपियन रह चुके हैं। वरुण के अनुसार उनके जीवन का सबसे बड़ा पल तब आया जब उन्हे महज 17 साल की उम्र में 'स्ट्रॉंगेस्ट मैन ऑफ गुजरात' चुना गया।
नहीं मिली सरकार से मदद
19 साल की उम्र में वरुण आज एक अंतर्राष्ट्रीय सप्लीमेंट ब्रांड के ब्रांड एम्बेस्डर हैं। वरुण का मानना है कि वो एक मिसाल कायम करना चाहते हैं कि अगर हम मन में कुछ ठान लें तो उसे पूरा करने के लिए जान लगा देनी चाहिए। अब तक 18-19 मेडल जीत चुके वरुण टेडएक्स टॉक में स्पीच भी दे चुके हैं।
वरुण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके इस करियर के दौरान उन्हे किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिली है। उनका कहना है कि इस तरह के खेलों में सब कुछ खुद से ही करना होता है, हालांकि अगर खिलाड़ी कुछ सालों तक लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो शायद उन्हे केंद्र सरकार नौकरी दे दे।
Edited by Ranjana Tripathi