तमिलनाडु की नन्ही सारा को मिला 'दुनिया की सबसे छोटी जीनियस' का ख़िताब
पहली कक्षा की छात्रा सारा ने जब अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कविता पढ़ते हुए मात्र 2 मिनट 7 सेकंड में 2x2 रूबिक्स क्यूब हल कर दिया, तमिलनाडु क्यूब एसोसिएशन के विशेषज्ञ हैरत में रह गए। सारा को दुनिया की सबसे छोटी जीनियस का खिताब मिला है। वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल हो चुकी है।
पूरी दुनिया में आमतौर पर वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन के आईक्यू की मिसाल दी जाती है लेकिन पिछले दिनो तमिलनाडु क्यूब एसोसिएशन ने वेल्लामल स्कूल में पहली कक्षा की छात्रा छह साल की सारा को दुनिया की सबसे छोटी जीनियस खिताब दिया है। सारा ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कविता पढ़ते हुए 2 मिनट 7 सेकंड में 2x2 रूबिक्स क्यूब हल कर दिया।
सारा की यह उपलब्धि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल हो चुकी है।
करिश्माई सच तो ये है कि सारा ने अभी चार महीने पहले ही रूबिक क्यूब के साथ खेलना शुरू किया है।
सारा का आईक्यू अपनी उम्र के बच्चों से बहुत ज्यादा है।
उसे अब तक इस पहेली को हल करने के लिए पांच अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।
पहेलियां हल करने के अलावा सारा कविताएं पढ़ने में भी गहरी दिलचस्पी रखती है।
'आपका बच्चा तो बड़ा जीनियस है', ऐसे कमेंट्स सुनकर किसी भी मां-बाप का सीना गर्व से फूल जाता है।
जीनियस बच्चे की पहचान के लिए विशेषज्ञों ने पैमाने बना रखे हैं, मसलन, असामान्य याददाश्त, हर वक्त सवाल करना, म़जाकिया लहज़ा, संगीत में अग्रता, कम उम्र में फर्राटेदार पढ़ाई, किसी खास विषय में गहरी अभिरुचि, दुनिया भर की घटनाओं की ब्योरेवार अपेक्षित जानकारी आदि।
विलक्षण प्रतिभा के धनी बच्चे अपने आप में अनोखे होते हैं।
एन हलबर्ट अपनी पुस्तक ‘ऑफ द चार्ट्स’ में लिखते हैं – इस तरह के बच्चों का ज्यादातर अपने रौबदार अभिभावक से अलगाव रहता है। ऐसे ज्यादातर बच्चे बड़े होने तक अपनी विलक्षणता को बरकरार नहीं रख पाते हैं।
मनोविज्ञानिकों का कहना है कि वैसे तो ऐसे बच्चों का टैलेंट आमतौर पर अनुवांशिक होता है लेकिन ऐसा होना जरूरी भी नहीं।
सारा से पहले इसी साल 20 मई, 2019 को बीस साल के चिन्मय प्रभु ने पानी के भीतर रूबिक क्यूब की गुत्थी सुलझाकर अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज कराया था।
इसी तरह इंग्लैंड में रह रही भारतीय मूल की 12 वर्षीया राजगौरी पवार का दिमाग और आईक्यू क्षमता आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग से भी तेज पाई गई है।
दुनिया में 20,000 लोग ही इतना अधिक स्कोर पाने में सफल रहे हैं, जिनमें से राजगौरी एक है।
इस परीक्षा में जीनियस होने के लिए 140 आईक्यू अंक का मानक रखा गया था।
मैनचेस्टर में ‘ब्रिटिशर मेन्सा आईक्यू टेस्ट’ में शामिल होकर राजगौरी ने 162 आईक्यू अंक हासिल किए, जिसे 18 साल से कम उम्र के लिए सर्वाधिक स्कोर माना गया है।
इस आईक्यू टेस्ट में राजगौरी के अंक आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग के आईक्यू की तुलना में दो अंक ज्यादा रहे। राजगौरी ब्रिटेन की प्रमुख संस्था ‘ब्रिटिश मेन्सा आईक्यू सोसाइटी’ की सदस्य बन चुकी हैं।