बिज़नेस इकाईयों को रिकरिंग पेमेंट्स की समस्या से निजात दिला रहा बेंगलुरु का यह स्टार्टअप
2016 में, जब पेमेंट गेटवे के तौर पर कंपनियों ने भारतीय बाज़ार में प्रवेश किया, तब स्थापित सिस्टम में कई ऐसी समस्याएं भी, जिन्हें कंपनियों ने एक-एक करके सुलझाना शुरू किया। लेकिन एक मुद्दा ऐसा है, जिसे अभी भी सुधार की ज़रूरत है और वह है रिकरिंग पेमेंट्स।
यह एक ऐसी चुनौती है, जिसे आमतौर पर सिर्फ़ परंपरागत कंपनियों जैसे कि फ़ाइनैंशल सर्विसेज़, म्यूचुअल फ़ंड्स और एनबीएफ़सी आदि के द्वारा सुलझाया जाता है। लेकिन ऐसे में आत्मा कृष्ण तकनीक की मदद से पूरी इंडस्ट्री की इस समस्या को सुलझाना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए उन्होंने जून, 2016 में लोटस पे की शुरुआत की।
आत्मा कृष्ण योरस्टोरी से कहते हैं,
"यह एक बहुत बड़ा क्षेत्र था और इस वजह से इसकी क्षमता और सीमा दोनों ही बहुत विस्तृत होने वाली थीं।।"
लोटस पे एक फ़िनटेक स्टार्टअप है, जो रिकरिंग पेमेंट्स के लिए व्यवसाइक इकाईयों को एनएसीएच-एनपीसीआई पेमेंट सिस्टम तक बेहतर पहुंच हासिल करने में मदद करता है। स्टार्टअप के पास बैंकों के लिए एक क्लाउड-आधारित सल्यूशन है, जो पूरी तरह से सुरक्षित और इसकी विस्तार भी आसानी से किया जा सकता है। यह ई-मैंडेट्स और फ़िजिकल मैंडेट्स दोनों ही के लिए कारगर है।
लोटस पे, बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप है, जो वाय-कॉम्बिनेटर 2017 के समर बैच का हिस्सा था और स्टार्टअप ने सीड ऐक्सिलरेटर डील के तहत 120,000 डॉलर जुटाए थे। कंपनी ने दिसंबर में सीड राउंड के अंतर्गत फ़ंडिंग भी जुटाई, लेकिन उसके बारे में कंपनी ने अतिरिक्त जानकारी देने से इनकार किया है। निवेशक के संबंध में भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। हाल में, स्टार्टअप के पास 10 लोगों की मुख्य टीम है, जो इंजीनियरिंग, ऑपरेशन्स, प्रोडक्ट और कस्टमर सपोर्ट की देखरेख करती है।
आत्मा कृष्ण की रुचि फ़ाइनैंशल तकनीक में हमेशा से ही थी। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकनॉमिक्स से मैनेजमेंट में बीएससी की डिग्री ली है और साथ ही, इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस से उन्होंने एमबीए भी किया है। पूर्व में कृष्ण लंदन में बर्कलेज़ कैपिटल के इनवेस्टमेंट बैंकिंग डिविज़न में भी काम कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने मैकिंज़े के साथ मिलकर भारत में वित्तीय संस्थानों जैसे कि रीटेल बैंक्स पर भी काम किया।
लोटस पे की शुरुआत करने से पहले हासिल किए अपने प्रोफ़ेशनल अनुभवों को इस्तेमाल करते हुए उन्होंने एक बेहद साधारण उत्पाद तैयार किया, जो रिकरिंग पेमेंट्स के लिए एक पेमेंट गेटवे के तौर पर कारगर तरीक़े से काम कर सके। आत्मा कहते हैं कि व्यवसाइक इकाईयां बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा करती हैं, जबकि बैंक, डिज़ाइन के पहलू पर कमज़ोर पड़ते हैं और इस वजह से ही दो पक्षों के बीच रूट लिंकिंग ट्रांजैक्शन्स में दिक़्क़तें पेश आती हैं।
आत्मा कृष्ण ने इसे समझा और फ़ैसला लिया कि इन दोनों को साथ लाया जाए और एक ऐसा तरीक़ा खोजा जाए, जिससे पेमेंट की प्रक्रिया को सहज और बाधारहित बनाया जा सके।
आत्मा कृष्ण विस्तार से बताते हुए कहते हैं,
"हम अपने प्रयोग को सभी उद्योगों तक ले जाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हेल्थकेयर और एजुकेशन से लेकर जिम जैसी व्यावसाइक इकाईयों तक भी इसकी पहुंच हो और उन्हें पेमेंट के लिए बैंकों से बेहतर डिज़ाइन और तकनीक मुहैया हो सके।"
हाल में, लोटस पे का उत्पाद सिंगल इंटीग्रेशन क्षमता के साथ ईनैक (eNACH) द्वारा प्रायोजित है। यह विभिन्न स्पॉन्सर बैंकों की मदद करता है और तकनीकी कंपनियों और स्कूलों से लेकर जिम और रेज़िडेन्ट-वेलफ़ेयर असोसिएशन्स तक, सभी को एनएसीएच (नैक) तक पहुंच प्रदान करता है।
क्या है नैक (NACH)?
यह एक तरह की सॉफ़्टवेयर की परत है, जो व्यवसाइक इकाईयों को बैंक पेमेंट सिस्टम तक बेहतर ऐक्सेस देती है। लोटस पे, इन दो पक्षों (बैंक और व्यवसाइक इकाई) के बीच ही काम करता है और विशेष रूप से रिकरिंग पेमेंट्स पर ध्यान देता है, जिसके लिए नैक को तैयार किया गया है। यह सिंगल इंटीग्रेशन के साथ स्पॉन्सर बैंक्स के लिए बतौर वेंडर काम करता है और स्टार्टअप का दावा है कि यह भारत का पहला पेमेंट गेटवे है, जो रिकरिंग पेमेंट्स पर काम करता है और ईनैक द्वारा प्रायोजित है।
स्टार्टअप के पास लगभग 400 ऑन-बोर्ड यूज़र्स (उपभोक्ता) हैं। कंपनी की क्लाइंट्स में रिलायंस जियो, आईडीएफ़सी फ़र्स्ट बैंक, अवीवा (Aviva) लाइफ़ इंश्योरेन्स और पाइन लैब्स जैसे बड़े नाम शामिल हैं। स्टार्टअप का रेवेन्यू अन्य पेमेंट गेटवे जैसा ही है। स्टार्टअप हर मैंडेट और ट्रांजेक्शन पर फ़ीस चार्ज करता है।