शिक्षक के मन की बात हम कब सुनेंगे?
आज शिक्षक दिवस के मौके पर मैं उन सभी शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो अपने निस्वार्थ श्रम से राष्ट्र को आकार दे रहे हैं.
शिक्षक समस्या नहीं हैं; वे समाधान हैं: हमें उन्हें सुनना शुरू करना होगा. किसी भी देश का संपूर्ण विकास इस बात से जुड़ा होता है कि उसके शिक्षकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और समाज में उनकी भूमिका क्या है. पिछले 30 वर्षों में हमने देखा है कि अध्यापन आर्थिक रूप से अधिक आकर्षक करियर विकल्प बनता जा रहा है लेकिन साथ ही साथ अध्यापन और अध्यापक दोनों की सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा में गिरावट आई है. यदि हम अभी भी एक स्वस्थ, शिक्षित और समतामूलक राष्ट्र के निर्माण का सपना देखते हैं, तो हमें शिक्षकों की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए और समाज में ऐसे जगहें बनाने चाहिए जहां वे सम्मानित महसूस करें. जहां उन्हें, उनके मन की बात को सुना जाए.
बिहार में फ़ील्ड में लोगों के एक वर्ग से बात करते हुए, मैंने उन्हें यह पाया कि वे यहाँ के शिक्षकों के साथ अलगाव महसूस करते हैं. वे शिक्षकों के साथ अपना स्पेस साझा करना चाहते हैं लेकिन पूरा सिस्टम ही मानो ऐसा करने के लिए हतोत्साहित करने वाला है. ऐसा लगता है लोग अगर ऐसा करने की कोशिश करें भी तो सिस्टम इसका बहुत स्वागत नहीं करेगा.
आज शिक्षक दिवस के मौके पर मैं उन सभी शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो अपने निस्वार्थ श्रम से राष्ट्र को आकार दे रहे हैं.
यदि हम शिक्षा की स्थिति की काया पलट करना चाहते हैं, तो हमें शिक्षकों को वह वापस देना होगा जो हम अपने बच्चों के लिए उनसे चाहते हैं. आज हम यह सोचें कि क्या एक समाज के रूप में हम उन्हें यह पाँच चीजें दे सकते हैं?
हम शिक्षकों को गहराई से सुनें
शिक्षक का वार्षिक कलैण्डर शिक्षण को छोड़कर सभी प्रकार की गतिविधियों से भरा होता है. कोविड के दौरान वे टीकाकरण और राशन वितरण से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक सब कुछ कर रहे थे. दुर्भाग्य से, इस आपाधापी में शिक्षकों को सुनने के लिए कोई जगह नहीं थी. शिक्षकों की बात सुनने के लिए सिस्टम के सभी स्तरों- स्कूल, ब्लॉक, जिला आदि में गुंजाइश बनाने की ज़रूरत है.
हम उनसे पूछें कि उन्हें क्या चाहिए
उनसे पूछें कि उन्हें क्या चाहिए और उन्हें वह न दें जो हमें लगता है कि उन्हें चाहिए. शिक्षक प्रशिक्षण को सभी प्रमुख शैक्षिक समस्याओं के समाधान के लिए रामबाण मान लिया गया है. इस तरह के प्रशिक्षण लेकिन बहुत उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनमें कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है, बल्कि वे शिक्षकों की गहरी जरूरतों के अनुरूप भी नहीं हैं. शिक्षकों को यह बताने या प्रशिक्षित करने के बजाय कि उन्हें क्या करना चाहिए, उनसे यह पूछने की अधिक आवश्यकता है कि उनकी सोच क्या है? और उन्हें पूरा करने के लिए उन्हें किस समर्थन की आवश्यकता है?
हम उन पर विश्वास करें
विश्वास से विश्वास बनता है. ऐसा लगता है भरोसे की कमी हर तरफ़ है. राजस्थान के एक छोटे-से आदिवासी ब्लॉक कोटरा में, जहां मैं कई बरसों से काम कर रहा हूँ, आपको ऐसे लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि उनके यहाँ के स्कूल ने शिक्षकों का चेहरा नहीं देखा है. “भूतिया शिक्षकों” की कहानियां यहाँ सामान्य हैं. इसी तरह, शिक्षक महसूस करते हैं कि माता-पिता शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं हैं, और वे शिक्षा की निराशाजनक स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. यदि शिक्षकों को लगे कि लोग उन पर भरोसा कर रहे हैं, तो वे कक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ देने में अधिक सहज महसूस करेंगे.
हम उन्हें खुल कर कुछ कहने के लिए सुरक्षित वातावरण दें
एक क्लास रूम को एक हंसती खिलखिलाती जगह होना चाहिए. यह तभी हो सकता है जब शिक्षक प्रसन्न हो. उन्हें स्कूल और क्लास अपने लगने चाहिए. वे अपना आधा जीवन पढ़ाने में व्यतीत करते हैं. इसके लिए उनके काम से ठसा ठस भरे वार्षिक कैलेंडर में सराहना, कृतज्ञता और चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए जगह निकालनी पड़ेगी.
हम उन्हें कहें कि वे भी फेल हो सकते हैं
हम सब इस उद्धरण को सुनकर बड़े हुए हैं "असफलता से डरो मत” लेकिन दुर्भाग्य से, हम एक ऐसे सिस्टम का हिस्सा रहे हैं जो विफलता को एक तरह का सामाजिक कलंक समझता है. जिस समाज में बच्चे का फेल होना एक सामाजिक कलंक हो, उसमें क्या हम शिक्षकों को फेल होने की आज़ादी दे सकते हैं. सब जानते हैं हर समय सफल कोई नहीं होता. क्या शिक्षक को फेल होने की इजाज़त है? शिक्षक को जब फेल होने का डर नहीं होगा, तभी वह बच्चों को इस डर से निकाल पाएगा.
शिक्षक दिवस तो साल में एक बार आता है लेकिन एक शिक्षक का काम रोज़ का है. हमें भी इन पाँच और ऐसी कई बातों को रोज़ उनके साथ व्यवहार में लाना होगा तभी हमारे बच्चे वह भविष्य पा सकेंगे जो हम उनके लिए चाहते हैं.
(बैनर तस्वीर: क्षमतालय फ़ाउंडेशन)
(लेखक ‘क्षमतालय फ़ाउंडेशन’ के को-फ़ाउंडर और सीईओ हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. योरस्टोरी का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)