स्वयं: बूढ़े-बुज़ुर्ग हों या फिर दिव्यांग, सभी को दुनिया देखने का 'बराबर मौक़ा' देना चाहता है दिल्ली का यह संगठन
दिव्यांगों और बुज़ुर्गों के पर्यटन और यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है स्मिनु जिंदल का 'स्वयं'
घूमने या ट्रैवलिंग का अर्थ सिर्फ़ यह नहीं होता कि आप नई जगह देखते हैं, बल्कि यह एक तरह का ख़ास अनुभव होता है। आप नए लोगों से मिलते हैं और विभिन्न संस्कृतियों को देखते, जानते और समझते हैं। लेकिन यह फ़लसफ़ा तो आम लोगों का है। दिव्यांग लोगों को प्रकृति ने सहूलियत नहीं दी है और इसलिए घूमने के दौरान आम लोगों जैसा ही अनुभव हासिल करने के लिए उन्हें ख़ास सुविधाओं की ज़रूरत होती है, जो उन्हें नहीं मिल पातीं और शायद यही वजह है कि वे घूमने से और यात्रा के दौरान नए प्रयोगों से घबराते हैं।
आधारभूत ढांचे में कमियों, ट्रांसपोर्ट की व्यवस्थित सुविधा और टॉयलट्स का आदि का अभाव और साथ अन्य कई वजहों से दिव्यांग लोग अच्छे अनुभवों से वंचित रह जाते हैं।
स्मिनु जिंदल ने इस अभाव को दूर करने के उद्देश्य के साथ ही 'स्वयं' नाम के संगठन की शुरुआत की। स्मिनु जिंदल, जिंदल सॉ लि. की प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने 2000 में स्वयं की शुरुआत की थी। दिल्ली आधारित यह संगठन सरकार के साथ मिलकर काम करता है और सभी उत्तरदायी लोगों को एक प्लैटफ़ॉर्म पर लेकर आता है ताकि एक समावेशी या इनक्लूसिव दुनिया तैयार हो सके, जहां पर किसी के घूमने में कोई बाधा पेश न आए। जिंदल सॉ लि. ने सीएसआर मुहिम के तहत स्वयं की शुरुआत की थी।
2008 में स्वयं ने एक इतिहास क़ायम किया और यूनेस्को की वर्ल़्ड हेरिटेज साइट में शामिल क़ुतुब मीनार को सबके लिए सुलभ बनाया। अपनी इस नेक मुहिम के लिए स्वयं को सम्मानित भी किया गया। स्वयं को पहला नैशनल टूरिज़म अवॉर्ड फ़ॉर एक्सीलेंस मिला। इसे स्वयं ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के साथ मिलकर प्राप्त किया।
स्वयं का मानना है कि सार्वजनिक इन्फ़्रास्ट्रक्चर ऐसा होना चाहिए, जिसे बच्चे, बूढ़े, गर्भवती महिलाओं, भौतिक रूप से घायल लोग और दिव्यांगजन, सभी एक ढंग से और बराबर सहूलियत के साथ इस्तेमाल कर सकें।
46 वर्षीय स्मिनु 11 साल की उम्र में घायल हो गई थीं और कमर से नीचे के हिस्से में उन्हें लकवा (पैरालिसिस) मार गया था। उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर ख़ुद को फिर से सक्षम बनाया और सफलता की नई ऊंचाइयां छुईं। स्वंय की शुरुआत के पीछे छिपी प्रेरणा के मूल में उनके इस निजी अनुभव अहम भूमिका निभाई।
इतने सालों की लंबी यात्रा के दौरान ज़मीनी स्तर पर और डिजिटल माध्यमों पर अपने उद्देश्य को लेकर संगठन कई मुहिम आयोजित कर चुका है, जिसके लिए संगठन को सरकार द्वारा हमेशा ही सराहा जाता रहा है। संगठन की टीम ऐतिहासिक इमारतों और जगहों का निरीक्षण करती है और वहां पर सभी तरह के लोगों के लिए एक सुविधाजनक इन्फ़्रास्ट्रक्चर तैयार करने में सरकार की मदद करती है।
न सिर्फ़ क़ुतुब मीनार, बल्कि लाल किला, ताज महल, फ़तेहपुर सीकरी सभी ऐतिहासिक जगहों को हर तरह के लोगों के लिए सुगम्य बनाने का श्रेय स्वयं और एएसआई के संयुक्त प्रयासों को जाता है।
दिव्यांगों के पर्यटन और यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए स्वयं ने दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट लि. के (डीआईएएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया, जिसके अंतर्गत दिव्यांगों की ज़रूरतों का व्यवस्थित ढंग से ख़्याल रखने के लिए स्टाफ़ को नियमित तौर पर प्रशिक्षण दिया जाता है। संगठन दिल्ली मेट्रो में ऐक्सेस ऑडिट कर चुका है ताकि दिव्यांगो के लिए सार्वजनिक यातायात के साधनों को सुगम बनाया जा सके।
स्मिनु ने योरस्टोरी को बताया,
"हमने दिल्ली मेट्रो के 10 स्टेशनों पर ऐक्सेस ऑडिट किया और इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने ही स्वयं को आमंत्रित किया था।"
वह बताती हैं,
"2000 से लेकर अभी तक स्वयं हमारे ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को सभी के लिए सुगम बनाने के प्रयास में लगा हुआ है। हम हर सेक्टर के लिए ख़ास दिशा-निर्देश जारी करते हैं, इन्फ़्रास्ट्रक्चर को सभी के लिए सहूलियतभरा बनाने के लिए। संगठन इन दिशा-निर्देशों को प्रकाशित करवाता है।"
स्मिनु ने बताता कि दिव्यांगों के लिए हवाई यात्रा को सहज बनाने के लिए स्वयं नागरिक उड्डयन (सिविल ऐविएशन), भारत सरकार के साथ काम कर रहा है और अपने सुझाव पेश कर रहा है।
संगठन लगातार युवाओं को अपने साथ शामिल करने का प्रयास करता रहता है और इस उद्देश्य के साथ ही संगठन, आईआईटी, दिल्ली, भारतीय विद्या भवन, लक्ष्मी मित्तल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट आदि के साथ भी मिलकर काम करता रहता है।
स्वयं भारत की कई प्रतिष्ठित समितियों का भी हिस्सा है, जैसे कि ऐक्सेसिबल टूरिज़म (पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार) की कोर कमिटी और हार्मोनाइज़्ड गाइडलाइन्स ऑन ऐक्सेसबिलिटी की कोर कमिटी आदि। इतना ही नहीं, स्वयं संगठन कई अंतरराष्ट्रीय समितियों का भी अभिन्न हिस्सा है।
स्मिनु ने जानकारी दी कि स्वयं, सुरक्षित बस ड्राइविंग के लिए विश्व बैंक की ट्रांज़िट ऐक्सेस ट्रेनिंग टूल किट के विकास में ऐक्सेस एक्सचेंज इंटरनैशनल (एईआई), यूएसए के साथ भी काम कर चुका है। साथ ही, ऑटो रिक्शॉ में सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ संगठन पियाजियो की मैनुफ़ैक्चरिंग फ़ैसिलिटी में कई शोध, प्रयोग और यूज़र टेस्टिंग भी कर चुका है।
यूनाइटेड नेशन्स वर्ल्ड टूरिज़म ऑर्गनाइज़ेशन ने 2011 में अपने घोषणापत्र ने इस बात का अनुमान लगाया था कि पर्यटन में इज़ाफ़ा होगा और 2030 अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या 1.8 बिलियन तक पहुंच जाएगी।
हाल में, स्वयं water.org’s की भारतीय इकाई एफ़एएएस के साथ मिलकर देश के पांच राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में 1,500 सुगम्य टॉयलट्स बनाने में मदद कर रहा है। यह परियोजना 2021 तक चलेगी।