पढ़ाने के अपने जुनून को पूरा करने के लिए उद्यमी बनी ये महिला शिक्षक
एक तीन साल का बच्चा पिंक क्यूब्स से एक टॉवर बना रहा है तो वहीं एक दूसरा बच्चा केले को काटने के लिए खिलौने के चाकू का इस्तेमाल कर रहा है.. हम में से बहुत से लोग जब इस नजारे के देखेंगे तो पहली बार यही लगेगा कि यह किसी स्कूल का प्ले टाइम होगा, लेकिन इसे बच्चों के लिए सीखने का माहौल समझना वो आखिरी चीज होगी जो हमारे दिमाग में आएगी।
स्तुति मेहरोत्रा ने 2012 में पहली बार एक मॉन्टेसरी सेटअप देखने के अपने समय को याद करते हुए कहा,
“जब मैंने स्टडी की, तो हम कुर्सियों पर बैठे रहते थे और शिक्षक हमेशा आते थे और हमें कुछ न कुछ बताने लगते थे। मेरे लिए शिक्षा हमेशा से यही रही है। और जब मैंने इस मोंटेसरी क्लासरूम में प्रवेश किया, तो मैं बच्चों को अलग-अलग गतिविधियाँ करते हुए देख रही थी।"
स्तुति फॉर्मेटिव एज में आठ महीने लंबे मॉन्टेसरी प्राइमरी कोर्स से गुजर रही थीं।
वह कहती हैं,
"और तब मैंने महसूस किया कि शिक्षा को वास्तव में अलग होना चाहिए।"
शिक्षण के वैकल्पिक तरीकों के लिए यह आकर्षण, और रश्मि बंसल की बुक 'स्टे हंग्री स्टे फूलिश' को पढ़ने के बाद स्तुति ने 2014 में लिंडेन मॉन्टेसरी शुरू करने का फैसला किया। रश्मि बंसल की बुक 'स्टे हंग्री स्टे फूलिश' में उन्होंने 25 आईआईएम अहमदाबाद के ग्रेजुएट्स के बारे में लिखा है जो उद्यमी बन गए। इसने स्तुति को काफी प्रेरित किया।
वह कहती हैं,
"लिंडेन (एक प्रकार का वृक्ष) के पत्ते वास्तव में सुंदर होते हैं। यदि आप उन्हें देखते हैं, तो यह सतह पर खुरदरा होता है और अंदर से चिकना होता है। इसलिए, हम जो दर्शन प्राप्त करते हैं वह यह है कि व्यक्ति को बाहरी दिखावे से परे जाकर देखना चाहिए। यही इसके नाम के पीछे पूरी प्रेरणा थी।”
सपने को जीना
आज, देखा जाए तो स्तुति एक पेशे के सबसे कठिन संयोजन में काम कर रही हैं एक शिक्षक और एक उद्यमी। हालाँकि, वह कहती हैं कि वह शिक्षक बनने के अपने बचपन के सपने को जीने के अलावा और कुछ नहीं माँगती। स्कूल में, लगभग हर बच्चे को आगे के जीवन में उसकी महत्वाकांक्षा के बारे में लिखने के लिए कहा जाता है।
स्तुति ने भी लिखा था। उन्होंने बताया,
"उन सभी स्कूल निबंधों में, मुझे याद है कि मैंने हमेशा लिखा था कि मैं एक शिक्षक बनना चाहती थी।"
बेंगलुरु स्थित शिक्षक-उद्यमी का कहना है कि उन्हें अच्छा लगता है कि कैसे मोंटेसरी में बच्चे उन अवधारणाओं को चुनने और सीखने के लिए स्वतंत्र हैं जिनमें उनकी रुचि है।
1.8 साल से छह साल की उम्र के लगभग 200 बच्चों को पढ़ाते हुए, स्तुति ने नोट किया कि इन दिनों शारीरिक गतिविधियां महत्वपूर्ण हैं।
41 वर्षीय स्तुति कहती हैं,
“आज, अधिकांश बच्चे गैजेट्स से चिपके रहते हैं, जिससे उन्हें ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। मोंटेसरी गतिविधियाँ उन्हें तेज फोकस और एकाग्रता विकसित करने में मदद करती हैं।"
वह बताती है कि लिंडेन में टॉडलर्स अपनी खुद की प्लेटों की व्यवस्था करते हैं, खुद से अपने मोजे और जूते पहनते हैं, और कम उम्र में स्वतंत्र होना सीखते हैं। हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, 41 वर्षीय स्तुति को वूमेन एंटरप्रेन्योर फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (WEFT) द्वारा शीरो के रूप में मान्यता दी गई थी।
स्तुति खुश हैं कि हर दिन कभी भी एक जैसा नहीं होता है। वह कहती हैं, बोरियत के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि, बच्चों के ग्रुप के साथ व्यवहार करना समान नहीं होता है।
वे कहती हैं,
“एक बच्चा था जो एक जगह पर नहीं बैठेता था और बाकी को परेशान करता था। समय के साथ, उसको फ्रीडम मिली और वह एक टीम प्लेयर बन गया। और बहुत अधिक फोकस्ड हो गया है।”
चुनौतियों से निपटना
इससे पहले, स्तुति ने कानपुर में डॉ. वीरेंद्र स्वरूप स्कूल में एक शिक्षक के रूप में काम किया और एक्सा बीमा कंपनी में एक कॉर्पोरेट ट्रेनर भी रहीं। जहां उनका मानना है कि बच्चों के साथ समय बिताना एक आशीर्वाद है, वहीं वे ये भी मानती हैं कि यह बिना चुनौतियों के नहीं है।
केवल तीन शिक्षकों से लेकर 60 सदस्य-कर्मचारियों तक बढ़ने, जिसमें सहायक भी शामिल हैं, स्तुति का कहना है कि बच्चों को कर्मचारियों के सदस्यों से बहुत लगाव है। लेकिन जब वे बीच में छोड़ देते हैं, तो यह एक बड़ी चुनौती होती है।
अब यह स्कूल बेंगलुरू के डोड्डनेकुंडी इंडस्ट्रियल लेआउट में 15,000 वर्ग फुट की जमीन पर चल रहा है। लेकिन शुरुआत में एक ओपन प्ले ग्राउंड के लिए जगह ढूंढ़ना इसके लिए बड़ी चुनौती थी।
वह कहती हैं,
"शहर के बीच में एक खुला स्थान प्राप्त करना आसान नहीं है। हमें कांच की इमारतें मिल रही थीं जहाँ हम एक मंजिल ले सकते थे। मैं इसके साथ शुरू कर सकती थी, लेकिन स्कूल शुरू करने के लिए एक उचित खेल के मैदान के साथ जगह हासिल करना महत्वपूर्ण था।”
अपने परिवार के सदस्यों के समर्थन के साथ, स्तुति ने लगभग 50 लाख रुपये के शुरुआती निवेश के साथ इसे शुरू किया। उन्होंने उस पैसों का उपयोग उपकरण खरीदने और कर्मचारियों को रखने पर किया। अब, स्कूल सफलतापूर्वक मुनाफे पर चल रहा है।
वे कहती हैं,
“लेकिन हमने मापदंडों के भीतर विस्तार किया। हम केवल ग्राउंड से शुरू कर पहली मंजिल तक बनाया और उसी में सारी सुविधाएं दी हैं।”