रिटेल से लेकर महिलाओं के एथनिक वियर तक, इस शख्स ने अपने फैमिली बिजनेस से कमाए 95 करोड़ रुपये
100 करोड़ रुपये की सालाना रन रेट वाली बूटस्ट्रैप्ड कंपनी Koskii ने देश भर के कई बड़े शहरों में अपने पंख फैलाए हैं, और भारत में एथनिक वियर स्पेस में एक अमिट छाप छोड़ी है.
रविकांत पारीक
Tuesday April 18, 2023 , 4 min Read
उमर अख्तर ने 16 साल की उम्र में अपने पिता के रिटेल बिजनेस में हाथ बटाना शुरू कर दिया था. आज, वे एक सफल आंत्रप्रेन्योर हैं और बेंगलुरु स्थित महिलाओं के एथनिक वियर ब्रांड
के को-फाउंडर और सीईओ हैं.YourStory के साथ एक इंटरव्यू में, अख्तर ने बताया कि कैसे उन्होंने और उनके परिवार ने कोलार में एक रिटेल स्टोर से शुरुआत की ओर बाद में साड़ियों के बिजनेस नुकसान झेलना पड़ा. लेकिन वे हारे नहीं. और आगे चलकर खुद का ब्रांड, Koskii खड़ा किया.
Koskii, जिसने अब बेंगलुरु, चेन्नई, कोयम्बटूर और दिल्ली सहित प्रमुख भारतीय शहरों में अपने पंख फैला लिए हैं, ने महिलाओं के एथनिक वियर स्पेस में एक अमिट छाप छोड़ी है, जिसका सालाना रन रेट 100 करोड़ रुपये है. ये बिजनेस बूटस्ट्रैप्ड है.
इंजीनियर से आंत्रप्रेन्योर बनने तक का सफर
अख्तर ने 1991 में अपनी आंत्रप्रेन्योरशिप की यात्रा शुरू की. तब उनके पिता, अख्तर सैफुल्ला, खुद का बिजनेस चलाने के लिए लिए गए लोन को चुकाने में असमर्थ थे. आखिरकार, सैफुल्ला ने कर्नाटक के कोलार में एक दुकान किराए पर लेने के लिए पैसे जुटाने के लिए परिवार की पुश्तैनी जमीन बेची. वहीं, अख्तर को स्कूल छोड़ना पड़ा और स्टोर चलाने के लिए कोलार जाना पड़ा.
अख्तर और उनके पिता ने एक रिटेल मार्ट मीना बाज़ार (Mina Bazaar) की स्थापना की, जहाँ लोगों को कपड़े, घरेलू सामान आदि सहित रोजमर्रा की सभी चीजें मिलती थीं. यह स्टोर चल पड़ा. परिवार के अच्छे दिन लौट आए. अगले कुछ वर्षों में, उन्होंने अपना कर्ज चुका दिया, और अख्तर कॉलेज से ग्रेजुएशन करने में भी कामयाब रहे.
कॉलेज में अख्तर की शानदार परफॉर्मेंस ने उनके पिता को एहसास कराया कि अगर उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी होती तो वह बहुत बेहतर कर सकते थे. आईटी की पढ़ाई करने के इच्छुक अख्तर ने ओरेकल और जावा में डिप्लोमा कोर्स किया.
कोर्स पूरा करने के बाद अख्तर को मैसूर की एक छोटी कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपर नौकरी मिल गई. जबकि वह आईटी में अपना करियर बनाने के लिए चले गए, उनके छोटे भाई, हारून राशिद, पिता के बिजनेस में शामिल हो गए और एक दशक से अधिक समय तक बिजनेस चलाने में मदद की.
अख्तर बाद में ThoughtWorks में शामिल हो गए, जिसने उन्हें 52 से अधिक देशों की यात्रा करने का मौका दिया. हालाँकि, आंत्रप्रेन्योरशिप की भावना ने उन्हें कभी नहीं छोड़ा. 2009 में, अमेरिका में काम करने के दौरान, अख्तर ने फैमिली बिजनेस में वापस शामिल होने के बारे में सोचना शुरू किया और इस तरह चीजों ने करवट बदली.
परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं
अख्तर अमेरिका से लौटने के बाद, वे मौजूदा बिजनेस को पुनर्जीवित करने का प्लान लेकर आए और अपने परिवार के सामने इसका प्रस्ताव रखा. उनका विचार महिलाओं के एथनिक वियर स्पेस में प्रवेश करना था, जिसमें परिवार को कोलार से बेंगलुरु ले जाना भी शामिल था, क्योंकि बाजार में अधिक एक्सपोजर था और एक अच्छा ग्राहक आधार था.
अख्तर कहते हैं, "पहले, हमारे पिता की प्रतिक्रिया थी, ऐसे कैसे होगा?), लेकिन फिर, आखिरकार, जब मैंने समझाया, तो वे मान गए."
आगे का रास्ता कठिन था, लेकिन अख्तर दृढ़ निश्चयी थे. उन्होंने अपने भाई-बहनों - हारून रशीद और समीन एजाज़, और बहन आयशा सौबिया - को बिजनेस में उनकी महारथ आजमाने के लिए कहा.
दूसरी पीढ़ी के आंत्रप्रेन्योर, जो अब कंपनी के स्थायी स्तंभ हैं, ने परिवार के बिजनेस को मीना बाजार से कोसकी तक रीब्रांड करने का फैसला किया, जिसे अब पूरे देश में मान्यता प्राप्त है.
मीना बाजार का एक सफल एथनिक वियर ब्रांड बनना कोई रातोंरात उपलब्धि नहीं थी. यह वर्षों की दृढ़ता, समर्पण और अथक प्रयासों का परिणाम था.
भारत में संगठित महिलाओं के एथनिक वियर मार्केट में खुद को स्थापित करने के लिए अख्तर परिवार ने कैसे दुर्गम चुनौतियों का सामना किया, ये वाकई प्रेरणादायक है.